प्रतिभाशाली बालकों की समस्या एंव इसकी शैक्षिक व्यवस्थाएँ
प्रतिभाशाली बालकों की समस्या
प्रतिभाशाली बालक समाज की मूल्यवान निधि होते हैं। यदि उन्हे उचित वातावरण, सुविधायें और मार्गदर्शन मिले तो वे महान बनकर समाज के लिए उपयोगी हो सकते है, किन्तु उनके सम्बन्ध में समस्या यह है कि उनकी सही पहचान या खोज त होने के कारण उनका समाज को लाभ नहीं मिल पाता। कई बालकों की प्रतिभाये अविकसित रह जाती है, कई को प्रतिभाओ का पूरा-पूरा लाभ नहीं उठाया जा सकता, तो कहीं-कहीं ऐसे बालको की प्रतिभाओं का दुरुपयोग भी होता है। आर्थिक, सामाजिक अवरोध, कुसमायोजन और अभिज्ञान के आभाव मे अनेक प्रतिभाशाली बालको की उचित शिक्षा व्यवस्था नही हो पाती।
प्रतिभावान बालकों की शैक्षिक व्यवस्थाएँ
कक्षा में प्रतिभावान बालको की उपस्थिति अध्यापको के लिए बहुत सी समस्ये उत्पन्न कर देती है। अतः ऐसे बालकों के लिये विशेष शिक्षा की आवश्यकता पड़ती है और अध्यापकों को विशेष प्रशिक्षण की। कुछ प्रमुख शैक्षिक व्यवस्थाओं का वर्णन निम्नलिखित है-
1. अवसरो की समानता- अवसरों की समानता से अभिप्राय है कि अध्यापक सामान्य बालको की तरह प्रतिभावान बालको को भी उनकी अपनी योग्यताओ या प्रतिभाओ को विकसित करने का अवसर प्रदान करे।
2. तीव्र प्रोन्नति- कई मनोवैज्ञानिक और शिक्षा शास्त्री प्रतिभावान बालको की तीव्र पदोन्नति की सिफारिश करता है, लेकिन यह अमनवैज्ञानिक बात होगी। ऐसा करने से बालक उस कक्षा में पहुँच जाते है. जिसमे अन्य विद्यार्थी शारीरिक रूप से, मानसिक रूप से और सामाजिक रूप से अधिक विकसित होते है। तीव्र प्रोन्नति का बालको पर विपरीत प्रभाव पड़ने की सम्भावना रहती है।
3. पाठ्यक्रम की समृद्धि- प्रतिभावान बालक पाठ्यक्रम को समझने में सामान्य बालकों से कम समय लेते है। यह बचा हुआ समय उन्हें किसी और कार्य में व्यस्त करके उपयोग किया जा सकता है। हैलिंगवर्थ ने पाठ्यक्रम की समृद्धी के लिए निम्नलिखित कार्यक्रम बताया है-
- सभ्यता का अध्ययन
- जीवन गाथाओ का अध्ययन
- आधुनिक भाषाओ का अध्ययन
- विशेष योग्यताओं में प्रशिक्षण
4. बुरी सामाजिक आदतो को रोकना- यदि प्रतिभावान बालकों की सृजनात्मक शक्ति का उचित प्रयोग नहीं किया जाता तो वे समाज विरोधी गतिविधियोमे सम्मिलित हो सकते है। अतः अध्यापक को चाहिए कि उनकी शिक्षा इस प्रकार की होनी चाहिए कि जिससे वह सामाजिक बुराइयों से दूर रह सकें।
5. सर्वांगीण विकास पर बल- प्रतिभावान बालको की शिक्षा उसके व्यक्तित्व के सभी पक्षों के विकास पर केन्द्रित होनी चाहिए न कि उसे ‘किताबी कीड़ा’ बनाने के लिए। ऐसे बालकों के केवल बौद्धिक विकास या शैक्षणिक विकास पर ही अधिक बल नहीं दिया जाना चाहिए। प्रतिभावान बालकों के सर्वांगीण विकास के लिए अध्यापक को अत्यधिक परिश्रम की आवश्यकता पड़ती है। अतः इस कार्य के लिए उसे कक्षा और स्कूल में अधिक सक्रिय रहना चाहिए।
6. बालको के अध्ययन पर आधारित शिक्षा- प्रतिभावान बालकों की शिक्षा ऐसे बालको के ध्यानपूर्वक अध्ययन पर आधरित होनी चाहिए। इसके साथ ही विशेष प्रतिभा का ध्यान भी रखना चाहिए। ऐसा तभी सम्भव है यदि उनकी शिक्षा बाल केन्द्रित होगी।
7. विशेष स्कूल और कक्षाएँ- प्रतिभावान बालको की शिक्षा के लिए विशेष स्कूलों कि व्यवस्था की जा सकती है। इन स्कूलों में ऐसे बालकों की विशेषताओं के अनुसार उन्ह विकसित करने की पर्याप्त सुविधाएँ प्रदान की जानी चाहिये। लेकिन ऐसा सुझाव वास्तव मे सम्भव नहीं है। स्कूलों में इतने विद्यार्थी प्रतिभावान नहीं होते कि उनके लिए अलग स्कूल बनाया जाए। इसके साथ ही इन स्कूलो में पढ़ने वाले विद्यार्थियों में अहम की भावना का विकास हो जाता है। ये विद्यार्थी भी दूसरे बालको को तुच्छ समझने लगते है। इन कठिनाइयों के अतिरिक्त आर्थिक कठिनाइयाँ भी अलग स्कूल खोलने में बाधा उत्पन्न करती है। अतः लोकतांत्रिक दृष्टि से अलग स्कूल वास्तविक जीवन में सम्भव नहीं हो सकते।
प्रतिभावान बालको की शिक्षा के लिए अलग कक्षाओं का भी प्रस्ताव रखा जाता है। लेकिन यह विधि भी अमनोवैज्ञानिक होगी। एक ही विद्यालय में विद्यार्थियों को उनकी प्रतीभा के आधार पर अलग रखना अलगाव की भावना को बल देता हैं। वैसे भी संख्या अक्सर कम होती है। अतः अलग स्कूलो एवं अलग कक्षाओं का सुझाव अव्यावहारिक, अलोकतंत्रात्रिक और अमनोवैज्ञानिक लगता है।
8. घर के लिए विशेष कार्य- प्रतिभावान बालकों की घर के लिए विशेष कार्य दिया जाना चाहिए ताकि वे अपनी प्रतिभा का उचित प्रयोग कर सके। इससे उन्हें मानसिक रूप से संतोष भी मिलेगा और अपनी प्रतिभा के उपयोग के अवसर भी प्राप्त होंगे।
9. पुस्तकालय सुविधाएँ- प्रतिभावान बालकों में ज्ञान के लिए प्यास सामान्य बालको की तुलना में अधिक होती है। उन्हें कक्षा की पुस्तकों के अतिरिक्त और भी उच्च स्तर की पुस्तकें पढ़ने में अधिक मजा आता है। अतः उनकी इस रूचि को पूरा करने के लिए पुस्तकालय सुविधायें अति आवश्यक है।
10. उत्तरदायित्व का कार्य- प्रतिभावान बालकों की शिक्षा के लिए और उनमे नेतृत्व के विकास के लिए कुछ ऐसे ही कार्य उन्हें सौंपे जाने चाहिए। उदाहरणार्थ:- ऐसे विद्यार्थियो को कक्षा का मानीटर बना दिया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त उन्हें विभिन्न प्रोजेक्टस, क्लबो, सभाओ व टीमो का नेता बनाया जा सकता है। इस प्रकार की क्रियाओं से वे उत्तरदायित्व निभाने की कला और उत्तरदायित्व का भार उठाना सीख जायेंगे। उपरोक्त विधियो द्वारा अध्यापक स्कूल और कक्षाओ में प्रतिभावान बालको की शिक्षा के विशेष प्रबन्ध कर सकता है। और उन्हें उनकी इच्छानुसार शिक्षित करके उनकी प्रतिभा का विकास करने में सफल हो सकता है। प्रतिभाशाली छात्र की प्रगति केवल उसके व्यक्तित्व स्कूली पाठ्यक्रम तक ही सीमीत नहीं है बल्कि इसमे शैक्षिक त्वरण एवं संवर्धन भी सम्मिलित है।
Related Link
- प्रतिभाशाली बच्चों की विशेषताएँ | characteristics of gifted children
- मानसिक बाधित बालकों की पहचान एवं विशेषताएँ | Identification and characteristics of mentally retarded children
- दृष्टि बाधितों की विशेषताएँ | Characteristics of the visually Impaired
- पिछड़े बालकों की पहचान एंव इसकी समस्याएँ| Identification and Problems of Backward children
- मानसिक मन्द बालकों की पहचान बताइए। Identify the Mentally Retarded children
- प्रतिभाशाली बालकों की पहचान बताइए? Identify the gifted children? in Hindi
- श्रवण अक्षमता की विशेषताएँ | Features of Hearing in Hindi
- श्रवण बाधित बालकों की पहचान | Identification of hearing Impaired Children
Important Links
- दृष्टि दोष से ग्रस्त बालकों की क्रियात्मक सीमाएँ एंव शिक्षक की भूमिका
- अन्धे बालकों को आप शिक्षित कैसे करेंगे ? How will you educate blind Children?
- दृष्टि दोष बालकों की क्या समस्याएँ हैं ? What is the problem of children with Visual Impairment
- दृष्टि बाधिता या दृष्टि असमर्थता का अर्थ, विशेषताएँ, पहचान तथा इनकी देखभाल एवं प्रशिक्षण
- दृष्टि दोष बालक कौन होते हैं? दृष्टि दोष के क्या कारण है।
- दृष्टि-दोष के मुख्य प्रकार, पहचान तथा विशिष्ट आवश्यकताएँ
- पी.डब्ल्यू. डी. अधिनियम, 1995 क्या हैं ? What is PWD Action, 1995?
- विश्व शांति के सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलु और इसके अन्तर
- विश्व शांति के महत्त्व एवं विकास | Importance and development of world peace
- भारत एवं विश्व शान्ति |India and world peace in Hindi
- विश्व शांति का अर्थ एवं परिभाषा तथा इसकी आवश्यकता
- स्वामी विवेकानन्द जी का शान्ति शिक्षा में योगदान | Contribution of Swami Vivekananda in Peace Education
- अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों के कार्य एवं दायित्व | objectives and Importance of international organization
- भारतीय संदर्भ में विश्वशान्ति की अवधारणा | concept of world peace in the Indian context
- अन्तर्राष्ट्रीय संगठन की प्रासंगिकता | Relevance of International Organization
- भारतीय परम्परा के अनुसार ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का स्वरूप
- अन्तर्राष्ट्रीय संगठन के उद्देश्य एवं महत्त्व | Objects & Importance of International Organization
- मानवीय मूल्यों को विकसित करने में शिक्षा की भूमिका
- मूल्यों के विकास के स्त्रोत अथवा साधन क्या हैं? What are the source or means of Development of values?
- मानव मूल्य का अर्थ एंव परिभाषा तथा इसकी प्रकृति | Meaning and Definition of human value and its nature
- व्यावहारिक जीवन में मूल्य की अवधारणा | Concept of value in Practical life
- सभ्यता एवं संस्कृति का मूल्य पद्धति के विकास में योगदान
- संस्कृति एवं शैक्षिक मूल्य का अर्थ, प्रकार एंव इसके कार्य
- संस्कृति का मूल्य शिक्षा पर प्रभाव | Impact of culture on value Education in Hindi
- संस्कृति का अर्थ, परिभाषा तथा मूल्य एवं संस्कृति के संबंध
- मूल्य शिक्षा की विधियाँ और मूल्यांकन | Methods and Evaluation of value Education
- मूल्य शिक्षा की परिभाषा एवं इसके महत्त्व | Definition and Importance of value Education
- मूल्य का अर्थ, आवश्यकता, एंव इसका महत्त्व | Meaning, Needs and Importance of Values
- विद्यालय मध्याह्न भोजन से आप क्या समझते है ?
- विद्यालयी शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्य
- स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एंव इसके लक्ष्य और उद्देश्य | Meaning and Objectives of Health Education
- स्कूलों में स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्य | Objectives of health education in schools
- स्वास्थ्य का अर्थ एंव इसके महत्व | Meaning and Importance of Health in Hindi
- स्वास्थ्य का अर्थ एंव स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक
- स्वास्थ्य विज्ञान का अर्थ एंव इसके सामान्य नियम | Meaning and Health Science and its general rules in Hindi
- व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एंव नियम | Meaning and Rules of Personal health in Hindi
- शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक | Factors Affecting Physical Health in Hindi
- एक उत्तम स्वास्थ्य का अर्थ एंव परिभाषा और इसके लक्षण
- बजट का अर्थ एंव इसकी प्रक्रिया | Meaning of Budget and its Process in Hindi
- शैक्षिक व्यय का अर्थ प्रशासनिक दृष्टि से विद्यालय व्यवस्था में होने वाले व्यय के प्रकार
- शैक्षिक आय का अर्थ और सार्वजनिक एवं निजी आय के स्त्रोत
- शैक्षिक वित्त का अर्थ एंव इसका महत्त्व | Meaning and Importance of Educational finance
- भारत में शैक्षिक प्रशासन की समस्याएं और उनकी समस्याओं के समाधान हेतु सुझाव
- प्राथमिक शिक्षा के प्रशासन | Administration of Primary Education in Hindi
Disclaimer