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प्राथमिक शिक्षा के प्रशासन | Administration of Primary Education in Hindi

प्राथमिक शिक्षा के प्रशासन
प्राथमिक शिक्षा के प्रशासन

प्राथमिक शिक्षा के प्रशासन 

(अ) बेसिक शिक्षा परिषद्- इस स्तर पर शिक्षा प्रशासन को चलाने के लिये एक अधिनियम पारित हुआ और उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद् का गठन किया गया जिसमें अग्र सदस्य होंगे-

  1. निदेशक, जो इसका अध्यक्ष होगा, पदेन।
  2. दो व्यक्ति जो जिला परिषद् के अध्यक्षों में से निर्दिष्ट किये जायेंगे।
  3. एक व्यक्ति जो संगठित नगरपालिकाओं के नगर प्रमुखों में से निर्दिष्ट किया जायेगा।
  4. एक व्यक्ति जो राज्य सरकार द्वारा यू.पी. म्यूनिसिपैलटीज एक्ट, 1916 के अधीन स्थापित नगरपालिका के प्रसीडेण्टों में से निर्दिष्ट किया जायेगा।
  5. सचिव, राज्य सरकार, वित्त विभाग, पदेन।
  6. प्रिंसिपल, राज्य शिक्षा संस्थान।
  7. दो शिक्षाविद् जो राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट किये जायेंगे।
  8. एक अधिकारी जिसका पद उपनिदेशक शिक्षा के समानान्तर होगा।

पदेन सदस्यों के अतिरिक्त सभी सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष का होगा, इस परिषद् का मुख्य कार्यालय लखनऊ में है।

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद् के अधिकारी व शक्तियाँ-

  1. बेसिक शिक्षा तथा उसके लिये शिक्षक-प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।
  2. राज्य सरकार से अनुदान, आर्थिक सहायता व ऋण प्राप्त करना।
  3. जूनियर हाईस्कूल तथा बेसिक प्रशिक्षण प्रमाणपत्र परीक्षाओं का संचालन करना।
  4. राज्य के किसी भी जिले में बेसिक शिक्षा के विकास, प्रसार व सुधार हेतु कार्य करना।
  5. बेसिक स्कूलों, नार्मल स्कूलों तथा राज्य शिक्षा संस्थाओं का निरीक्षण करना व उस पर नियन्त्रण रखना।

(ब) जिला बेसिक शिक्षा समितियाँ—इस समिति की स्थापना निम्न सदस्यों के द्वारा की जायेगी-

  1. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (अध्यक्ष)।
  2. तीन व्यक्ति जो जिला परिषद् के सदस्यों में से राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट किये जायेंगे।
  3. तीन व्यक्ति जो जिले में स्थित नगरपालिकाओं, नगर महापालिकाओं, नोटोफाइड एरिया व टाउन एरिया कमेटियों के सदस्यों में से राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट किये जायेंगे।
  4. निम्न में से प्रत्येक से एक सदस्य होगा जो निदेशक नामांकित करेगा-

(अ) लड़कों के इण्टरमीडिएट कॉलेज के प्रिंसीपलों में से।
(ब) लड़कियों के इण्टरमीडिएट कॉलेज के प्रचार्यों में से।
(स) लड़कों की राजकीय नार्मल स्कूलों के प्राचार्यों में से।
(द) लड़कियों के राजकीय नार्मल स्कूलों की प्रधानाध्यापिकाओं में से।
(य) विद्यालय उपनिरीक्षक जो समिति का सदस्य सचिव होगा।
(र) तीन शिक्षाविद् जो सरकार निर्दिष्ट करेगी।

(स) गाँव शिक्षा समितियाँ- यू.पी. पंचायत राज्य अधिनियम के अनुसार यह तय किया गया कि प्रत्येक गाँव में एक समिति स्थापित की जायेगी जिसमें निम्नलिखित सदस्य होंगे-

  1. ग्राम सभा का प्रधान-अध्यक्ष।
  2. बेसिक स्कूल के छात्रों के तीन अभिभावक या संरक्षक (एक महिला) जिनको उपविद्यालय निरीक्षक द्वारा निर्दिष्ट किया जायेगा।
  3. उस गाँव के बेसिक स्कूल का प्रधानाध्यापक (यदि गाँव में एक से अधिक बेसिक विद्यालय हैं तो वरिष्ठतम अध्यापक ही इस समिति का सदस्य होगा) जो इस समिति का सदस्य–सचिव होगा।

माध्यमिक शिक्षा का प्रशासन

उत्तर प्रदेश में दो प्रकार की माध्यमिक शिक्षा संस्थायें पाई जाती हैं-
सरकारी, गैर-सरकारी
माध्यमिक स्तर पर संचालित होने वाली शिक्षा व्यवस्था का संचालन उत्तर प्रदेश में सरकारी तथा गैर-सरकारी रूप में किया जाता है।

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