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राज्य स्तर पर शैक्षिक प्रशासन | Educational Administration at the State level in Hindi

राज्य स्तर पर शैक्षिक प्रशासन
राज्य स्तर पर शैक्षिक प्रशासन

राज्य स्तर पर शैक्षिक प्रशासन की विवेचना कीजिए।

शिक्षा वह सुनियोजित एवं उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया है, जिसके द्वारा देश के भावी नागरिकों के चिन्तन, अनुभूति और क्रिया में इस प्रकार का परिवर्तन लाने का प्रयास किया जाता है, जिससे वे प्रसन्न रहकर सफल जीवन व्यतीत कर सकें तथा समाज और देश के विकास में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। इस दृष्टिकोण से किसी देश के नागरिकों का सुसमायोजित जीवन और सामाजिक तथा राष्ट्रीय विकास वहाँ की शिक्षा-व्यवस्था पर ही निर्भर होता है।

राज्यपाल राज्य का संवैधानिक अध्यक्ष होता है। उसको शासन कार्यों में परामर्श देने के लिए प्रत्येक राज्य में एक मंत्रि-परिषद् होती है। मंत्रि-परिषद् का अध्यक्ष मुख्यमंत्री होता है। मंत्रि-परिषद् के मंत्रियों में एक शिक्षामंत्री होता है। शिक्षामंत्री शिक्षा से सम्बन्धित नीतियों एवं मामलों के लिए उत्तरदायी होता है। बहुत से राज्यों में शिक्षामंत्री की सहायता के लिए एक या दो उपमंत्री होते हैं।

शिक्षा-विभाग के अधिकारी तीन स्तरों पर कार्य करते हैं। यह स्तर-
(1) निदेशालय स्तर (2) क्षेत्रीय स्तर तथा (3) जिला स्तर।

कुछ राज्यों में एक और स्तर है जो कि ब्लॉक स्तर के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार राज्य में शिक्षा-प्रशासन निम्नलिखित स्तरों पर संचालित होता है-

राज्य स्तर
1. शिक्षा-मन्त्री
2. उप-शिक्षामंत्री
3. शिक्षा सचिव
4. संयुक्त शिक्षा सचिव
5. अतिरिक्त शिक्षा सचिव
6. शिक्षा उप-सचिव महासचिव
7. शिक्षा निदेशक या संचालक
8. उप-संचालक व सह-संचालक
9. क्षेत्रीय शिक्षा संचालक
10. जिला विद्यालय निरीक्षक
11. अतिरिक्त जिला. वि. निरीक्षक
12. बेसिक शिक्षा अधिकारी
13. बेसिक शिक्षा अधिकारी

केन्द्र की भाँति प्रत्येक राज्य द्वारा शिक्षा मन्त्रालय की स्थापना की गई है। मन्त्रालय में अनेक विभाग हैं जो अनेक पदाधिकारियों के अधीन हैं। प्रत्येक स्तर की शिक्षा पृथक्-पृथक संचालकों द्वारा सम्पन्न की जाती है। उच्च शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय सम्बन्धी कॉलिजों को स्थापना की गई है। माध्यमिक स्तर की संस्थायें माध्यमिक शिक्षा संचालन के अधीन हैं। प्राथमिक शिक्षा को अलग रखा गया है, जो बेसिक शिक्षा अधिकारी के अधीन कर दी गई है। प्रत्येक राज्य में प्राथमिक स्तर के शिक्षकों के प्रशिक्षण सम्बन्धी सुधारों के लिए प्रत्येक राज्य में एक संस्थान की स्थापना की गई है। जिसके द्वारा विकास सम्बन्धी विभिन्न सुझाव समय-समय पद प्रदान किए जाते हैं।

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