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भारत में शैक्षिक प्रशासन की समस्याएं और उनकी समस्याओं के समाधान हेतु सुझाव

भारत में शैक्षिक प्रशासन की समस्याएं और उनकी समस्याओं के समाधान हेतु सुझाव
भारत में शैक्षिक प्रशासन की समस्याएं और उनकी समस्याओं के समाधान हेतु सुझाव

भारत में शैक्षिक प्रशासन की समस्याएं का उल्लेख करते हुए उनकी समस्याओं के समाधान हेतु अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।

हमारे भारत में शैक्षिक प्रशासन की मुख्य समस्याएं निम्न हैं—

  1. शैक्षिक प्रशासन के ढाँचे के अन्तर्गत जनतान्त्रिक मूल्यों की उपेक्षा की जाती है।
  2. शिक्षा का प्रशासनिक ढाँचा सामान्य रूप से शैक्षिक कार्य को तो करना चाहता है. लेकिन कोई भी शिक्षा की समस्याओं पर ध्यान नहीं देता।
  3. शैक्षिक प्रशासन की एक मुख्य समस्या शिक्षा संचालकों और शिक्षा सचिवों के मध्य सामंजस्य का अभाव है।
  4. विभिन्न मन्त्रालयों द्वारा शिक्षा के विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन करने से उनकी आवृत्ति हो जाती है। यह दोहरापन शिक्षा के अपव्यय की ओर संकेत करता है।
  5. विभिन्न मंत्रालय शिक्षा के अनेक कार्यक्रमों का संचालन करते हैं। लेकिन ऐसा करने से इन मन्त्रालयों को, शिक्षा मन्त्रालया के साथ शैक्षिक नीति एवं कार्यों का संचालन करने में कठिनाई अनुभव होती है।

समस्याओं के समाधान हेतु सुझाव –

  1. शिक्षा सम्बन्धी नीतियों के निर्धारण में शिक्षा संचालन के सभापतित्व में माध्यमिक शिक्षा परिषद् का गठन किया जाना चाहिए।
  2. शिक्षा संचालक उपशिक्षा सचिव के पदपर भी कार्य करे जिससे वह अपने कार्यों का संचालन शिक्षामंत्री के परामर्श से उचित प्रकार से कर सकें।
  3. शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में शिक्षा मंत्रालयों के मंत्री एक परिषद् का गठन करें। इस परिषद् का कार्य विभिन्न मन्त्रालयों द्वारा संचालित शैक्षिक कार्यों की योजना बनाना होना चाहिए।
  4. जिला विद्यालय निरीक्षक शैक्षिक समस्याओं के प्रति निरन्तर सचेत रहें।
  5. केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार परिषद् द्वारा भारत की शैक्षिक समस्याओं का अध्ययन किया जाये तथा इस परिषद् द्वारा प्रस्तुत सुझावों को लागू किया जाये।

कोठारी आयोग द्वारा प्रस्तुत सुझाव

  1. राज्य स्तर पर शिक्षा परिषद् का निर्माण किया जाये। इसका कार्य मंत्रालय के कार्यों का मूल्यांकन करना हो।
  2. अराजपत्रित स्टाफ हेतु सेवाकालीन पाठ्यक्रम आयोजित किया जाये।
  3. राज्य एवं केन्द्रशासित प्रदेशों में शिक्षा अधिनियम बनाया जाये। इस अधिनियम के अनुसार ही शिक्षा प्रशासन की पुनर्व्यवस्था की जाये।
  4. शिक्षा अधिकारियों के प्रशिक्षण हेतु स्टॉफ कॉलेज खोले जायें।
  5. भारतीय शिक्षा सेवा का गठन राष्ट्रीय स्तरपर किया जाये। इस सेवा के अधीन संचालक, जिला स्तर के अधिकारी, केन्द्र एवं प्रदेश के शिक्षालयों के प्रधानाचार्यों एवं शिक्षकों के पद हों।

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