B.Ed. / BTC/ D.EL.ED / M.Ed.

विश्व शांति के महत्त्व एवं विकास | Importance and development of world peace

विश्व शांति के महत्त्व एवं विकास
विश्व शांति के महत्त्व एवं विकास

विश्व शांति के महत्त्व एवं विकास पर प्रकाश डालिए।

विश्व शांति का महत्त्व- वर्तमान समय की स्थिति को देखते हुए शान्ति मूल्यों को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया जाना चाहिए। शिक्षित व्यक्ति से समाज एवं राष्ट्र द्वारा बहुत अपक्षाएँ की जाती हैं। इन अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए प्राथमिक स्तर से ही शांति मूल्यों की शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। शांति मूल्यों के विकास की आवश्यकता एवं महत्त्व को निम्नवत् रूप में स्पष्ट किया जा सकता हैं-

(1) वर्तमान समय में समाज में फैले द्वेष एवं राजनीतिक दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए शांति मूल्यों का विकास प्राथमिक स्तर से ही करना आवश्यक जिससे कि स्वस्थ समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके।

(2) सार्वजनिक हित की भावना का विकास करने के लिए तथा स्वार्थ की भावना की समाप्ति के लिए शांति मूल्यों का विकास प्राथमिक स्तर से ही करना जरूरी है, जिससे परिपक्वावस्था तक छात्रों द्वारा मानवीय मूल्यों को आत्मसात् किया जा सके एवं अपने कार्य एवं व्यवहार में मूल्यों का प्रयोग किया जा सके।

(3) विश्व बंधुत्व की भावना का विकास करने हेतु भी शांति मूल्यों की आवश्यकता है। आज के वैश्विक समाज में इस प्रकार की द्वेष भावना पायी जाती है कि यह विदेशी है या भारतीय इस भेद भाव को दूर करने के लिए आवश्यक है कि छात्रों को यह बताया जाए कि वे सबसे पहले मानव हैं, इसके बाद किसी देश के नागरिक हैं।

(4) अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के विकास के लिए भी शांति मूल्यों की जरूरत है क्योंकि जब हम शांति मूल्यों को स्वीकार करते हैं तभी हम क्षेत्रवाद एवं जातिवाद को छोड़कर अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना की ओर अग्रसर होते हैं।

(5) अन्तर्राष्ट्रीय शांति एवं वैश्विक विकास के लिए भी शांति मूल्यों के विकास की आवश्यकता होती है। आज विश्व एवं वैश्विक विकास के लिए भी शांति मूल्यों के विकास की जरूर होती है। आज विश्व स्तर पर विकास की भावना का जागृत होना तथा समस्याओं के समाधान को बातचीत के आधार पर हल करने की पहल शांति मूल्यों के विकास का ही परिणाम है।

(6) मानव के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है कि उसमें शांति मूल्यों का विकास हो, क्योंकि शांति मूल्य किसी एक पक्ष से संबंधित न होकर मानव के समस्त पक्षों से संबंधित होते हैं, जो कि विकास का आधार बनते हैं।

विश्व शान्ति का मूल्य विकास-

शान्ति मूल्यों का क्षेत्र व्यापक है। इस संसार की प्रत्येक क्रिया प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से शान्ति मूल्यों से संबंधित होती है। शान्ति मूल्यों की प्रक्रिया को मानवीय आवश्यकताओं द्वारा ही निर्धारित किया जाता है। सर्वांगीण विकास के लिए प्रमुख शांति मूल्यों का वर्णन तथा प्रमुख शांति मूल्यों के विकास में शिक्षा के योगदान का वर्णन निम्नवत् रूप से किया जा सकता है-

(1) शारीरिक मूल्य- सामान्य रूप से शारीरिक मूल्य शांति मूल्यों से संबंधित होते हैं। जब तक मानव शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं होगा, तब तक उससे उचित सदाचार युक्त आचरण की आशा सम्भव नहीं होगी।

शिक्षा के योगदान स्वरूप प्राथमिक स्तर से ही बालकों को खेलकूद के माध्यम से तथा संतुलित भोजन का ज्ञान प्रदान करके शारीरिक स्वास्थ्य के विषय में ज्ञान प्रदान किया जाता है, जिससे बालक प्रारम्भिक अवस्था में ही शारिरिक स्वास्थ्य के बारे में समझ सकें शिक्षा के माध्यम से बालकों को विभिन्न प्रकार के आसनों का ज्ञान भी कराया जाता है, जिससे बालक प्रारम्भिक अवस्था में ही शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में समझ सकें। शिक्षा के माध्यम से बालकों को विभिन्न प्रकार के आसनों का ज्ञान भी कराया जाता है, जिससे वे शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थता को प्राप्त करते हैं। इस प्रकार की शिक्षा अनेक प्रकार के शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी सूचनाएँ छात्रों को प्रदान करती हैं।

(2) आर्थिक मूल्य- आर्थिक मूल्य भी शांति मूल्यों से संबंधित होत हैं, जैसे- समाज में धन का असमान वितरण है। एक व्यक्ति को दो समय का भोजन भी नहीं मिल पाता वहीं दूसरी ओर एक व्यक्ति के पास अपार सम्पत्ति है।

शिक्षा के माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति को आर्थिक शोषण से मुक्त बनाया जाता है। प्राथमिक स्तर से ही छात्रों को बताया जाता है कि उनको अपनी इच्छानुसार ही व्यवसाय चयन करने का अधिकार है। तथा छात्रों की कुशलता के अनुसार ही शिक्षा की व्यवस्था की जाती है। व्यावसायिक निर्देशन के माध्यम से छात्रों को उनकी योग्यता एवं रुचि के अनुसार व्यवसाय चयन करने की सुविधा शिक्षा द्वारा ही प्राप्त होती है। इस प्रकार शिक्षा आर्थिक असमानता को दूर करते हुए आर्थिक मूल्यों का विकास करते हुए अपनी भूमिका का निर्वहन करती है, जिससे कि शांति मूल्यों का विकास तीव्र गति से हो सके।

(3) राजनैतिक मूल्य- राजनैतिक मूल्य भी प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से मानवीय मूल्यों से ही संबंधित होते हैं; जैसे- राजतंत्रीय व्यवस्था में राजाओं द्वारा शान्ति मूल्यों को त्यागकर स्वार्थवादिता एवं प्रमाद को अपनाया गया। परिणामस्वरूप प्रजातंत्र की व्यवस्था अपनायी गयी।

(4) सामाजिक मूल्य- मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। सामाजिक व्यवस्था के अन्तर्गत आदर्शवादिता एवं सामाजिक समरसता को मानवीय मूल्यों की श्रेणी में ही माना जाता है। विद्यालयीय परिवेश में सभी बालकों के साथ निष्पक्षतापूर्वक समान व्यवहार किया जाता है, जिससे बालकों में किसी प्रकार की जातिगत, धर्मगत भेदभाव न उत्पन्न हो सके। इस प्रकार शिक्षा आदर्शवादी सामाजिक मूल्यों का विकास करके शांति मूल्यों के विकास में सहयोग प्रदान करती है।

(5) नैतिक मूल्य- नैतिक मूल्य भी शांति मूल्यों का ही एक अंग है। नैतिकता से आचारण के रूप में स्वीकार किया जाता है।

शिक्षा के माध्यम से शांति मूल्यों का विकास किया जाता है। सदैव बालकों को प्राथमिक स्तर से ही ऐसे कार्यों की प्रेरणा दी जाती है जो नैतिकता से संबंधित होते हैं, जैसे- अंधे व्यक्ति को सड़क पार कराना, गरीब व्यक्तियों की सहायता करना, वृद्ध जनों की सेवा करना तथा माता-पिता की आज्ञा का पालन करना आदि। इन सभी नैतिक मूल्यों में शांति मूल्य समाहित हैं। नैतिक शिक्षा को प्राथमिक स्तर से ही पृथक् विषय के रूप में स्वीकार किया गया है क्योंकि नैतिकता के अभाव में मानव को सच्चे अर्थों में मानव नहीं बनाया जा सकता।

(6) पर्यावरणीय मूल्य- पर्यावरणीय मूल्य भी शांति मूल्यों का प्रमुख अंग होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाना चाहता है तथा प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करना चाहता हैं। भारतीय संस्कृति में नदियों, वृक्षों एवं पहाड़ आदि प्राकृतिक संसाधनों के प्रति श्रद्धा का भाव रखा जाता है।

शिक्षा द्वारा प्राथमिक स्तर से छात्रों में पर्यावरणीय संरक्षण एवं संतुलन सम्बन्धी मूल्यों का विकास किया जाता है। विद्यालय में जल स्रोतों को स्वच्छ रखने की आदत का विकास, वृक्षारोपण करना तथा वृक्षों को नष्ट करने से रोकना आदि तत्त्वों का ज्ञान प्रारम्भ से ही बालकों को विद्यालय में प्रदान किया जाता है।

(7) वैश्विक मूल्य- वैश्विक मूल्यों का संबंध भी शांति मूल्यों से होता है। वैश्विक मूल्यों के अन्तर्गत विश्व बन्धुत्व एवं अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना को सम्मिलित किया जाता है। जब तक कोई व्यक्ति मानवता के गुणों से सम्पन्न नहीं होगा तब तक वह विश्व बंधुत्व एवं अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के बारे में विचार नहीं कर सकता। शांति मूल्य व्यक्ति की विचारधारा को संकीर्णता से निकाल कर व्यापकता की ओर ले जाते हैं एवं व्यापकता के आधार पर ही विश्व शांति, विश्व मूल्यों जैसे- विश्व बन्धुत्व, विश्व कल्याण एवं विकास आदि का उदय होता है। अतः वैश्विक मूल्यों के उदय का आधार शान्ति मूल्यों को ही माना जा सकता है। शिक्षा के माध्यम से ही छात्रों में विश्वबन्धुत्व की भावना उत्पन्न की जाती है।

(8) सांस्कृतिक मूल्य- विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक मूल्यों का संबंध भी शांति मूल्यों से ही होता है। सांस्कृतिक मूल्य उस समाज में रहने वाले व्यक्तियों की आकांक्षा एवं भावनाओं को सूचित करते हैं। भारतीय संस्कृति के मूल्य मानवता एवं नैतिकता इस तथ्य को प्रभावित करते हैं कि भारत निवासी प्रत्येक व्यक्ति के मूल में मानवता एवं नौतिकता छिपी हुई है। इस प्रकार सांस्कृतिक मूल्य भी शांति मूल्यों का अभिन्न अंग हैं। सांस्कृतिक मूल्यों में विकास का प्रत्येक प्रयास शान्ति मूल्यों के विकास की ओर अग्रसर करता है।

शिक्षा के द्वारा संस्कृति के विकास के प्रयास के साथ-साथ उसका हस्तान्तरण भी किया जाता है। शिक्षा के माध्यम से विभिन्न प्रकार की संस्कृतियों में पायी जाने वाली विषमता को एकता की स्थिति उत्पन्न की जाती है। दूर करते हुए उनमें

(9) भौतिक मूल्य- जहाँ हम एक ओर मानवीय संस्कृति के बारे में विचार करते हैं वहीं भौतिक विकास को पृथक नहीं किया जा सकता। शांति मूल्यों के संदर्भ में चर्चा दया एवं परोपकार की बातें भूखे पेट रहकर नहीं की जा सकती। इसलिए मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति सभी के लिए आवश्यक है। अतः भौतिक विकास के अभाव में शांति मूल्यों की कल्पना नहीं की जा सकती। अतः यह देखा जा सकता है कि शांति मूल्यों के विकास के लिए भौतिक विकास के लिए भौतिक विकास को प्रमुखता प्रदान करना अनिवार्य है। अतः भौतिक मूल्यों का विकास शांति मूल्यों के विकास की ओर अग्रसर करता है।

(10) आध्यात्मिक मूल्यों का विकास- सामान्य रूप से यह देखा जाता है कि आध्यात्मिक मूल्यों का विकास भी शांति मूल्यों से घनिष्ट संबंध रखता है। आध्यात्मिक रूप से विकसित व्यक्ति में सवगात्मक स्थिरता पायी जाती है तथा वह दूसरे व्यक्तियों के प्रति संवेदनशीलता रखता है। जिसके आधार पर वह सभी प्राणियों के कल्याण में ही अपना कल्याण समझता है। इसलिए उसका कार्य एवं व्यवहार मानवता के अधिक समीप पाया जाता है। इस समीपता के कारण ही आध्यात्मिक मूल्यों के विकास के साथ ही स्वाभाविक रूप से शांति मूल्यों का विकास हो जाता है।

उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि शान्ति मूल्यों का क्षेत्र विधिवत समाज, राष्ट्र या राज्य से सम्बन्धित नहीं है, वरन् सम्पूर्ण मानवीय समाज से सम्बन्धित है। इस प्रकार से शांति मूल्यों का सम्बन्ध नहीं है, वरन् सम्पूर्ण मानवीय समाज से सम्बन्धित है। इस प्रकार से शांति मूल्यों का सम्बन्ध मानव के प्रत्येक विकासात्मक पक्ष से होता है।

Important Links

Disclaimer

Disclaimer: Sarkariguider.in does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment