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मूल्य शिक्षा की परिभाषा एवं इसके महत्त्व | Definition and Importance of value Education

मूल्य शिक्षा की परिभाषा एवं इसके महत्त्व
मूल्य शिक्षा की परिभाषा एवं इसके महत्त्व
मूल्य शिक्षा की परिभाषा दीजिए एवं इसके महत्त्व का विवेचन कीजिए। 
 
मूल्य शिक्षा से तात्पर्य- मूल्य शिक्षा से तात्पर्य विद्यार्थियों में मानवता, देश-प्रेम व  दूसरों के लिए कल्याण इत्यादि अनेक अच्छी भावनाओं का संचार करना है। मूल्य शिक्षा द्वारा मानव संस्कारित एवं योग्य बनाता है। मूल्य हमें ऐसे दृष्टिकोण की ओर प्रेरित करते हैं, जो हमारे जीवन में मन-मस्तिष्क को स्वच्छता प्रदान करते हैं।
 
मूल्यों के विकास में विद्यालय की आंतरिक व्यवस्था, शिक्षकों का आदर्श, आपसी सहयोग, बच्चों के प्रति भावनाओं आदि का विशेष महत्त्व है।
 
मूल्य शिक्षा की परिभाषाएँ- मूल्य शिक्षा को हम निम्नलिखित परिभाषाओं के माध्यम से परिभाषित कर सकते हैं-
 
बरटोन (1961) के अनुसार- “नैतिक विकास एवं संयुक्त घटना है, न कि पृथक्-पृथक् प्रक्रिया।”

लेविन (1964) के अनुसार “लालच की भावना में उच्चतम रुकावट सकारात्मक रूप में शारीरिक दण्ड की प्रक्रिया से है और नकारात्मक रूप से विचार और तर्कशक्ति की प्रक्रिया है।” 

गुरुराजा (1978) के अनुसंधान में पाया कि “नैतिक मूल्यों का ज्ञान, अभिप्राय पूर्णता से प्रभावित होता है।”

मूल्यों की शिक्षा सम्बन्धी महत्त्व मूल्यों के अभाव में एक सभ्य समाज की कल्पना व्यर्थ है। मूल्यों के विकास के माध्यम से ही बालकों एवं मनुष्यों को एक आदर्श नागरिक बनाया जा सकता है। मूल्यों के महत्त्व निम्नवत् हैं

(1) शिक्षा की व्यवस्था के सुधार में मूल्यों का महत्त्व अत्यन्त व्यापक है। बालकों को तब तक नहीं सुधारा जा सकता जब तक उनमें स्वानुशासन का बोध न हो जाए, इसके लिए मूल्यों का महत्त्वपूर्ण किरदार होता है।

(2) व्यक्ति के विकास में मूल्यों का अहम् किरदार होता है। इसके द्वारा सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक तथा मानवीय मूल्यों का विकास होता है।

(3) व्यक्ति के विकास में मूल्य महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं, इससे राष्ट्र के अंतर्गत ही नहीं, बल्कि समस्त विश्व में शान्ति कायम करने एवं विश्व बन्धुत्व की भावना के विकास में महत्त्वपूर्ण होता है।

(4) कर्तव्यों की समझ कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि इसके द्वारा बालक एवं व्यक्ति को उसकी जिम्मेदारी का अहसास होता है तथा वह इसके साथ उसमें कर्त्तव्यों का बोध भी हो जाता है।

(5) आध्यात्मिक विकास में मूल्यों का प्रमुख योगदान होता है। इसके द्वारा ईश्वर द्वारा बनाए गए इस संसार को समझाता है तथा उस ईश्वर को पाने का प्रयास करता है।

(6) आर्थिक सन्तुलन के लिए मूल्यों की शिक्षा महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इसके द्वारा ही व्यक्ति को अपने अच्छे एवं बुरे का ज्ञान होता है।

(7) मूल्यों के द्वारा ही जीवन स्तर को उठाया जा सकता है, जब व्यक्ति की सोच एवं विचारधारा बड़ी होगी, तभी उसे सफलता प्राप्त हो सकती है, जिससे मूल्य अहम् किरदार निभाते हैं।

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