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विश्व शांति के सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलु और इसके अन्तर

विश्व शांति के सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलु और इसके अन्तर
विश्व शांति के सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलु और इसके अन्तर
विश्व शांति के सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं को स्पष्ट करते हुए उनमें अन्तर कीजिए।

विश्व शांति के सकारात्मक एवं नकारात्मक- विश्व शांति हेतु सकारात्मक शांति एवं नकारात्मक शांति का विचार सर्वप्रथम जॉन गल्टंग ने दिया था। अतः उन्हें सकारात्मक एवं नकारात्मक शांति का जनक भी कहा जाता है। नकारात्मक शांति केवल हिस्सा या युद्ध की अनुपस्थिति को संदर्भित करती है। संघर्ष विराम के दौरान चलने वाली शांति नकारात्मक शांति का एक अच्छा उदाहरण हैं।

नकारात्मक शांति की मुख्य विशेषताएँ- हिंसा का अभाव निराशावादी उत्तेजकता होती है। नकारात्मक शांति सदैव शांतिपूर्ण साधनों से नहीं होती है। नकारात्मक शांति केवल हिंसा या युद्ध की अनुपस्थिति को दर्शाती है। इसमें प्रत्यक्ष हिंसा का अभाव हो सकता है परन्तु नकारात्मक शांति के दौरान संरचनात्मक हिंसा प्रचलित है। नकारात्मक शांति के किसी भी प्रकार के संघर्ष या हिंसा के प्रति उपचारात्मक दृष्टिकोण बनाने के लिए होती है और शांति के साधनों के बिना इस प्रकार की शांति बहाल हो सकती हैं। इस परिदृश्य में बल या मजबूरी का उपयोग आम है। हमारा समाज विभिन्न समूहों के मध्य परस्पर अविश्वास में रहता है। नकारात्मक शांति कभी-कभी हिंसा या युद्ध का सुझाव भी दे सकती है।

सकारात्मक शांति को सभी के लिए न्याय के रूप में परिभाषित किया गया है। इसका तात्पर्य केवल हिंसा की अनुपस्थिति नहीं है अपितु इसमें सभी के लिए न्याय की उपस्थिति पर अधिकाधिक बल दिया जाता है। सकारात्मक शान्ति ऐसी स्थिति है जहाँ संरचनात्मक एवं सीधी हिंसा के सभी प्रकार अनुपस्थिति है और सामाजिक न्याय समाज के सभी व्यक्तियों एवं वर्गों को दिया जाता है। इसके अतिरिक्त सकारात्मक शांति, शक्ति एवं संसाधनों के उचित वितरण को संदर्भित करती है, जहाँ सभी व्यक्ति वास्तव में किसी भी प्रत्यक्ष और संरचनात्मक प्रतिरोध के बिना अपनी वास्तविक क्षमता का पता लगा सकते हैं और अपने लक्ष्यों को सफलतापूर्वक एवं शान्तिपूर्वक प्राप्त कर सकते हैं। यह ऐसे समाज को दर्शाता है जहाँ सभी प्रकार के भेदभाव, असमानता एवं हिंसा अनुपस्थिति है और समाज सहयोग, सद्भाव, सहिष्णुता एवं सम्मान की नींव पर बनाया गया है। सकारात्मक शांति का तात्पर्य यह नहीं है। कि असफलता एवं संघर्ष की अनिवार्यता सदैव बनाए रखी जाए। सकारात्मक एवं नकारात्मक शांति में मुख्य अन्तर यह होता है कि सकारात्मक शांति में उत्पन्न हुए संघर्षों को रचनात्मक तरीके से पार्टियों, समूहों या राष्ट्रों के मध्य सहयोग के आधार पर हल किया जाता है एवं संरचनात्मक सुधारों के माध्यम से प्रत्येक पक्ष की वैध माँगों को पूरा करना होता है। अतः सकारात्मक शांति सामूहिक प्रयासों के माध्यम से सामाजिक समृद्धि प्राप्त करने हेतु एक दूसरे के साथ सहयोग करना होता है।

सकारात्मक एवं नकारात्मक विश्व शांति में अन्तर-

सकारात्मक शांति नकारात्मक शांति
(1) ऐसी शांति की स्थिति जहाँ प्रत्यक्ष एवं साकारात्मक हिंसा की अनुपस्थिति हो अथवा बहुत कम हो। (1) इसमें युद्ध की अनुपस्थिति होती हैं।
(2) अहिंसक एवं सकारात्मक संघर्ष परिवर्तन होता है। (2) यह युद्ध की तैयारी का काल भी हो सकता है।
(3) सकारात्मक शांति एक परिवर्तनकारी एवं रचनात्मक लक्ष्य है क्योंकि यह उत्पीडन तथा उन्मूलन को समाप्त करने के लिए समाज के ढाँचे को बदलना है। (3) संघर्ष प्रबन्धन एवं संघर्ष संकल्प नकारात्मक शांति होने के लिए होत हैं।
(4) सकारात्मक शांति एक विकसित समाज की व्यवस्था है। (4) नकारात्मक विश्व शांति एक रूढ़िवादी लक्ष्य होता है क्योंकि इसमें स्थितियाँ एक समान ही रहती है।

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