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मानसिक रूप से पिछड़े बालक किसे कहते हैं? बुद्धिलब्धि के आधार पर इनका वर्गीकरण कीजिए।

मानसिक रूप से पिछड़े बालक किसे कहते हैं? बुद्धिलब्धि के आधार पर इनका वर्गीकरण कीजिए।
मानसिक रूप से पिछड़े बालक किसे कहते हैं? बुद्धिलब्धि के आधार पर इनका वर्गीकरण कीजिए।

मानसिक रूप से पिछड़े बालक किसे कहते हैं? बुद्धिलब्धि के आधार पर इनका वर्गीकरण कीजिए।

कुछ बालक मानसिक रूप से उप-सामान्य बालक कक्षा में अध्यापक से शिक्षा कार्य को समझने में असमर्थ होते है। या आसानी से समझ नही पाते। ऐसे बालको को मन्द बुद्धि बच्चों की श्रेणी में रखा जाता है। यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि ऐसे बालको की ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

बालको को उनके बुद्धिलब्धि के आधार पर ही वर्गीकृत किया जाता है। टरमन के अनुसार 70 से कम बुद्धिलब्धि (IQ) वाले बालक को मन्द बुद्धि बालक कहते है। ऐसे बालक किसी भी शारिरीक तथा मानसिक रोग के कारण मन्द बुद्धि का प्रदर्शन करते हैं। और अपनी आयु के स्तर के अनुसार किसी कार्य को करने में असमर्थ होते है। इस दोष का परिणाम यह होता है। कि उनमें कई प्रकार की हीन ग्रन्थियाँ पैदा हो जाती है। मन्द बुद्धि बालक हर ओर से उपेक्षित रहते है।

मानसिक रूप से पिछड़े ऐसे बालक संवेगात्मक स्थिरता, सामाजिक परिपक्वता तथा बौद्धिक प्रवीणता में भी पिछड़े रहते हैं। कई बार ऐसे बच्चे शारीरिक रूप से तो परिपक्व हो जाते हैं लेकिन उनका सामाजिक और संवेगात्मक व्यवहार उनकी आयु के बच्चों से बहुत पिछड़ा हुआ होता है।

आईजेक के अनुसार, “मानसिक क्षमताओं का अपूर्ण एवं अप्रयाप्त सामान्य विकास” ही मानसिक मन्द बुद्धिता कहलाता है।

पेज के अनुसार, मानसिक मन्द बुद्धिता मानसिक विकास की उप सामान्य स्थिति है जो बच्चे मे जन्म के समय विद्यमान होती हैं। या प्रारम्भिक बाल्यकाल मे पैदा हो जाती है। इसकी मुख्य विशेषता है सीमित बौद्धिक और सामाजिक अपर्याप्तता।

हेक के अनुसार, मन्द बुद्धि बालक वे है जो किसी कार्य को करने में इसलिए असमर्थ होते हैं क्योंकि उनमें मानसिक परिपक्वता की कमी होती है।

बुद्धिलब्धि के आधार पर वर्गीकरण

बुद्धिलब्धि के आधार पर किया गया वर्गीकरण सभी द्वारा मान्य वर्गीकरण नहीं है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों के मन्द बुद्धि की भिन्न भिन्न सीमाएँ बताई है। लेकिन इस बात पर सभी सहमत हैं कि इन बालकों का मानसिक विकास सामान्य बच्चों की तुलना में बहुत कम होता है। मानसिक क्रियाओ मे ये बालक सामान्य बच्चों के बराबर नहीं हो सकते।

युनेस्को के एक प्रकाशन ने मन्द बुद्धि बालको की बुद्धिलब्धि (IQ) के स्तर प्रकाशित किये थे जो इस प्रकार है। –

क्र.स. मानसिक न्यूनता की श्रेणी लगभग बुद्धि स्तर
1. जड़ 0-19
2. हीन बुद्धि 20-49
3. दुर्बल बुद्धि 50-69
4. मन्द तथा पिछड़ा 70-80

एक अन्य वर्गीकरण के अनुसार मानसिक रूप से विकलांग बच्चे निम्न प्रकार के हो सकते है-

(a) जड़ बुद्धि या मूर्ख- इस वर्ग के बच्चो की बुद्धिलब्धि (IQ) 20-25 तक होती  है। ये मूर्ख सबसे निम्न श्रेणी के होते है। इनका मानसिक स्तर निम्न होता है कि ये कोई भी कार्य स्वयं नहीं कर पाते। यहाँ तक कि इन्हें खाना भी खिलाना पड़ता है। तथा कपड़े भी दूसरो द्वारा ही पहनाये जाते है। ऐसे बच्चो की सुरक्षा विशेष रूप से करनी पड़ती है। इस वर्ग के बच्चे कुछ भी सीखने में असमर्थ होंगे। ऐसे बच्चे आसानी से दुर्घटनाग्रस्त हो जाते है। उनमें जीवन रक्षा की इच्छा की कमी होती है। ऐसे बच्चे बहुत ही लाचार होते है।

(b) कम या मूढ़ बुद्धि- उनकी बुद्धि लब्धि की सीमा 26-50 तक है। ऐसे बच्चे भी पढ़ लिख नहीं सकते। इन्हें भी दिनचर्या के कई कार्य सिखाये जाते है। स्वयं की रक्षा के प्रति सचेत किया जाता है। लेकिन स्वतन्त्र जीवन व्यतीत करने में ये सभी असमर्थ होते है। इनका मानसिक विकास तथा मानसिक योग्यताएँ बहुत कम होती है। ये भी स्वयं की देखभाल नहीं कर सकते।

(c) असहाय या मूर्ख बुद्धि- इनकी बुद्धिलब्धि 51-70 तक होती है। ये बालक भी बहुत कम पढ़ लिख सकते है। इनका अधिगम बहुत ही धीमी गति से होता है। ऐसे बच्चों को किसी अकुशल कार्य में शिक्षा प्रदान की जा सकती है। इन्हें घरेलू कार्य के लिए तैयार किया जा सकता है। सामान्य स्कूल शिक्षा उनके लिए भी कठिन होती है। वे शारिरीक दृष्टि से सामान्य होते है। ये कुछ ट्रेनिंग के बाद अपनी रोटी कमा सकते है।

(d) सीमान्त बच्चे:- इस प्रकार के बच्चों की बुद्धिलद्धि 71-80 के बीच होता है। ऐसे बालक कक्षा में अन्य बच्चों के साथ नहीं चल सकते हैं। ये जन संख्या का अधिकतर हिस्सा होते हैं। ये सामान्य बालको जैसी क्षमताओ और योग्यता के बहुत निकट होते हैं।

अमेरिकन एसोसिएशन (1973) के अनुसार बुद्धिलब्धि के आधार पर मन्दबुद्धि बालकों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से है-

1. गम्भीर रुप से मन्द-बुद्धि बालक- इस वर्ग के बालकों की बुद्धिलब्धि 25 से कम होती है। इन बालकों में भाषा का विकास बहुत कम होता है। वे बहुत अधिक देखभाल चाहते है। उनमे साधारण कार्य करने की भी योग्यता नहीं होती है। शारीरिक संरचना में भी बहुत विकृतियाँ होती है। इनका स्वास्थ्य दुर्बल होता है। रोगों के प्रति प्रतिरोध बहुत कम होता है।

2. तीव्र रुप से मन्द-बुद्धि बालक- इन बालकों की बुद्धिलब्धि 25 से 39 तक होती है। उचित प्रशिक्षण द्वारा वे आसान भाषा और संकेत द्वारा संप्रेषण करने की योग्यता ग्रहण कर लेते हैं। इनमे संवेगात्मक अस्थिरता रहती है।

3. मध्यम रूप से मन्द-बुद्धि बालक- ऐसे बालकों की बुद्धि-लब्धि 40 से 54 तक होती है। ऐसे बच्चे सामाजिक सम्पर्क स्थापित नहीं कर सकते हैं। इनका गयात्मक विकास धीमा होता है। ऐसे बालकों को उचित प्रशिक्षण द्वारा सामायोजित किया जा सकता है। ये सामान्य स्कूलों में पढ़ने में सक्षम नहीं होते। विशिष्ट परीक्षण द्वारा बच्चे थोड़ा बहुत पढ़ना लिखना सीख जाते हैं। कुछ बालक तो बोलचाल की भाषा अच्छी प्रकार से सीख लेते है।

4. अल्प रूप से मन्द-बुद्धि बालक- इस वर्ग के बालको को बुद्धिलब्धि 56 से 69 तक होती है। सामान्य बालको की तुलना में इस वर्ग के बच्चे कुछ सुस्त प्रकृति के होते है। उनमे उत्सुकता, संवेगात्मक प्रतिक्रियाओं मे सहजता की कमी होती है। ऐसे बच्चों को आसानी से बेवकूफ बनाया जा सकता है। तथा उनमे समाज विरोधी कार्य कराये जा सकते है। इनमें अमूर्त चिन्तन करने की योग्यता सीमित होती है। स्कूल में इनकी उपलब्धियाँ सीमित होती है।

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