भारतीय शिक्षा आयोग द्वारा प्राथमिक शिक्षा के सम्बन्ध में दिये गये सुझाव
भारतीय शिक्षा आयोग द्वारा प्राथमिक शिक्षा के सम्बन्ध में दिये गये सुझाव निम्न प्रकार हैं
1. प्राथमिक शिक्षा का प्रशासन एवं वित्त –
आयोग ने सुझाव दिया कि स्थानीय निकायों को प्राथमिक शिक्षा के प्रशासन एवं वित्त का कार्य दिया जाये और यह भी कहा कि ये संस्थायें प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना अपने क्षेत्र में करेंगीं। स्थानीय निकायों को अन्य कार्य भी सौपे गये, जैसे शिक्षकों की नियुक्ति, शिक्षकों के वेतन का भुगतान तथा अन्य सभी व्यय वहन करेंगी।
2. प्राथमिक शिक्षा के उद्देश्य-
आयोग द्वारा प्राथमिक शिक्षा के मुख्य रूप से दो उद्देश्य निश्चित किये – (i) जन शिक्षा का प्रसार (ii) व्यावहारिक जीवन की शिक्षा
3. प्राथमिक शिक्षा की पाठ्यचर्या-
सभी प्रान्तों की प्राथमिक शिक्षा की पाठ्यचर्या में व्यावहारिक गणित, बहीखाता, सरल विज्ञान और आरोग्य विज्ञान के सामान्य ज्ञान को अनिवार्य रूप में रखा जाये। प्रान्तीय परिस्थिति के अनुसार कृषि, पशुपालन, कताई, बुनाई आदि में से किसी एक की सामान्य शिक्षा की व्यवस्था की जाये।
4. प्राथमिक शिक्षा का माध्यम-
आयोग द्वारा दिये गये सुझाव के अनुसार प्राथमिक शिक्षा का माध्यम देशी भाषाएँ (प्रान्तीय भाषाएँ) होनी चाहिये।
5. प्राथमिक शिक्षा हेतु शिक्षकों का प्रशिक्षण –
आयोग के सुझाव के अनुसार प्राथमिक विद्यालयों में प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति की जाये। शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिये नार्मल स्कूलों की संख्या में बढ़ोत्तरी की जाये।
6. प्राथमिक देशी पाठशालाओं को प्रोत्साहन –
आयोग ने प्राथमिक शिक्षा के प्रसार के लिये देशी पाठशालाओं को प्रोत्साहन देने पर बल दिया। इनके निम्न स्तर को ऊँचा उठाने के लिये चार सुझाव दिये-
(i) भवन निर्माण तथा अध्यापकों के वेतन भुगतान के लिये सभी देशी पाठशालाओं को अनुदान दिया जाये।
(ii) इन देशी पाठशलाओं की पाठ्यचर्या में हस्तक्षेप न करते हुये, उपयोगी विषयों का समावेश किया जाये।
(iii) देशी पाठशलाओं के निर्धन छात्रों को छात्रवृत्तियाँ दी जायें।
(iv) इन विद्यालयों के शिक्षकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाये।
भारतीय शिक्षा आयोग द्वारा माध्यमिक शिक्षा के सम्बन्ध में दिये गये सुझावों का वर्णन कीजिये।
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