मानवाधिकार एवं मूल अधिकारों में अन्तर स्पष्ट कीजिए। अथवा मानवाधिकारों एवं मौलिक अधिकारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
मानवाधिकार या मानव अधिकार ऐसे अधिकार को कहा जाता है जो कि प्राकृतिक है और प्रकृति में अन्तर्निहित है और जिसके बिना मानव, मानव की तरह जीवित नहीं रह सकता है। स्थूल रूप से मानव अधिकार वह मौलिक एवं अन्य संक्राम्य अधिकार हैं जो मानव जीवन के लिए आवश्यक होते हैं। अन्य शब्दों में, मानव अधिकार ऐसे अधिकार हैं जो मानव होने के नाते प्रत्येक मानव के हैं चाहे वह मानव किसी भी राष्ट्रीयता, धर्म, लिंग, प्रजाति या नस्ल का हो।
अतः ऐसे अधिकारों को मानव अधिकार कहा जा सकता है जो प्राकृतिक हैं तथा प्रकृति में अन्तर्निहित हैं तथा जिनके बिना मानव, मानव की भाँति जीवित नहीं रह सकता है। मानव अधिकार मानव की एक ऐसे जीवन की ओर बढ़ती हुई माँग पर आधारित हैं जिसमें मानव की अन्तर्निहित गरिमा एवं गुण का सम्मान हो तथा उसे संरक्षण प्रदान किया जाए। मानव अधिकार तथा मौलिक स्वतन्त्रताएँ मानव को अपने गुणों, ज्ञान, प्रतिभा तथा अन्तर्विवेक का विकास करने में सहायक होते हैं जिससे मानव की भौतिक, आध्यात्मिक एवं अन्य प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति एवं सन्तुष्टि होती है। इसलिए मानव अधिकारों को कभी-कभी मौलिक या मूल नैसर्गिक अधिकार भी कहा जाता है क्योंकि यह वे अधिकार हैं जो किसी विधायी कार्य अथवा सरकार के कार्य से छीने नहीं जा सकते हैं। चूँकि मानव अधिकारों को किसी विधायिका अथवा सरकार द्वारा निर्मित नहीं किया गया है इसलिए उन्हें छीनने का अधिकार भी इन्हें नहीं है। मानव अधिकारों को सामान्य अधिकारों’ के रूप में भी वर्णित किया जाता है, क्योंकि वे अधिकार सम्पूर्ण विश्व के स्त्री एवं पुरुषों के उसी प्रकार से हैं; जैसे कि इंग्लैण्ड की कॉमन विधि के अन्तर्गत अधिकार जो स्थानीय प्रथाओं से भिन्न ऐसे नियमों एवं प्रथाओं का समूह है जोकि सम्पूर्ण इंग्लैण्ड नियन्त्रित करता है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर में उल्लिखित मानव अधिकारों के विषय में चिन्ता कोई आधुनिक या नवीन बात नहीं है, बल्कि यह वास्तव में नैसर्गिक विधि एवं नैसर्गिक अधिकारों में भूतकाल में महान् आन्दोलनों का उत्तराधिकारी है तथा विश्व के सभी महान् धर्मों एवं दर्शन में तथा तत्कालीन विज्ञान के अन्तर्सम्बन्धों की खोज में मानव गरिमा तथा व्यक्ति एवं समुदाय के सम्मान की बातें कही गयी हैं। मानव अधिकारों एवं मौलिक स्वतन्त्रताओं के प्रति सम्मान को प्रोन्नति देना संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों में से एक है। संयुक्त राष्ट्र के अनुच्छेद 62(2) के अन्तर्गत आर्थिक तथा सामाजिक परिषद् को मानव अधिकारों एवं मौलिक स्वतन्त्रताओं को प्रोत्साहित करने के विषय में अधिकार प्रदान किये गये हैं जिसके लिए आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् अनुच्छेद 68 के अन्तर्गत कमीशन नियुक्त कर सकती है।
मावाधिकार एवं मोलिक अधिकारों में अन्तर
मानव अधिकार एवं मौलिक अधिकार में निम्न अन्तर है-
(1) मानवाधिकार एक विस्तृत अवधारणा है जबकि मूल अधिकार की अवधारणा संक्षिप्त है।
(2) मौलिक अधिकार का उल्लेख स्वयं में वाद योग्य है जबकि प्रत्येक मानव अधिकार स्वयं में वाद योग्य नहीं है सिर्फ वही मानवाधिकार स्वयं में वाद योग्य है जिन्हें मूल अधिकार के रूप में मान्यता प्राप्त है।
(3) प्रत्येक मौलिक अधिकार मानव अधिकार है जबकि सभी मानवअधिकार मौलिक अधिकार नहीं है।
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