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मानवीय मूल्यों की शिक्षा की अवधारणा एवं अर्थ | Concept and Meaning of Education of Human Values

मानवीय मूल्यों की शिक्षा की अवधारणा एवं अर्थ
मानवीय मूल्यों की शिक्षा की अवधारणा एवं अर्थ

मानवीय मूल्यों की शिक्षा की अवधारणा एवं अर्थ
Concept and Meaning of Education of Human Values

मानवीय मूल्यों की शिक्षा की अवधारणा अपेक्षाकृत आधुनिक एवं व्यापक है। परम्परागत रूप में प्रचलित धार्मिक शिक्षा तथा नैतिक शिक्षा आदि से यह भिन्न भी है। यह ‘अमुक कार्य करें’ (Do’s) तथा ‘अमुक कार्य मत करो’ (Don’t) की व्याख्या नहीं है। यह वह आस्था या विश्वास है कि कुछ कार्य निश्चित रूप से निरपेक्षतः अच्छे हैं और कुछ कार्य पूर्णत: या निरपेक्षत: बुरे हैं। इसमें कार्यों के पीछे निहित सदगुणों पर बल दिया जाता है। यह औचित्य के लिये शिक्षा’ (Education for importance) है। सामान्यतः मानवीय मूल्यों की शिक्षा से अभिप्राय: उस शिक्षा से है जिसमें हमारे नैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक मूल्य समाहित हैं। इसमें विभिन्न विषयों का मूल्यपरक बनाकर उनके माध्यम से विभिन्न मूल्यों को छात्रों के व्यक्तित्व में समाहित करने पर बल दिया जाता है, जिससे उनका सन्तुलित एवं सर्वतोन्मुखी विकास हो सके । मानवीय मूल्यों की शिक्षा को निम्नलिखित दो अर्थों में प्रयुक्त किया जाता है-

1. मूल्यों की शिक्षा- मूल्यों की शिक्षा के अन्तर्गत हम नैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक मूल्यों आदि की शिक्षा इतिहास, भूगोल,गणित, रसायनशास्त्र तथा भौतिकशास्त्र आदि की शिक्षा की भाँति एक स्वतन्त्र विषय के रूप में देना चाहते हैं।

2. मूल्यपरक शिक्षा- मूल्यपरक शिक्षा में सभी विषयों में मनोवैज्ञानिक ढंग से मूल्य समाहित करके निर्धारित मूल्यों के विकास पर बल दिया जाता है। इस शिक्षा में एकीकृत उपागम (Integrated approach) पर बल दिया जाता है।

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