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विद्यालय भवन का अर्थ तथा इसकी विशेषताएँ |Meaning & characteristics of School-Building

विद्यालय  भवन का अर्थ तथा इसकी विशेषताएँ

विद्यालय भवन का अर्थ

विद्यालय भवन का अर्थ

 विद्यालय भवन का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

1. विद्यालय-भवन का अर्थ (Meaning of School-Building): हमारे देश में विद्यालय-भवन निर्माण में जब से अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था लागू हुई है तब से यह समस्या और भी गम्भीर हो गयी है। बहुत कम भवन ऐसे मिलेंगे, जो उपयुक्त एवं पर्याप्त सुविधाएं लिये हों। अतः भवन के स्वरूप पर ध्यान देना अति आवश्यक है। आज भी अनेक विद्यालय अनुपयुक्त वातावरण तथा भवनों में चलाये जा रहे हैं। सर्वप्रथम भवन-निर्माण का निर्णय लेने पर स्थापत्य कलाकार की नियुक्ति करनी चाहिए। वह भली प्रकार से भवन निर्माण के कार्य-भार को वहन कर सकता है। वह ऐसा व्यक्ति है, जो अभियन्ताओं तथा विद्यालय-प्रबन्धकों के मध्य सामंजस्य स्थापित कर सकता है। विद्यालय-भवन का निर्माण करते समय स्वास्थ्य सम्बन्धी बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है। प्रत्येक कक्ष में वायु एवं प्रकाश के लिए उपयुक्त व्यवस्था होनी चाहिए। इसके लिए पर्याप्त मात्रा में खिड़की एवं रोशनदान होने चाहिए। एक कमरे से दूसरे कमरे में आने-जाने की भी व्यवस्था हो। सुरक्षा की दृष्टि से ऐसी व्यवस्था हो कि आवश्यकता पड़ने पर विद्यालय को कुछ ही मिनटों में खाली किया जा सके। इसके साथ-साथ निर्माण में मितव्ययता का भी ध्यान रखा जाए।

विद्यालय की विशेषता एवं संरचना

विद्यालय की संरचना हेतु निर्माण सम्बन्धी दो योजनाएं प्रचलित हैं-

  1. खुली योजना तथा
  2. बन्द योजना।

1. खुली योजना- खुली हुई योजनाओं में भिन्न-भिन्न रूप वाली इमारतों का उपयोग किया जाता है, जैसे-अंग्रेजी अक्षर की बनावट H टाइप, E टाइप, L टाइप, T टाइप,I टाइप,Y टाइप तथा टाइप।

2. बन्द योजना- बन्द योजनाओं में तीन रूप आते हैं-

  1. ठोस आयत (Solid rectangle)
  2. आयत (Rectangle)- इसके बीचों-बीच हॉल तथा अन्य कक्षों का निर्माण होता है।
  3. शून्य आयत (Hollow-rectangle)- इसमें बीच में खाली स्थान रहता है तथा उसके चारों ओर इमारत बनायी जा सकती है।

आजकल खुली योजनाओं का अधिक प्रचलन हो गया है। इसमें से कुछ मुख्य योजनाओं का प्रारूप निम्नलिखित है-

1. भीतरी प्रांगण वाला भवन- इस प्रकार के प्रांगण वाले भवन में अग्रलिखित कक्ष होते हैं-

  1. प्रधानार्चा का कक्ष
  2. अध्यापक कक्ष,
  3. कार्यालय,
  4. कक्षा-कक्ष एवं प्रयोगशाला,
  5. बदामदा तथा
  6. प्रांगण।

2. E के आकार वाला भवन- इसका आकार E जैसा होता है। इसमें निम्नलिखित कक्ष होतें हैं-

  1. प्रधानाचार्य का कक्ष,
  2. अध्यापक-कक्ष,
  3. हॉल,
  4. कक्षा-कक्ष तथा
  5. बरामदा।

3. U के आकार वाला भवन- U के आकार वाले भवन में निम्नलिखित कक्ष होते हैं-

  1. प्रधानाचार्य का कक्ष
  2. अध्यापक-कक्ष,
  3. हॉल,
  4. कक्षा-कक्ष तथा
  5. बरामदा।

4. H के आकार वाला भवन- इस आकार वाले भवन में भी निम्नलिखित कक्ष होते हैं-

  1. प्रधानाचार्य का कक्ष
  2. अध्यापक-कक्ष,
  3. कार्यालय,
  4. हॉल एवं मंच
  5. कक्षा-कक्ष,
  6. बरामदा।
  7. पुस्तकालय कक्ष
  8. घास का मैदान।

विद्यालय- भवन की योजना चाहे E प्रकार की हो, चाहे H प्रकार की अथवा भीतरी प्रांगण वाले भवन की परन्तु इस प्रकार के भवन में उपयुक्त कक्षा के प्रकोष्ठ हों, अध्यापकों के प्रकोष्ठ हों, भोजन-कक्ष, चिकित्सक-कक्ष, मल-मूत्रालय, व्यायामशाला एवं जलाशय आदि की भी व्यवस्था हो । सर्वप्रथम विद्यालय-भवन का प्लान (Plan) बनाकर विशेषज्ञों द्वारा उसका अनुमोदन करा लेना आवश्यक है। तत्पश्चात् उसके निर्माण कार्य का ठेका किसी अनुभवी ठेकेदार को देना चाहिए।

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