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जनसंचार के माध्यम | Media of Mass Communication

जनसंचार के माध्यम

जनसंचार के माध्यम

जनसंचार के माध्यम
Media of Mass Communication

जन संचार साधनों के शैक्षिक उपयोग में अग्रलिखित साधनों का उपयोग किया जाता है-

  1. यन्त्रीकृत साधन (Hardware)
  2. यन्त्रोत्तर साधन (Software)

1. यन्त्रीकृत साधन- इससे इंजीनियरिंग सिद्धान्त के प्रयोग का संकेत प्राप्त होता है। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित व्यवस्था होती है-

  1. स्लाइड प्रोजेक्टर (Slide Projector)
  2. टेप रिकॉर्ड्स (Tape-Recorders)
  3. गतिचित्र (Motion Picture)
  4. कम्प्यूटर्स (Computers)
  5. टी. वी. (Television)
  6. क्लोज्ड सर्किल टेलीविजन (Closed-Circle Television)
  7. फिल्म प्रोजेक्टर्स (Film Projectors)

2. यन्त्रोत्तर साधन- इस व्यवस्था में शैक्षिक तकनीकी का यन्त्रोत्तर तथा सीखने के सिद्धान्त के प्रयोग पर आधारित है। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित साधनों का उपयोग होता है-

  1. समाचार-पत्र (News papers)
  2. सन्दर्भ पुस्तकें (Reference books)
  3. पत्रिकाएँ (Magazines)
  4. शैक्षिक खेल (Educational games)
  5. फ्लैश कार्ड (Flash card)
  6. चित्र इत्यादि (Pictures etc.)

इस प्रकार से जन संचार सूचना, विचारों और मनोरंजक साधनों के जरिये संचार गतिविधियों द्वारा प्रसारित होता है। परम्परागत एवं आधुनिक दोनों ही प्रकार के संचार साधनों के बिना मानव के जीवन संसाधन का निर्माण सम्भव नहीं हो सकता है क्योंकि आधुनिक संचार के संसाधनों के अभाव में आधुनिक वैज्ञानिक प्रगति अवरुद्ध हो सकती है। जन संचार माध्यम ऐसे ही अद्भुत संचार यन्त्र हैं, जिनके द्वारा एक ही समाचार को एक बड़े जनमानस तक दूर-दूर एक ही समय में एक साथ एवं आसानी से पहुँचाया जा सकता है। इनमें से प्रमुख भूमिका का निर्वहन समाचार-पत्र, रेडियो, सिनेमा और दूरदर्शन के द्वारा सम्भव होता है। अतः हम कह सकते हैं कि इन जन संचार माध्यमों की शिक्षण में निम्नलिखित भूमिकाएँ होती हैं-

  1.  छात्रों को अधिगम हेतु प्रेरित करने के लिये ।
  2. छात्रों की ग्राह्य शक्ति में वृद्धि करने के लिये।
  3. शिक्षण उद्देश्यों को समुचित रूप में प्रेषित करने के लिये।
  4. कक्षा शिक्षण में बने प्रत्ययों को सुदृढ़ बनाने के लिये।
  5. सूचनाओं को समय के अनुसार संगठित करने के लिये।
  6. शिक्षण को सार्वभौमिक बनाने के लिये।
  7. शिक्षण प्रक्रिया को छात्रों के हित में रोचक बनाने के लिये।

आज हमारे देश में जन संचार माध्यमों का शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग प्रारम्भ हो गया है। रेडियो, दूरदर्शन तथा फिल्मों के माध्यम से जनसंख्या शिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा, कृषि शिक्षा और पर्यावरण शिक्षा आदि के प्रति लोगों को जागृत किया जा रहा है। इस प्रकार हम देखते हैं कि शिक्षा तकनीकी में जन संचार की निम्नलिखित उपयोगिताएँ सम्मिलित हैं-

  1. संचार को व्यक्ति अपनी शैक्षिक, बौद्धिक एवं संवेगात्मक रुचियों के अनुकूल ही प्राप्त करता है।
  2. संचार का स्तर संचार ग्रहणशीलता को प्रभावित करता है।
  3. संचार की सफलता का आधार संचार की नियमित मूल्यांकन होता है।
  4. संचारित भाषा स्पष्ट, बोधगम्य, सरल, प्रभावशील एवं भ्रान्तियों से रहित होनी चाहिये।
  5. संचारित विषय-सामग्री, समाज एवं उसकी मान्यताओं एवं आदर्शों के अनुरूप होनी आवश्यक है।
  6. संचारकर्ता को संचारित विषय सामग्री के अनुकूल वातावरण तैयार करना आवश्यक होता है।
  7. संचार की सफलता विषय-वस्तु की सम्प्रेषणशीलता एवं उपयुक्तता में निहित है।

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