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प्रतिभाशाली बालक कौन हैं? इसकी पहचान एंव विशेषताएँ

प्रतिभाशाली बालक कौन हैं? इसकी पहचान एंव विशेषताएँ
प्रतिभाशाली बालक कौन हैं? इसकी पहचान एंव विशेषताएँ

प्रतिभाशाली बालक कौन हैं? इसकी क्या विशिष्ट विशेषताएँ हैं? 

प्रतिभाशाली बालक कौन हैं?

सभी बालक एक जैसे नहीं होते। उनमें आपस में कई प्रकार की विभिन्नताएँ होती है। कई बार शारीरिक रूप से एक दूसरे से अधिक भिन्न है तो कई मानसिक रुप से। ये विभिन्नताएँ संक्षेप में सभी पक्षों को देखने को मिलती है। अतः जो बालक सामान्य बालकों से भिन्न होते हैं उन्हें अलग वर्ग में रखा जाता है। ऐसे बालकों में एक श्रेणी मेधावी छात्रों की भी होती है। जिनकी अपनी अलग विशेषताएँ, कठिनाइयाँ और शिक्षा के साधन होते है। जिनका अध्ययन करना अध्यापक के लिए अति आवश्यक हैं।

प्रतिभावान बालक विशेष प्रकार का ध्यान चाहते हैं। क्योंकि इन बालकों की बुद्धि अधिक होती है। ये बालक सामान्य बालकों से इतने अलग होते है कि इनके लिए विशेष प्रकार की शिक्षा, प्रशिक्षण और समायोजन की आवस्यकता होती है। अन्यथा ये दूसरे बालकों के साथ और कक्षा में उचित प्रकार से समायोजित नहीं हो पाते है। कई बार इनकी ओर ध्यान न देने से ये अनचाही दिशा की ओर अग्रसर होने लगते हैं।

प्रायः उच्च बुद्धि-लब्धि (IQ) वाले विद्यार्थी को ही प्रतिभाशाली माना जाता है। अतः प्रतिभावान बालक शब्द का अभिप्राय बालक की उच्च बुद्धि-लब्धि से लिया जाता है। टरमन के अनुसार, ” प्रतिभावान बालक शारीरिक विकास, शैक्षणिक उपलब्धि, बुद्धि और व्यक्तित्व में वरिष्ठ होते है”। प्रतिभावान बालको की परिभाषा में केवल बुद्धि-लब्धि वाले बालक ही सम्मिलित नही किए जाते बल्कि वे सभी बालक सम्मिलित किए जाते होते है। जो दूसरे बच्चो से किसी भी क्षेत्र में अति वरिष्ठ होते है। जैसे कलावर्ग साहित्य, काव्य रचना आदि।

कॉलसनिक के अनुसार, “वह प्रत्येक बालक जो अपनी आयु स्तर के बालको मे किसी योग्यता में अधिक हो और जो हमारे समाच के लिए कुछ महत्वपूर्ण नई देन दे”। पॉल विट्टीः ‘प्रखर बुद्धि बालक वह है। जो किसी कार्य को करने के प्रयास में निरन्तर उच्च स्तर बनाये रखता है। “

प्रतिभावान बालको की पहचान

प्रत्येक कक्षा या स्कूल में प्रतिभावान बालक होते है। लेकिन इनका पता लगाना और चयन करना आसान कार्य नही। इसके लिए अध्यापक को विभिन्न प्रविधियों का प्रयोग करना पड़ता है। अतः इन प्रविधियों का ज्ञान अध्यापक के लिए आवश्यक है अन्यथा विद्यार्थी की प्रतिभा दबकर रह जायेगी। इनकी पहचान या चयन लिए अध्यापक निम्नलिखित प्रविधियो का प्रयोग कर सकता है।

(i) बुद्धि परिक्षण- प्रतिभावान बालकों की पहचान के लिए अध्यापक विभिन्न प्रकार के बुद्धि परिक्षणो या परीक्षाओ का प्रयोग कर सकता है। ये बुद्धि-परीक्षायें अध्यापक व्यक्तिगत तौर पर या समूहों मे प्रयोग कर सकता है। इन परीक्षणों के लिए अध्यापकों का प्रशिक्षण अति आवश्यक है।

(ii) उपलब्धि परीक्षाएँ- बुद्धि परीक्षाओ के अतिरिक्त बालकों को उपलब्धि परीक्षाओ द्वारा भी प्रतिभावान बालकों की श्रेणी के लिए पहचाना जा सकता है। इस प्रकार की परीक्षाओ मे विद्यार्थियों की उपलब्धियों का ज्ञान भली-भाँति हो जाता है। उच्च स्तर की उपलब्धि बालकों के प्रतिभावान होने की आशा जागृत करती है।

(iii) अभिरूचि परीक्षाएँ- अभिरूचि से विद्यार्थियों की भविष्य की सफलता के बारे में अनुमान लगाया जा सकता है। क्योंकि अभिरूचिया किसी एक विशेष योग्यता से सम्बन्धित होती है। बुद्धि परीक्षाओं की तरह अभिरूचि परीक्षायें भी होती है। इन परीक्षणों के लिए भी अध्यापक का प्रशिक्षण अति आवश्यक है।

(iv) सम्बन्धित व्यक्तियों से सूचनाएँ- प्रतिभावान बालकों के व्यक्तित्व के बारे मे अध्यापक अन्य व्यक्तियों से भी सूचनायें एकत्रित कर सकता है। बुद्धि आदि के अतिरिक्त यदि अध्यापक अन्य गति विधियों में बालको की प्रतिभा का अनुमान लगाना चाहता है तो वह प्रतियोगितायें आदि करवा कर उनकी अन्य योग्यताओं में वरिष्ठता का अनुमान लगाकर प्रतिभावान बालक की खोज कर सकता है। सम्बन्धित व्यक्तियों से अध्यापक विद्यार्थियों की रूचियो का ज्ञान भी प्राप्त कर सकता है और उनकी रूचियों कें अनुसार अपने शिक्षण कार्य में आवश्यक परिवर्तन एवं सुधार ला सकता है।

(v) डीन हान और कफ की सूची के आधार पर- डी हान और कफ ने प्रतिभावान बालको के गुणों की एक ऐसी सूची तैयार की है। जिसके आधार पर प्रतिभावान बालको का पता लगाया जा सकता है। यह सूची निम्नलिखित है-

  1. ऐसे बालक जो सब कुछ आसानी से याद कर लेते हैं।
  2. ये स्पष्ट रूप से सोचने, अर्थो को समझने और सम्बन्धों की पहचान करने में श्रेष्ठ होते हैं।
  3. सामान्य बुद्धि का प्रयोग अधिक करते हैं।
  4. बिना रट कर समझने में विश्वास करते हैं।
  5. शब्द ज्ञान बहुत विस्तृत होता है।
  6. कठिन कार्यों को आसानी से कर लेते हैं।
  7. मैलिक चिन्तन कर सकते हैं।

उपरोक्त गुणो के आधार पर अध्यापक शैक्षणिक और बौद्धिक रूप से प्रतिभावान बालको की पहचान करने में सफलता प्राप्त कर सकता है।

प्रतिभाशाली बालकों की विशेषताएँ

  1. इन बालको की बुद्धिलब्धि 110 से अधिक होती है।
  2. ये बालक किसी घटना का निरीक्षण बारीकी के साथ करते हैं।
  3. इनके सीखने की गति तीव्र एवं शुद्ध होती है तथा स्मरण शक्ति उच्च स्तर की होती है।
  4. ये प्रश्न का उत्तर शीघ्रता से देते हैं।
  5. ये विषय का गहन अध्ययन करते हैं।
  6. इनका शब्द कोष विस्तृत होता है।
  7. ये अपने से बड़ो से दोस्ती करने में झिझक महसूस नहीं करते।
  8. विभिन्न प्रकार की रूचि रखते हैं।
  9. ये बालक अपनी कमियो को पहचानते है। तथा दूसरों के सुझाव आसानी से मान लेते हैं।
  10. इन बालको का शारीरिक, मानसिक एवं भावात्मक विकास अन्य बालको की अपेक्षा उच्चकोटि का होता है।
  11. इनका सामान्य ज्ञान उच्च स्तर का होता है।
  12. ये अधिक महत्वकांक्षी होते हैं।
  13. ये बालक बालक हास्य एवं खेलो में सामान्य बालकों से तीव्र होते हैं।
  14. इनका वैज्ञानिक दृष्टिकोण होता है।

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