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मन्द बुद्धि बालकों की विशेषताएँ | Characteristics of Mentally retarded children

मन्द बुद्धि बालकों की विशेषताएँ | Characteristics of Mentally retarded children
मन्द बुद्धि बालकों की विशेषताएँ | Characteristics of Mentally retarded children

 मन्द बुद्धि बालकों की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

मन्द बुद्धि बालकों की विशेषताएँ निम्नलिखित प्रकार की है-

1. अधिगम की धीमी गति- मानसिक रूप से मन्द बुद्धि बालको की अधिगम की गति, ‘बहुत धीमी रहती है। इसे तीव्र करना असंभव होता है।

2. शारीरिक हीनता- इस प्रकार के बच्चो में शारीरिक हीनता भी आ जाती है। उनका शरीर विकृत हो जाता है। शारीरिक लोगो का सामना करने की शक्ति उनमे कम होती है। सामान्यतः अस्वस्थ रहते हैं तथा उनका शारीरिक विकास कम होता है।

3. संवेगात्मक अस्थिरता- मानसिक रूप से पिछड़े बालक संवेगात्मक रूप से अस्थिर होते है। अर्थात उनका संवेगों पर कोई नियंत्रण नही होता है। कई बार तो बहुत ही निम्न श्रेणी के बालक जीवित रहने की इच्छा ही खो दे बैठते है। वे अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की अभिव्यक्ति करने में भी असमर्थ होते है।

4. अपूर्ण और दोषपूर्ण शब्दावली- इस श्रेणी के बालकों की शब्दावली अपूर्ण और दोष पूर्ण होती है। उन्हें भाषा का सीमित ज्ञान होता है।

5. सीमित रुचियाँ- मानसिक से पिछड़े बालको की रूचियाँ बहुत ही सीमित होती है। वे किसी एक ही कार्य में अपनी रुचि प्रदर्शन करने में सक्षम होते है।

6. लघु अवधान विस्तृति- मन्द बुद्धि बालकों मे लघु अवधान विस्तृत होती है। यदि लम्बे कार्य में मानसिक रूप से मन्द बालको की रुचि समाप्त हो जाती है। तथा उनका ध्यान विचलित हो जाता है। ऐसे बालक सामान्य बालकों की तरह किसी लक्ष्य को प्राप्त करने की योजना का अनुसरण नहीं कर पाते।

7. मौलिकता का आभाव- इन बालकों में मौलिकता का अभाव रहता है। अर्थात् वे अपने स्वयं के चिन्तन के अभाव में कोई कार्य नहीं कर पाते।

8. सामान्यीकरण की योग्ता का अभाव- मानसिक रूप से मन्द बालको मे तथ्यों का सामान्यीकरण करने की योग्यता का अभाव रहता है अर्थात् वे किसी स्थिति का निष्कर्ष निकालने के योग्य नहीं होते।

9. प्रोत्साहन का अभाव- ऐसे बालकों में प्रायः प्रोत्साहन की कमी रहती हैं। तथा स्कूलों में जाने की रूचि बिल्कुल नहीं होती। इनका झुकाव अनैतिकता और अपराध की और रहता है।

10. धीमी विकास गति- ऐसे मन्द बुद्धि बालक सामान्य बालकों की अपेक्षा प्रत्येक क्षेत्र में धीरे-धीरे विकसित होते हैं। कई बार इनका विकास इतना धीमा होता है कि वे आयु वर्ग से बहुत पीछे रह जाते है।

11. समायोजन का अभाव- स्कूल की शिक्षा का कम होने के कारण ये बालक सामाजिक और संवेगात्मक रूप से स्वयं का समायोजन नहीं कर पाते।

12. निरन्तर अस्वस्थता एस धीमी प्रतिक्रयाएँ- मानसिक रूप से विकलांग बालकों का स्वास्थ्य निरन्तर रुप से ठीक नहीं रहता। उन्हें कोई न कोई रोग घेरे रखता है। तथा उनमें प्रतिक्रियाएँ भी बहुत धीमी गति से होते है।

13. अनुपयुक्त व्यक्तित्व- ऐसे बालको का व्यक्तित्व कभी सम्पूर्ण नहीं हो सकता। उनमें स्वाभाविकता तथा गयात्मकता बहुत कम होती है। वे स्वयं निर्णय लेने में सक्षम नहीं होते। उन्हे भविष्य की स्थिति से कोई लेना देना नहीं होता। वे केवल वर्तमान में ही जीते हैं।

14. दूसको पर निर्भरता- मन्द बुद्धि बालक दूसरो पर अधिक आश्रित रहते है। उनमें व्यक्तिगत और सामाजिक समस्याओं से नपटने की योग्यता न के बराबर ही होती है। उनका अपनी इच्छाओ आदि पर नियंत्रण भी नहीं होता तथा वे असामाजिक कार्यों में भाग ले सकते है।

15. सीमित बुद्धि- मन्द बुद्धि बालको की बुद्धि बहुत ही सीमित होती है। अर्थात् 70% से कम इस कमी के कारण उनमे समायोजन करने तथा अन्य मानसिक प्रक्रियाओं को सम्पन्न करने की क्षमता नहीं होती।

16. अमूर्त चिन्तन का अभाव- मन्द बुद्धि बालको मे बुद्धिलब्धि कम होने के कारण अमूर्त चिन्तन करने में सक्षम नहीं होते। ये समस्या का विश्लेषण नहीं कर सकते है।

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