मानसिक मन्द बालकों की पहचान बताइए।
मानसिक मन्द (मनबुद्धि) बालकों की पहचान के लिए तीन प्रकार का परीक्षण किया जाता है। ये परीक्षण हैं-
- सामान्य बौद्धिक परीक्षण
- अनुकूलन व्यवहार की जाँच और
- व्यक्तिगत क्षमताओं की जाँच।
(1) मानसिक मन्दन में सामान्य बुद्धि के निर्धारण के लिए परीक्षण- आमतौर पे प्रयुक्त परीक्षणों का वर्गीकरण तीन प्रकार से किया जाता है,
- शिशुओं और प्राग्विद्यालय बच्चों से किया जा सकता है,
- मौखिक परीक्षण,
- गैर मौखिक और निष्पादन परीक्षण |
(i) विकास अनुसूचियाँ- ये शिशुओं और प्राग्विद्यालय बच्चों में संवेदीपरक क्रियालाप के विकास के प्रेक्षणों पर आधारित होती है। प्राप्त की गयी विकासात्मक बुद्धिलब्धि भविष्य में मापी गयी बुद्धिलब्धि से बहुत काम रूप से सह सम्बन्धित होती है। ये पाँच वर्ष की आयु तक के बच्चों के विकास स्तर के निर्धारण के लिए पृथक्करण साधनों के रूप में बहुत उपयोगी होती रहती है। उदाहारणार्थ-गैसिल विकासात्मक अनुसूची। यह अनुसूची बौद्धिक विकास के चार क्षेत्रों ‘को प्रकट करती है- (a) प्रेरक व्यवहार, (b) अनुकूलन व्यवहार, (c) भाषा, (d) व्यक्तिगत तथा सामाजिक व्यवहार। हाल ही में विकासात्मक पृथक्करण अनुसूची (डी.एस.एस) और विकासात्मक निर्धारण अनुसूची का विकास राष्ट्रीय मानसिक विकलांग संस्थान में किया गया है।
(ii) मौखिक परीक्षण- इसमें भाषा प्रयोग का प्रमुख स्थान है और इसमें वाक् मदें होती हैं। मौखिक परीक्षणों में बुद्धि मापन में बुद्धि लब्धि के रूप में अभिव्यक्त की जाती है और निष्पादन परीक्षणों को निष्पादन लब्धि के रूप में अभिव्यक्त की जाती है। स्टैनफोर्ड बिने परीक्षण सर्वाधिक प्रयुक्त मौखिक परिक्षण है।
(iii) गैर-मौखिक और निष्पादन परीक्षण- निष्पादन परीक्षण में सम्बन्धित व्यक्ति को अपना उत्तर ड्राइंग, संकेत कार्यकलापों द्वारा देना होता है। जैसे-ब्लॉकों व पहेलियों को व्यवस्थित करना, डिजाइनों को मिलाना और चित्रों का सार्थक रूप रखना। निष्पादन परीक्षण के पूर्व अनुभव और मौखिक अनुदेशों की अल्प मात्रा में आवश्यक्ता होती है। उनसे संस्कृतिक प्रकट होती है।
सिग्विन फॉर्म बोर्ड परीक्षण (एस.एफ.बी) सर्वाधिक प्रयुक्त निष्पादन परीक्षण है। यह सामान्य बुद्धि का मापन अत्यन्त शीघ्र ही कर देते हैं। अलेक्जेंडर पैसालॉग परीक्षण और कोह ब्लॉक डिजाइन परीक्षण अल्प मानसिक मन्दन व्यक्तियों पर किया जा सकता है। यदि मात्र निष्पादन परीक्षण ही किये जाएँ, तो व बुद्धि के केवल कुछ ही पहलूओं जैसे प्रेरक योग्यता, दृष्टिगति प्रत्यक्षण अथवा दैहिक योग्यता का मापन करता है। अतः सामान्य बुद्धि के निर्धारण के लिए उपयोग मौखिक परीक्षण (रेबन प्रोग्रेसिव मैट्रिक्स ) के साथ संयुक्त रूप से किया जाना चाहिए।
सिग्विन फॉर्म बोर्ड परीक्षण एक व्यापक रूप से प्रयुक्त निष्पादन परीक्षण है जिसका उपयोग चार से बीस वर्ष की आयु के बच्चों की मनोप्रेरक व दृष्टि प्रत्यक्षण योग्यताओं को मापने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग 3 से 11 वर्ष तक की आयु के बच्चों तथा मानसिक मन्द वयस्क व्यक्तियों की सामान्य बुद्धि के शीघ्र मापन के लिए भी किया जाता है। विकास पृथक्करण परीक्षण जन्म से लेकर 15 वर्ष तक के बच्चे के मानसिक विकास का मापन करता है।
(2) अनुकूल व्यवहार मापनी- अनुकूलनी व्यवहार व्यक्ति की वैयक्तिक स्वतन्त्रा और सामाजिक उत्तरदायित्व के अभ्यास की क्रियात्मक योग्यता है। सामाजिक अनुकूलनशीलता से व्यक्ति अपने परिवेश की सहन मन्द व्यक्ति के अनुकूली व्यवहार का निर्धारण करना आवश्यक होता है। इसके लिए विनलैण्ड सामाजिक परिपक्वता (मापनी 1953) और एम. आर (डाल) (लैम्बर, 1981) प्रयुक्त है।
वी.एस.एम.एस का भारतीय संस्करण गम्भीर तौर से मानसिक मन्द ऐसे व्यक्तियों के निर्धारण के लिए उपयोगी है, जो औपचारिक परीक्षण पद्धति का सामना नहीं कर सकते हैं। इसके तहत बच्चे अथवा उसके अभिभावक अर्थ संरक्षित साक्षात्कार द्वारा आँकड़ा प्राप्त किया जा सकता है। वी.एस. एम. एस. से आठ क्षेत्रों के विकास की रेखा का पता चलता हैं। सामान्य कार्य में आत्मनिर्भरता, खाना खाने में आत्मनिर्भरता कपड़े पहनने में आत्मनिर्भरता, आत्म निदेशक, सामाजिकीकरण, व्यवसाय, सम्प्रेरणा और चलना । जबकि अमेरिकन एसोसिएसन ऑफ मेंटल रिटार्डेशन (ए.ए.एम.आर.) की अनुकूली व्यवहार मापनी से मानसिक मन्द व्यक्तियों के समायोजी व्यवहार का मात्रत्मक वर्णन प्राप्त होता है। मापनी के पहले भाग में क्रियात्मकता. के दस क्षेत्रों (भाषा सामाजीकरण, स्वतंत्रा आदि) के विकास स्तर का मापन होता है। वहाँ दूसरा भाग 14 भिन्न वर्गों के अन्तर्गत अपव्यनुकूली व्यवहार से सम्बन्धित है। उदाहरणार्थ हिंसा असामाजिक व्यवहार आदि ।
(3) व्यक्तिगत क्षमताओं की जाँच- मानसिक मन्द व्यक्तियों की विशिष्ट योग्यताओं का निर्धारण समग्र और सूक्ष्म प्रेरक कौशल, दृष्टि देशक योग्यता, भाषा योग्यता, मौखिक व गैर-मौखिक सम्प्रेषण तथा अवधान विस्तृति/अवधान विस्तृति का परीक्षण नाक्स धन अनुकरण परीक्षण, अंकीय विस्तृति का परीक्षण नाक्स धन अनुकरण परीक्षण, अंकीय विस्तृति और निरसन परीक्षण द्वारा किया जा सकता है। ऐसे व्यक्तियों में दृष्टि प्रात्यक्षिक, देशिक और दृष्टिप्रेरण योग्यता की कमी पायी जाती हैं। उनके लिए निम्नलिखित परीक्षण किये जाते हैं-
- बेंडर गेस्टाल्ट परीक्षण,
- विने दृश्य धारण परीक्षण,
- व्यक्ति आरेख परीक्षण (डी.ए.एम)
Related Link
- श्रवण बाधित बालकों की असमर्थताएँ तथा इन बालकों को शिक्षा प्रदान करने में शिक्षक की भूमिका
- श्रवण दोषों से ग्रस्त बालकों की पहचान तथा इसके कारण
- श्रवण बाधित बालक का अर्थ एंव इसके प्रकार | Meaning and Types of Hearing Impaired Child in Hindi
- श्रवण बाधिक तथा असमर्थता का क्या अर्थ है ? इनकी मुख्य विशेषताएँ, कारण, पहचान, देखभाल एवं प्रशिक्षण
Important Links
- दृष्टि दोष से ग्रस्त बालकों की क्रियात्मक सीमाएँ एंव शिक्षक की भूमिका
- अन्धे बालकों को आप शिक्षित कैसे करेंगे ? How will you educate blind Children?
- दृष्टि दोष बालकों की क्या समस्याएँ हैं ? What is the problem of children with Visual Impairment
- दृष्टि बाधिता या दृष्टि असमर्थता का अर्थ, विशेषताएँ, पहचान तथा इनकी देखभाल एवं प्रशिक्षण
- दृष्टि दोष बालक कौन होते हैं? दृष्टि दोष के क्या कारण है।
- दृष्टि-दोष के मुख्य प्रकार, पहचान तथा विशिष्ट आवश्यकताएँ
- पी.डब्ल्यू. डी. अधिनियम, 1995 क्या हैं ? What is PWD Action, 1995?
- विश्व शांति के सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलु और इसके अन्तर
- विश्व शांति के महत्त्व एवं विकास | Importance and development of world peace
- भारत एवं विश्व शान्ति |India and world peace in Hindi
- विश्व शांति का अर्थ एवं परिभाषा तथा इसकी आवश्यकता
- स्वामी विवेकानन्द जी का शान्ति शिक्षा में योगदान | Contribution of Swami Vivekananda in Peace Education
- अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों के कार्य एवं दायित्व | objectives and Importance of international organization
- भारतीय संदर्भ में विश्वशान्ति की अवधारणा | concept of world peace in the Indian context
- अन्तर्राष्ट्रीय संगठन की प्रासंगिकता | Relevance of International Organization
- भारतीय परम्परा के अनुसार ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का स्वरूप
- अन्तर्राष्ट्रीय संगठन के उद्देश्य एवं महत्त्व | Objects & Importance of International Organization
- मानवीय मूल्यों को विकसित करने में शिक्षा की भूमिका
- मूल्यों के विकास के स्त्रोत अथवा साधन क्या हैं? What are the source or means of Development of values?
- मानव मूल्य का अर्थ एंव परिभाषा तथा इसकी प्रकृति | Meaning and Definition of human value and its nature
- व्यावहारिक जीवन में मूल्य की अवधारणा | Concept of value in Practical life
- सभ्यता एवं संस्कृति का मूल्य पद्धति के विकास में योगदान
- संस्कृति एवं शैक्षिक मूल्य का अर्थ, प्रकार एंव इसके कार्य
- संस्कृति का मूल्य शिक्षा पर प्रभाव | Impact of culture on value Education in Hindi
- संस्कृति का अर्थ, परिभाषा तथा मूल्य एवं संस्कृति के संबंध
- मूल्य शिक्षा की विधियाँ और मूल्यांकन | Methods and Evaluation of value Education
- मूल्य शिक्षा की परिभाषा एवं इसके महत्त्व | Definition and Importance of value Education
- मूल्य का अर्थ, आवश्यकता, एंव इसका महत्त्व | Meaning, Needs and Importance of Values
- विद्यालय मध्याह्न भोजन से आप क्या समझते है ?
- विद्यालयी शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्य
- स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एंव इसके लक्ष्य और उद्देश्य | Meaning and Objectives of Health Education
- स्कूलों में स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्य | Objectives of health education in schools
- स्वास्थ्य का अर्थ एंव इसके महत्व | Meaning and Importance of Health in Hindi
- स्वास्थ्य का अर्थ एंव स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक
- स्वास्थ्य विज्ञान का अर्थ एंव इसके सामान्य नियम | Meaning and Health Science and its general rules in Hindi
- व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एंव नियम | Meaning and Rules of Personal health in Hindi
- शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक | Factors Affecting Physical Health in Hindi
- एक उत्तम स्वास्थ्य का अर्थ एंव परिभाषा और इसके लक्षण
- बजट का अर्थ एंव इसकी प्रक्रिया | Meaning of Budget and its Process in Hindi
- शैक्षिक व्यय का अर्थ प्रशासनिक दृष्टि से विद्यालय व्यवस्था में होने वाले व्यय के प्रकार
- शैक्षिक आय का अर्थ और सार्वजनिक एवं निजी आय के स्त्रोत
- शैक्षिक वित्त का अर्थ एंव इसका महत्त्व | Meaning and Importance of Educational finance
- भारत में शैक्षिक प्रशासन की समस्याएं और उनकी समस्याओं के समाधान हेतु सुझाव
- प्राथमिक शिक्षा के प्रशासन | Administration of Primary Education in Hindi
Disclaimer