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प्रतिभाशाली बालकों की पहचान बताइए? Identify the gifted children? in Hindi

प्रतिभाशाली बालकों की पहचान बताइए? Identify the gifted children? in Hindi
प्रतिभाशाली बालकों की पहचान बताइए? Identify the gifted children? in Hindi

अनुक्रम (Contents)

प्रतिभाशाली बालकों की पहचान बताइए ?

प्रतिभाशाली बालकों की पहचान – प्रत्येक विद्यालय में विभिन्न प्रकार के बालक होते हैं। उनमें व्यक्तिगत भिन्नताएँ होती हैं। यहाँ पर व्यक्तिगत विभिन्नताओं के आधार पर प्रतिभाशाली बालकों का चयन करना अध्यापकों हेतु एक कठिनाई का विषय है। इनकी पहचान करने के लिए कई प्राविधियों का प्रयोग करना पड़ता है, क्योकि यह जरूरी नहीं है कि बालक एक ही प्रविधि के प्रयोग के पश्चात् पहचाना जा सके। अतः बालकों की पहचान हेतु निम्नलिखित प्राविधियों का प्रयोग किया जाता है।

(1) बुद्धि-परीक्षण- प्रतिभाशाली बालकों की पहचान हेतु अध्यापकों के द्वारा कई बुद्धि परीक्षण निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-

  1. शाब्दिक तथा अशाब्दिक परीक्षण,
  2. व्यक्तिगत तथा सामूहिक परीक्षण |

इन बुद्धि परीक्षणों का वर्गीकरण भाषा के प्रयोग के आधारों पर किया जाता है। तथा शाब्दिक परीक्षणों के अन्तर्गत पेन तथा पेंसिल का प्रयोग किया जाता है, जबकि अशाब्दिक परीक्षणों के अन्तर्गत कोई क्रिया करवा कर परीक्षण किया जाता है। टरमन के शब्दों में, वह बालक जो कि 140 से अधिक बुद्धि-लब्धि का है, वह प्रतिभाशाली बालकों की श्रेणी में आता है। अतः यह उत्तम प्रविधि होती है।

(2) निष्पत्ति परीक्षण- प्रतिभाशाली बालकों की खोज तथा पहचान हेतु शिक्षा के क्षेत्र में अध्यापक द्वारा निष्पत्ति परीक्षणों की सहायता ली जाती है। इन परीक्षणों के माध्यम से बालकों की शैक्षिक उपलब्धियों का ज्ञान आसानी से प्राप्त हो सकता है।

(3) अभिरूचि परीक्षण- अभिरूचि परिक्षणों के अन्तर्गत बालकों की अभिरूचि के आधार पर उन्हें पहचाना जाता है। यह परीक्षण यह भी बता सकता है कि बालक भविष्य में क्या बनना चाहता है तथा उसकी रूचि किन-किन कार्यों में है, परन्तु इन परीक्षणों में शिक्षकों का प्रशिक्षित होना अनिवार्य होता है, क्योंकि इस प्रकार के परीक्षणों से प्राप्त अंको का अर्थापन भी प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा ही किया जा सकता है।

(4) अवलोकन विधियाँ- अवलोकन विधियों के अन्तर्गत बालकों क्रियाओं को लगातार देखा जाता है। तत्पश्चात् मूल्यांकन के बाद यह पता चलता है कि बालक वास्तव में प्रतिभाशाली हैं अथवा नहीं। यह भी उत्तम विधि कहलाती है।

(5) बालकों के गुणों के अधार पर पहचान- प्रतिभावान बालकों को उनके गुणों के आधार पर भी पहचाना जाता है चूँकि इन बालकों में कुछ विशिष्ट गुण विद्यमान रहते हैं। जो निम्नलिखित है-

  1. यह कठिन कार्यों को भी सुगमता से कर लेतें है।
  2. यह बालक दिये गये कार्य पहले समझने का प्रयास करते है।
  3. यह सामान्य बुद्धि का प्रयोग करते है।
  4. यह बालक किये गये कार्यों को सुगमता से याद करता है।
  5. इन बालकों का चिन्तन सदैव मौलिक होता है।
  6. यह सोचने, समझने, अर्थों को समझने तथा सम्बन्धों को पहचानने मे दक्ष होते हैं।

( 6 ) सम्बन्धित व्यक्तियों की सूचनाएँ- प्रतिभाशाली बालकों की पहचान करने के लिए सम्बन्धित व्यक्तियों से सम्पर्क करना आवश्यक होता है। सम्पर्क के बाद उनसे रिपोर्ट माँगी जाती है। इन सभी व्यक्तियों में बालकों के माता-पिता, अध्यापक, आस-पडोस के लोग व उनके मित्रगण सम्मलित हैं। इन सभी व्यक्तियों से आवश्यक सूचनाएँ लेकर शिक्षक प्रतिभाशाली बालकों की प्रतिभा तथा उसके स्तर को भली-भाँति जान सकता है। इसके अतिरिक्त प्रतिभा खोज प्रतियोगिताएँ आयोजित करके अपनी प्रतिभा की खोज का प्रयत्न करते हैं । यह प्रतियोगिताएँ अत्यन्त ही लाभदायक है।

अतः उपर्युक्त विधियों के आधार पर ही प्रतिभाशाली बालकों की पहचान की जाती है।

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