श्रवण बाधित बालक का क्या अर्थ है? इसके मुख्य प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
श्रवण बाधित बालक का अर्थ एंव इसके प्रकार
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, क्योंकि वह एक-दूसरे की भाषा को सुन सकने में समर्थ होता है। जो व्यक्ति दूसरे की कही बातों को समझ नही पाता, उसे हम श्रवण बाधित कहते हैं। जन्म के कुछ समय पश्चात् बच्चा माँ-बाप या घर के दूसरे सदस्यों की आवाज सुनकर पहचान लेता है। भाषा को सुनने के कौशल का विकास सर्वप्रथम होता है उसके पश्चात् ही बोलने तथा पढ़ने-लिखने के कौशल का विकास होता है। जो बालक बिल्कुल नहीं सुन सकते या ऊँचा सुनते हैं, उनको अपने आपको समाज में समायोजित करने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। शिक्षा के प्रचार-प्रसार के कारण तथा नए-नए वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध कर दिया है कि बहारापन या ऊँचा सुनाई देना पूर्व-जन्मों का फल नहीं है बल्कि काफी हद तक लापरवाही का नतीजा है। बहरा बालक सामान्य बालाकों की तरह ही होता है तथा सामान्य बालकों से अधिक प्रतिभाशाली हो सकता है।
श्रवण बाधित बालकों की परिभाषा
श्रवण बाधित बालक उनको कहा जाता है जो पूर्णरूप से या आंशिक रूप से दूसरे को आवाज को नहीं सुन सकते। ऐसे बालकों को प्रायः बहरा कहा जाता है। जिन बालकों को बिल्कुल ही सुनाई नहीं देता, उनको ऊँचा सुनने वाले बालकों की अपेक्षा अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। श्रवण बाधिता स्थायी तथा आंशिक हो सकती है। उदाहरण के लिए यदि किसी बालक के कान के पर्दे में कोई कमी है तो उसका इलाज संभव है या वह बालक श्रवण यन्त्रों की सहायता से दूसरे की आवाज सुन सकता है। इस प्रकार के बालकों को सामान्य बालकों के साथ पढ़ाया जा सकता है। इसके विपरीत पूर्ण श्रवण बाधित बालकों को सामान्य कक्षा में सामान्य बालकों के साथ नहीं पढ़ाया जा सकता।
इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि श्रवण बाधित बालक वह है जो या तो बिल्कुल नही सुन सकते या बिना किसी यंत्र की सहायता से भी नहीं सुन सकते तथा उनको प्रशिक्षण देने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है। श्रवण बाधिता जन्म के पश्चात् चोट, दुर्घटना, बीमारी आदि केक कारण भी नही हो सकती।
कान मानव की एक महत्वपूर्ण ज्ञानेन्द्रिय है। हम बाहती जानकारियाँ सुनकर ही प्राप्त करते है। सुनकर ही आपस के वातावरण का अहसास करते हैं तथा हमें खतरे का अभास भी सुनकर ही होता है। संसार की घटनाओं की जानकारी भी हमें सुनकर ही प्राप्त होती है। जो बानक बिल्कुल नही सुन सकते उनकी भाषा का ज्ञान बिल्कुल ही नहीं बढ़ता क्योंकि सभी जानकारियाँ हम सुनकर ही प्राप्त करतें है।
श्रवण बाधिता के प्रकार
श्रवण बाधिता के निम्नलिखित प्रकार हैं-
(1) पूर्ण बहरे-
- इस श्रेणी में वे बालक आते है जो कि जन्म से ही बहरे पैदा हुए हैं।
- इस श्रेणी में वे बालक आतें है जो जन्म से तो ठीक पैदा हुए थे लेकिन बाद में किसी चोट, दुर्घटना बीमारी या गलत दवाई के प्रयोग से उनके सुनने की शक्ति जाती रही।
(2) आंशिक बहरे-
इस श्रेणी में वह बालक आतें है जो या तो कम सुनते हैं या फिर ऊँचा सुनते है। स्ट्रेंग ने सुनने की शक्ति के आधार पर उनका वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया हैं
(i) बिल्कुल कम श्रवण बाधिता- इस प्रकार के बच्चों की सुनने की शक्ति में 20-30 db तक का नुकसान होता है। ताकि उनको आवाज साफ सुनाई दे, बालकों को सामान्य दूरी से सुनाई कम देता है अतः अध्यापक को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ऐसे बालकों को कक्षा में आगे के बेंचो पर बिठाएँ। अध्यापक को चाहिए की वह इस प्रकार के बालकों की दूसरी समस्याओं को समझकर उनका समाधान करे।
(ii) कम श्रवण बाधिता- इस प्रकार के बच्चों की सुनने की शक्ति में 30-40db तक का नुकसान होता है। उनको सामान्य दूरी पर वार्तालाप सुनने में समस्या होती है। इस प्रकार के बालक सुनने के यंत्र का प्रयोग करके सुन सकते है।
(iii) अधिक श्रवण बाधिता- इस प्रकार के बच्चों में सुनने की शक्ति में 40-60 db तक नुकसान होता है। इस प्रकार के बच्चे बिना यंत्र की सहायता के सुन नही सकते तथा उन्हे भाषा को भी समझने में परेशानी होती है। इस प्रकार के बच्चों की शिक्षा के समय दृश्य सामाग्री का प्रयोग करना चाहिए।
(iv) गंभीर श्रवण बाधिता- इस प्रकार के बच्चों में सुनने की शक्ति में 60-75 db तक का नुकसान होता है। इस प्रकार के बच्चे भाषा तथा वाणी की सहायक सामाग्री के अधिक प्रयोग से अनुभवी व प्रशिक्षित अध्यापक या व्यक्ति के निर्देशन में कुछ सीख सकते हैं। उनको सुनने योग्य बनाया जा सकता है या फिर उनको ऊँचा सुनने वालों की श्रेणी में रखा जा सकता है। इस प्रकार के बालकों को विशेष प्रकार के शिक्षण की आवश्यक्ता होती है।
(v) पूर्ण श्रवण बाधिता- इस प्रकार के बच्चों में सुनने की शक्ति में 75 db तक का अधिक नुकसान हो सकता है। सुनने के यंत्र के प्रयोग के साथ भी इस प्रकार के बच्चों को सुनने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। अतः यह आवश्यक है कि इस प्रकार के बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यापन दिया जाता है।
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