निःशक्तता का अधिनियम, (पी.डब्ल्यू. ऐक्ट ) 1995 के प्रमुख प्रावधानों को संक्षेप में लिखिए। अथवा पी.डब्ल्यू. डी. अधिनियम, 1995 क्या हैं ?
पी.डब्ल्यू. डी. अधिनियम, 1995 क्या हैं ?
विकलांग व्यक्तियों के लिये एशियन एवं पैसोफिक क्षेत्र की दृष्टि से इस अधिनियम को सन् 1995 में घोषित किया गया। इस अधिनियम के अन्तर्गत प्रावधान है कि शारीरिक अक्षमता से युक्त बालकों एवं बालिकाओं को प्रत्येक क्षेत्र में सामान्य बालक एवं बालिकाओं के समान अवसर प्रदान किये जायें, जिससे कि उनको अपनी विकलांगता एक अभिशाप के रूप में अनुभव न हो। उनको समाज की मुख्य धारा में जोड़ने के लिये सरकार द्वारा सम्पूर्ण प्रयास किये जाने चाहिए। इस कार्य में केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार दोनों के द्वारा पूर्ण सहयोग करना चाहिये। इस अधिनियम के अन्तर्गत शारीरिक अक्षमता वाले छात्र-छात्राओं के लिये निम्नलिखित प्रावधानों की व्यवस्था की गयी है-
1. अक्षमता की स्थिति को परिभाषित करना- इसके अन्तर्गत यह निश्चित किया गया है कि किस सीमा तक व्यक्ति को शारीरिक रूप से अक्षम माना जायेगा। इससे कम सीमा तक उसको शारीरिक रूप से अक्षम नहीं माना जायेगा? जैसे-60 डेसीबल की आवृत्ति को न सुन पाना श्रवण अक्षमाता के अन्तर्गत माना जायेगा। इसी प्रकार गति कौशल, दृष्टि सम्बन्धी एवं कुष्ठ रोग सम्बन्धी अक्षमता को भी इस प्रावधान में परिभाषित किया है, जिनके द्वारा शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों को पहचानकर उनको सामान्य से पृथक् किया जा सकता है।
2. समिति का निर्माण- शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए समितियों के निर्माण की व्यवस्था की गयी है। इसमें केन्द्र एवं राज्य सरकार के समाज कल्याण मन्त्री को अध्यक्ष के रूप में स्वीकार किया गया है। इस विभाग से सम्बन्धित सचिवों को भी इसमें सम्मिलित किया गया है। इसके साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, औद्योगिक विकास, ग्राम्य विकास एवं विज्ञान तथा तकनीकि विभाग के सचिवों को भी इस समिति में स्थान दिया गया है। इस समिति के द्वारा विकलांग छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास की परिकल्पना की गयी है।
3. पृथक् शैक्षिक व्यवस्था- शारीरिक रूप से अक्षम छात्रों के लिये पृथक् शैक्षिक व्यवस्था का प्रावधान किया गया है। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित व्यवस्थाएँ हैं-
(1) इन विद्यालयों की संरचना भी शारीरिक रूप से अक्षम छात्रों के अनुरूप होनी चाहिए जिससे इनको असुविधा न हो।
(2) इन छात्रों को पृथक् शिक्षण विधियों से शिक्षण कराया जाये, जिससे इनके अधि गम स्तर को उच्च बनाया जा सके।
(3) शारीरिक रूप से अक्षम छात्रों के लिए पृथक् विद्यालयों की रचना की जाए, जिससे उनके अनुकूल वातावरण तैयार किया जा सके।
(4) विद्यालयों में शारीरिक अक्षमता के अनुसार उपकरणों की व्यवस्था हो, जिससे अक्षम छात्रों की शिक्षण व्यवस्था में रुचि उत्पन्न हो सके।
(5) इनके विद्यालयों में रैम्प की व्यवस्था की जाये, जिससे पैरों से विकलांग छात्रों का रिक्शा विद्यालयों के अन्दर प्रवेश कर सके।
( 6 ) इन विद्यालयों के शिक्षकों को पृथक् रूप से प्रशिक्षित किया जाय, जिससे कि शिक्षण में गुणवत्ता लायी जा सके।
4. रोजगार के अवसर प्रदान करना- केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों का प्रमुख दायित्व है कि शारीरिक रूप से अक्षम छात्र एवं छात्राओं के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध करायें तथा उनकी स्थापना की व्यवस्था सुनिश्चित करें। जिन क्षेत्रों में अक्षम छात्रों को रोजगार मिल सकता हो उन क्षेत्रों का सरकार द्वारा विकास किया जाना चाहिए।
5. आरक्षण व्यवस्था- सरकारी एवं गैर सरकारी नौकरियों में शारीरिक रूप से अक्षम छात्रों के लिए आरक्षण व्यवस्था होनी चाहिए। वर्तमान समय में सरकार द्वारा नौकरियों में शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के आरक्षण का प्रतिशत निश्चित कर दिया गया है। विद्यालयों में प्रवेश के लिये भी उस प्रकार के छात्रों के लिये आरक्षित स्थान रखे जाते हैं।
6. यात्रा सम्बन्धी सुविधाएँ- यात्रा सम्बन्धी सुविधाओं में इन छात्रों के लिए किराये में से कम छूट का प्रावधान है। सामान्य व्यक्तियों की तुलना में शारीरिक रूप से अक्षम छात्रों किराया लिया जाना चाहिए, जिससे इनको किसी प्रकार की असुविधा न हो।
7. उपकरण- शारीरिक रूप से अक्षम छात्रों के लिए उनकी अक्षमता से सम्बन्धित उपकरण निःशुल्क प्रदान किये जाने चाहिये; जैसे-पैरों से न चलने वाले छात्रों को व्हील चेयर एवं श्रवण अक्षमता से युक्त छात्रों के लिए श्रवण यन्त्र उपलब्ध कराना आदि।
8. अक्षमता रोकने के लिए शोध:- इस अधिनियम में विभिन्न प्रकार के शोध कार्यों को प्रोत्साहन देने के तथ्य को स्वीकार किया गया है। इन शोधकार्यों का प्रमुख उद्देश्य छात्रों की शारीरिक अक्षमताओं को रोकना तथा उन्हें दूर करना होगा। जैसे- दृष्टि से सम्बन्धित अक्षमता विटामिन A की कमी से होती है तो बाल्यकाल में ही छात्रों को विटामिन A की खुराक पिला दी जाये तो इस अक्षमता को रोका जा सकता है। इस प्रकार से अनेक औषधियों की खोज करके शारीरिक अक्षमता रोकना अनुसन्धान का प्रमुख उद्देश्य होगा।
9. उपकरणों के निर्माण की व्यवस्था:- केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों का यह दायित्व होगा कि शारीरिक अक्षमता से सम्बन्धित उपकरणों के निर्माण की व्यवस्था की जाये, जिससे कम दर पर अथवा निःशुल्क रुप में अक्षम छात्रों को इन उपकरणों को उपलब्ध कराया जा सके।
10. स्वास्थ्य सुविधायें:- शारीरिक अक्षमता से युक्त छात्रों को विद्यालय में चिकित्सकों द्वारा निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करायी जानी चाहिए। वर्तमान समय में सरकारों द्वारा विकलांग छात्रों के लिये विद्यालयों में स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाता है। अस्पतालों में रैम्प की व्यवस्था की गयी है। जिससे अक्षम व्यक्ति चिकित्सक तक बिना किसी की सहयता के पहुँच सके।
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