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समावेशी शिक्षा के सिद्धान्त | Principles of Inclusive Education in Hindi

समावेशी शिक्षा के सिद्धान्त | Principles of Inclusive Education in Hindi
समावेशी शिक्षा के सिद्धान्त | Principles of Inclusive Education in Hindi

समावेशी शिक्षा के सिद्धान्तों का विवेचन कीजिए।

समावेशी शिक्षा के प्रमुख सिद्धान्त निम्नलिखित हैं-

1. व्यक्तिगत विभिन्नता का सिद्धान्त- व्यक्तिगत विभिन्नता का अर्थ है कि कोई भी दो बच्चे समान योग्यता, क्षमता व रुचि के नहीं होते हैं। समावेशी शिक्षा व्यक्तिगत विभिन्नता को ध्यान में रखकर शिक्षा प्रदान करने पर बल देती हैं। इसमें असमर्थ, बाधित बालक भी सामान्य कक्षा में बैठकर पढ़ सकते हैं। उन्हें उनकी रुचि, क्षमता एवं शैक्षिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर शिक्षण किया जाता है। इसके लिये विभिन्न क्रियाकलाप व गतिविधियों तथा शिक्षण रणनीति में परिवर्तन किया जाता है तथा व्यक्तिगत विभिन्नता के अनुसार शिक्षण अधिगम में सहायता प्रदान की जाती है।

2. समानता का सिद्धान्त- समावेशी शिक्षा पूर्णतः समानता के सिद्धान्त पर आधारित हैं। इससे सभी बच्चों को एक समान, एक ही कक्षा में शिक्षण किया जाता है। इस शिक्षा में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की पहचान की जाती है तथा उनकी शैक्षिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर शिक्षण किया जाता है तथा प्रत्येक बालक की कठिनाइयों, समस्याओं का ध्यान रखा जाता है। इस शिक्षा का उद्देश्य क्षतिग्रस्त बच्चों को जहाँ तक सम्भव हो सके स्वतंत्रतापूर्वक तथा अपने मन से अभावों को मिटा कर एवं अपने को अपंग तथा अन्य सामान्य बच्चों से अलग न समझकर अच्छी प्रकार से जीवन जीने की ओर तथा अपने को जीवन में समायोजित करने की कला सिखाना है।

3. सहयोग का सिद्धान्त- समावेशी शिक्षा बिना सहयोग के प्रदान नहीं की जा सकती है। इसमें सभी का सहयोग अपेक्षित है। माता-पिता, अभिभावक, साथी समूह, विद्यालय का प्रबन्ध, अध्यापक तथा चिकित्सक से अपेक्षा की जाती है कि वे सभी इन बच्चों की शिक्षा व्यवस्था में सहयोग करें। यहाँ समावेशित पर्यावरण में विशिष्ट, अपंग तथा सामान्य बच्चे. मिलजुलकर एक दूसरे का सहयोग कर शैक्षिक अनुभव प्राप्त करते हैं। जबकि व्यक्तिगत रूप में आवश्यक अधिगम युक्तियों का सहारा लेकर अपने उपयुक्त शैक्षिक उद्देश्य प्राप्त करने के लिए प्रयासरत रहते हैं। इस शिक्षा में विभिन्न रणनीतियों तथा विभिन्न विधियों जैसे-समूह शिक्षण, टोली शिक्षण, साथी समूह शिक्षण आदि बिना सहयोग के पूर्ण नहीं की जा सकती है। इसलिए समावेशी शिक्षा पूर्णतः सहयोग के सिद्धान्त पर आधारित है।

4. आत्मनिर्भरता का सिद्धान्त- समावेशी शिक्षा उन बच्चों को आत्मविश्वासी वे आत्मनिर्भर बनाने में सहायता प्रदान करती है जो किन्हीं कारणों से असमर्थ व अक्षम हैं। समावेशी शिक्षा इन बच्चों को मुख्य धारा में समन्वित करती है जो उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में सहायता प्रदान करती है। इस शिक्षा में बच्चे की असमर्थता को ध्यान में रखकर उसके अनुरूप व्यावसायिक शिक्षा की व्यवस्था की जाती है। जिसका प्रशिक्षण लेकर वे अपना रोजगार कर सकें व जीवन निर्वाह कर सकें।

5. शिक्षा के समान अवसर का सिद्धान्त- इस शिक्षा समावेशन के सिद्धान्त पर आधारित है। इस शिक्षा में सभी प्रकार के बालक शामिल किये जाते हैं जो अपने स्थानीय विद्यालयों की सामान्य कक्षाओं में बिना किसी अपंगता या विशिष्टता का भाव लिए शिक्षा ग्रहण करते हैं। यह ऐसी शिक्षा हैं जो प्रत्येक बच्चे को उच्चतम सीमा तक विद्यालय और कक्षा में जहाँ वह पढ़ना चाहे उपलब्ध करायी जाय। यह शिक्षा बच्चों की ओर उन्मुख व अग्रसर होती है। इसका विश्वास है कि एकीकरण तथा मुख्यधारा के द्वारा क्षतिग्रस्त बच्चे अलगाव वाले पर्यावरण की अपेक्षा सर्वांगीण उन्नति कर समाज में आसानी से समायोजन कर सकते हैं।

6. व्यक्तिगत शिक्षा कार्यक्रम का सिद्धान्त- यह शिक्षा बच्चे को केन्द्र मानकर कार्य करती है। इससे विशिष्ट व अक्षम बालकों के लिए व्यक्तिपरक शैक्षिक योजना तैयार की जाती है तथा बच्चे को ठीक से सिखाने का प्रयास किया जाता है। उसकी शैक्षिक समस्याओं के लिए चिकित्सक, मनोचिकित्सक, अभिभावक का सहयोग लिया जाता है जिनके परामर्श व सुझावों के अनुसार शिक्षण किया जाता है तथा बच्चे का समय-समय पर मूल्यांकन किया जाता है।

7. समावेशिक पर्यावरण का सिद्धान्त- यह शिक्षा एवं स्वस्थ शैक्षिक पर्यावरण के निर्माण पर बल देती है। समावेशित पर्यावरण से तात्पर्य है कि जहाँ विशिष्ट बाधित व सामान्य बच्चे एक-दूसरे का सहयोग करते हुए शैक्षिक अनुभव प्राप्त करते हैं। समावेशित पर्यावरण बच्चों में सामाजिक कुशलता तथा नैतिकता की ओर ले जाता है।

8. शिक्षा के समान अवसर का सिद्धान्त- यह शिक्षा सभी बच्चों को समान अवसर प्रदान करती है तथा शिक्षा से सम्बन्धित उन धाराओं व संवैधानिक प्रावधानों का पालन करती है। यह शिक्षा किसी भी बच्चे को उसकी शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक बाधाओं के बावजूद शिक्षा से वंचित नहीं करती है। यह सभी को निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने पर बल देती है तथा शिक्षा के सार्वभौमीकरण तथा सर्व शिक्षा अभियान में सहयोग प्रदान करती है।

Founder of Inclusive Education was………..

(a) Burt

(b) Itard

(c) Krick

(d) Thomson

समावेशी शिक्षा के प्रवर्तक थे

(अ) बर्ट

(ब) इटार्ड

(स) क्रिक

(द) थॉमसन

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