B.Ed. / BTC/ D.EL.ED / M.Ed.

समावेशी शिक्षा की अवधारणा, विशेषताएँ, इतिहास एवं विकास

समावेशी शिक्षा की अवधारणा, विशेषताएँ, इतिहास एवं विकास
समावेशी शिक्षा की अवधारणा, विशेषताएँ, इतिहास एवं विकास

समावेशी शिक्षा की अवधारणा 

समावेशी शिक्षा की अवधारणा (Concept of Inclusive Education) का श्रेय सैम्युअल ग्रिडले होवे एक अमेरिका विद्वान को जाता है जिसने अपने कार्यों में दृष्टि व श्रवण रूप से बाधित बालकों के शिक्षण में उत्सुकता से रुचि ली है। होवे ने अन्धे बालकों की शिक्षा को सामान्य विद्यालय में शिक्षा देने पर बल दिया क्योंकि इसमें सामाजिक समायोजन के अवसर प्रस्तुत हो सकता है। उन्होंने अपंग और शारीरिक रूप से बाधित बालकों की शिक्षा सामान्य बालकों सम्पर्क में रखकर देने की भी वकालत की। 1975 में अमेरिका में शिक्षा की मुख्य धारा की अवधारणा प्रारम्भ किया।

शिक्षा की मुख्य धारा शिक्षण स्थापना की विधियों और प्रविधियों को प्रयुक्त करती है। जो अपंग बालकों की शिक्षा और आवश्यकताओं से सम्बन्धित हो, जो उन्हें कम-से-कम बाधित वातावरण में उपलब्ध कराई जा सके-

1. अपंग बालकों की शिक्षा सामान्य बालकों के साथ-साथ होनी चाहिये।

2. अपंग बालकों की विशिष्ट शिक्षा की आवश्यकताएं अधिक प्रभावी व दीर्घकालिक होती हैं।

3. सामान्य कक्षाएँ, सामान्य स्कूल तथा अन्य आवश्यकताएँ अपंग बालकों के लिये सामान्य बालकों से अलग केवल विशिष्ट परिस्थितियों में होनी चाहिये। ऐसी परिस्थितियाँ जब बालकों की विशिष्ट आवश्यकताएँ सन्तोषजनक रूप से सामान्य विद्यालय में उपलब्ध कराना सम्भव न हो, तब कुछ पूरक सहायक सामग्री तथा सेवाएँ उपलब्ध करानी चाहिये।

4. अपंग बालकों को विस्तृत क्षेत्र में विशिष्ट शिक्षा की जरूरत होती है।

समावेशी शिक्षा की विशेषताएँ

समावेशी शिक्षा की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(i) विभिन्न क्षमताओं वाले बच्चों के साथ ही कक्षा में उन बच्चों को भी उसी प्रकार शिक्षा दी जाये, जो किसी कारण से अक्षम (विकलांग) हैं, उनकी शारीरिक न्यूनता (विकलांगता) का कक्षा शिक्षण में ध्यान न दिया जाये।

(ii) सामान्य शैक्षिक संरचना में शारीरिक न्यूनता वाले बालक को समायोजित किया जाये।

(iii) शारीरिक न्यूनता या अन्य न्यूनता वाले बच्चों को भी सामान्य बच्चों के समकक्ष समझें व उसी प्रकार व्यवहार करें।

(iv) सभी शिक्षक व शैक्षिक प्रशासक, शारीरिक न्यूनता वाले बच्चों की शिक्षा हेतु रणनीति बनाकर उन्हें पर्याप्त समय, संसाधन सामूहिक नेतृत्व व समर्थन प्रदान करें।

(v) विद्यालय क्रिया-कलाप (शैक्षिक तथा पाठ्यक्रम-सहगामी क्रिया-कलाप) में विभिन्न क्षमताओं व आयु वाले बालक-बालिका एक साथ भाग लें।

(vi) सामान्य बच्चों की भाँति ही किसी भी प्रकार के अक्षम बालक भी शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराये जायें। सामान्य बच्चों की भाँति ही विकलांग बच्चों की भागीदारी को सुनिश्चित किया जाये।

समावेशी शिक्षा के इतिहास एवं विकास 

हम सभी यह मानते हैं कि शिक्षा किसी भी देश के विकास की आधारशिला होती है। जिस पर समाज व राष्ट्र की उन्नति, एकता व अखण्डता निर्भर करती है। शिक्षा केवल व्यवसाय व जीवनयापन के लिये ही नहीं दी जाती, बल्कि यह बच्चों में विविध प्रकार के ज्ञानात्मक, सृजनात्मक, नैतिक, सहयोग, समानता, भावानात्मकता आदि गुणों का भी विकास करती है। वर्तमान में सर्व शिक्षा अभियान व शिक्षा का अधिकार जैसे कार्यक्रमों के अनुसार शिक्षा प्राप्त करना प्रत्येक बच्चे का अधिकार हो गया है। ये कार्यक्रम तभी सफल हो सकते हैं जब हम शिक्षा की मुख्य धारा में उन सभी को सम्मिलित करें जो शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक रूप से भिन्न हैं। इन भिन्नता वाले बालकों की शिक्षा के लिए आधुनिक विचारधारा यह नहीं है कि इन बालकों को विशेष शिक्षा प्रदान की जाय। अनेक शिक्षाविद् इस प्रकार की शिक्षा के पक्ष में नहीं हैं। कुछ समय पूर्व तक इन विशिष्ट बालकों की शिक्षा पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता था। फिर इन बच्चों की शिक्षा के लिए विशिष्ट विद्यालय खुलने प्रारम्भ हुये। इन विद्यालयों को पृथक् दृष्टि से देखा जाता था। इस दृष्टिकोण से ये बच्चे स्वयं को समाज से पृथक् समझते हैं तथा उनमें हीनता की भावना आती है। वर्तमान में अनेक शिक्षाशास्त्रियों व वैज्ञानिकों ने यह विचार दिया कि समन्वित शिक्षा विद्यालयों में ही प्रदान की जाय जिससे कि सभी को समान रूप से शिक्षा प्रदान की जा सके। एक ओर शिक्षा के समान अवसरों की बात कही जाती है तो दूसरी ओर विशिष्ट बालकों के लिए पृथक विद्यालय की व्यवस्था करना? यह प्रश्न सामने आता है। शिक्षा के समान अवसरों के लिए विशिष्ट बालकों को भी सामान्य विद्यालयों में शिक्षा प्रदान करना समावेशी शिक्षा है। हालाँकि सामान्य विद्यालयों में सभी को शिक्षा देना एक कठिन कार्य अवश्य है लेकिन असम्भव नहीं है।

Important Links

Disclaimer

Disclaimer: Sarkariguider.in does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment