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शिक्षा का दर्शन पर प्रभाव | Impact of Education on Philosophy in Hindi

शिक्षा का दर्शन पर प्रभाव | Impact of Education on Philosophy in Hindi
शिक्षा का दर्शन पर प्रभाव | Impact of Education on Philosophy in Hindi

शिक्षा का दर्शन पर प्रभाव बताइये।

शिक्षा का दर्शन पर प्रभाव

शिक्षा मनुष्य के विकास की आधारशिला है। उचित शिक्षा के अभाव में मनुष्य दर्शन जैसे विषयों का विकास ही नहीं कर सकता। दर्शन के निर्माण एवं विकास दोनों के लिए शिक्षा की आवश्यकता है। प्रसिद्ध शिक्षा दार्शनिक जॉन एडम का विचार है कि- “शिक्षा दर्शन का शक्तिशील पहलू है, यह दार्शनिक विकास का सक्रिय पक्ष है और जीवन के आदर्शों को प्राप्त करने का वास्तविक साधन है।”

शिक्षा में विद्यमान तथ्यों की छानबीन करना एवं उनके महत्त्व की खोज करना दर्शन का कार्य है। शिक्षा के विभिन्न उद्देश्य को निर्धारित करने में दर्शन की सहायता ली जाती है। दर्शन के द्वारा हमें जीवन के मूल्यों का ज्ञान प्राप्त होता है और शिक्षा के द्वारा ही इन मूल्यों की प्राप्ति सम्भव है।

शिक्षा के विभिन्न उद्देश्य दर्शन के द्वारा निर्धारित किये जाते हैं जिससे कि हमारे द्वारा दिये गये सभी शैक्षिक प्रयास सफल हो सकें। प्राचीन समय में ही दर्शन का प्रयोग शिक्षा के विभिन्न उद्देश्यों को निर्धारित करने में किया जाता है।

भारत में भी शिक्षा. उद्देश्यों (धार्मिक एवं आध्यात्मिक विकास) को प्राचीन दार्शनिक विचारधारा अनुसार निर्धारित किया जाता था। आधुनिक समय में शिक्षा के उद्देश्य दर्शन की सहायता से निर्धारित किये जा रहे हैं और इन उद्देश्य निर्धारण के ऊपर राजनीति दर्शन का प्रभाव पड़ा है।

जनतन्त्रवादी अमरीका तथा भारत जैसे देशों में शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति का स्वतन्त्र विकास श्रेष्ठ नागरिकता का विकास, चारित्रिक और व्यावसायिक विकास आदि से निर्धारित किया गया है।

शिक्षा का दर्शन पर प्रभाव को निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है-

1. शिक्षा दर्शन के निर्माण की आधारशिला है क्योंकि किसी दार्शनिक दृष्टिकोण को विकसित करने के लिए उसका शिक्षित होना जरूरी है और शिक्षित होने के लिए साक्षरता जरूरी है।

2. शिक्षा दर्शन को जीवित रखती है अर्थात् शिक्षा के द्वारा दर्शन में समय परिस्थिति तथा आवश्यकतानुसार नित नवीनता बनी रहती है तथा प्राचीन दृष्टिकोण का हस्ताक्षरण भी।

3. शिक्षा दार्शनिक सिद्धान्तों को मूर्तरूप देती है क्योंकि शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम दार्शनिक उद्देश्यों को प्राप्त करते हैं।

4. शिक्षा दर्शन को नई समस्याओं से परिचित कराती है। भारत सरकार के पूर्व शिक्षा मन्त्री अपने शिक्षाशास्त्रियों से यह अपेक्षा रखते थे कि वे राष्ट्र एवं समाज की समस्याओं का दार्शनिक हल ढूँढ़े।

5. शिक्षा दर्शन को गतिशीलता प्रदान करती है शिक्षा के अभाव में दर्शन का विकास सम्भव नहीं है।

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