अधिगम असमर्थी बालकों की विशेषताएँ क्या है?
गनपथि तथा कृष्ण कुमार ने अधिगम असमर्थी बालको के विशेष लक्षणों को इस प्रकार व्यक्त किया है।
- यह तंत्रिका तन्त्र से संबंधित विकृति है जो व्यक्ति की योग्यता एवं निष्पादन में अन्तराल पैदा करती है।
- इससे समाजीकरण प्रतिबाधित होता है।
- अधिगम असमर्थता बालक की पढ़ने लिखने बोलने तथा गणित के प्रश्न हल करने मे समस्या पैदा करती है।
- अधिगम असमर्थता एक गुप्त बाधिता है जिसकी आसानी से पहचान निदान तथा स्वीकृति नहीं होती।
- अधिगम असमर्थी के लिए शीघ्र नीदान उपयुक्त हस्तक्षेप अत्यावस्यक दशाएँ है।
- अधिगम असमर्थी प्रायः परिवारों में होती है।
- ऐसा माना जाता है। कि अधिगम असमर्थता पूर्ण रूप से लुप्त नहीं होती है। इसकी क्षतिपूर्ती की जा सकती है।
- ध्यान की कमी तथा अत्यधिक क्रियाशीलता विकृतियाँ अधिगम असमर्थता में सम्मिलित होती है। लेकिन सदैव नहीं।
- अधिगम असमर्थता मानसिक मन्दन आत्मविमोह बहरापन दृष्टिहीनता तथा व्यवहार सम्बन्धी असमानताओं के समान नहीं है।
अधिगम असमर्थी बालकों की मुख्य विशेषताओ का वर्गीकरण करने के लिए अनेक प्रयास किये गये है। क्लेमेन्टन 1966 ने इन बच्चों का गहन अध्ययन किया और अनुमान लगाया कि अधिगम असमर्थता मानसिक तथा नाड़ी दोष या क्षति के कारण होती है। इन बालकों में जो अधिकांश विशेषताएं पायी जाती है। वे इस प्रकार है:
- शारिरीक अंग जैसे हाथ, पैर का सुचारू रूप से कार्य न करना।
- अंतःक्रिया की समस्या।
- संवेगात्मक योग्यता में कमी।
- ध्यान केन्द्रण में कमी।
- स्मृति व चिन्तन करने में कमी।
- विभिन्न इन्द्रियों में सामंजस्य की कमी।
- संवेगात्मक प्रतिरोधा।
- विशिष्ट अधिगम असमर्थता।
उपरोक्त विशेषताओं के अतिरिक्त कुछ अन्य विशेषताएँ होती है। जो इस प्रकार है:
- इन बच्चों को व्यवस्थित रूप से कारेय करने में समस्या आती है।
- ये बच्चे भावनात्मक रूप से अस्थिर होते है। अकस्मात संवेगो के विस्फोट के कारण अप्रिय व्यवहार करते हैं।
- विषय वस्तु को समझने, अर्थ करने की क्षमता कम होती है।
- इन बच्चों को अंक गणित, वाचन, भाषा, पठन, उच्चारण करने में समस्या आती है।
- इन बच्चों के शारिरीक अंगो मे सामंजस्य की कमी होती है।
बौद्धिक विशेषताएँ
- अधिगम असमर्थी बालको की श्रवण, शब्दों को ठीक से बोलना, समझना आदि की समस्या होती है।
- शब्दों को ग्रहण करने, भाल को समझने में कठिनाई होती है।
- भावो का बोलकर समझने की योग्यता नहीं होती है।
- अक्षरो का क्रम, वाक्य बनाना, भूलजाना, समझ मे न आना आदि समस्याएँ होती है।
संवेगात्मक व सामाजिक विशेषता
- ऐसे बालक शांत व आज्ञाकारी होते है। ये दिवास्वप्न में लीन रहते है।
- बिना कारण क्रोधित होते है।
- ऐसे बालक शारीरिक रूप से शिथिल होते है। उनहे किसी विशेष बिन्दु पर ध्यान केन्द्रित करने में समस्या होती है।
- ऐसे बालक एक वस्तु से दूसरी वस्तु शीघ्र बदलते है।
- स्वयं पर नियंत्रण नहीं कर पाते है।
- भावनात्मक रूप से आस्थिर होते है।
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