अभिवृत्ति का अर्थ और परिभाषा पर प्रकाश डालिए।
अभिवृत्ति का अर्थ और परिभाषा (Meaning and Definition of Attitude)- अभिवृत्ति का प्रत्यक्षसम्बन्ध व्यक्ति के मानसिक पहलू से है। इस मानसिक पहलू के द्वारा ही मानव विशिष्ट प्रकार का व्यवहार प्रदर्शित करता है।
बिट का मानना है- “अभिवृत्ति नाड़ी सम्बन्धी तथा मानसिक तत्परता की अवस्था है, जो व्यक्ति से सम्बन्धित है सभी वस्तुओं तथा परिस्थितियों के प्रति प्रतिक्रिया पर निर्देशात्मक अथवा गत्यात्मक प्रभाव डालती है।”
अभिवृत्ति एक मानसिक झुकाव है जो सामाजिक परिस्थितियों में व्यवहार के मानसिक से सम्बन्धित होता है। यह वृत्ति मानव के उस निर्णय की ओर इंगित करती है जिसके माध्यम से वह किसी वस्तु या परिस्थिति के प्रति किसी विशिष्ट प्रकार का व्यवहार प्रदर्शित करता है अथवा विचारों को अभिव्यक्त करता है; यथा-किसी धर्म या किसी राजनैतिक पार्टी के प्रति हमारा विश्वास आदि। अभिवृत्ति माता-पिता से प्राप्त होते हुए भी मित्र, पड़ौस, समाज, विद्यालय, पत्र-पत्रिकाओं, मीडिया आदि से भी प्रभावित होती है एवं समय और परिस्थिति के अनुसार,परिवर्तित होती रहती है।
थर्स्टन का विचार है- “कुछ मनोवैज्ञानिक पदार्थों से सम्बन्धित सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभावों की मात्रा को अभिवृत्ति की संज्ञा दी है।”
उक्त परिभाषा से स्पष्ट होता है कि किसी वस्तु, व्यक्ति, प्रक्रिया के प्रति अनुकूल या प्रतिकूल दोनों ही दृष्टिकोण हो सकते हैं यह अभिवृत्ति को व्यक्त करते हैं।
फ्रीमैन के अनुसार- “अभिवृत्ति किन्हीं निश्चित परिस्थितियों, व्यक्तियों एवं वस्तुओं के प्रति संगत रूप से प्रत्युत्तर देने की लाक्षणिक रीति बन जाती है।”
तात्पर्य यह है कि अभिवृत्ति एक स्वाभाविक मानसिक तत्परता है जो किसी उद्दीपक के प्रति प्रतिक्रिया करने की विशिष्ट विधि को इंगित करती है।
किम्बाल यंग के अनुसार- “अभिवृत्ति अनिवार्य रूप से एक पूर्वज्ञापी प्रतिक्रिया का कारण है, क्रिया का यह आरम्भ है, जो अनिवार्य नहीं कि पूरी हुई हो।”
बुडवर्थ का कथन है- “अभिवृत्तियाँ मत रुचि का उद्देश्य की थोड़ी बहुत स्थाई प्रवृत्तियाँ है, जिनमें किसी प्रकार के पूर्वज्ञान की प्रत्याशा और उचित प्रक्रिया की तत्परता निहित है।”
रेमर्स और गेज के शब्दों में- “अभिवृत्ति अनुभवों द्वारा व्यवस्थित वह संवेगात्मक प्रवृत्ति है, जो किसी मनोवैज्ञानिक पदार्थ वस्तु के प्रति सकारात्मक या नकारात्मक रूप से प्रतिक्रिया करती है।”
क्रैच और क्रेचफील्ड के मतानुसार- “अभिवृत्ति को व्यक्ति के संसार के किसी अंग के प्रति प्रेरणात्मक, संवेगात्मक, प्रत्यक्षात्मक एवं ज्ञानात्मक प्रतिक्रियाओं के स्थाई संगठन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।”
क्रचफील्ड के अनुसार- अभिवृत्ति व्यक्ति की प्रेरणाओं, उद्वेगों, प्रत्यक्षीकरण एवं ज्ञानात्मक प्रतिक्रियाओं का संगठन है। अभिप्राय यह है कि व्यक्ति उन वस्तुओं के प्रति किस प्रकार प्रेरित होता है, किस प्रकार अनुभव करता है, किस प्रकार समझता है यह सभी अभिवृत्ति पर आधारित होती है।
के ट्रिल के अनुसार- “अभिवृत्ति एक अधिक या कम मानसिक संगठन का स्थाई रूप से तत्परता की स्थिति है जो एक व्यक्ति को किसी वस्तु के लक्षित मार्ग या किसी स्थिति, जिससे वह सम्बन्धित है से प्रतिक्रिया करने के योग्य बनाती है।”
तात्पर्य यह है कि अभिवृत्ति एक मानसिक झुकाव है। इस मानसिक झुकाव में स्नायविक तत्परता पाए जाने के कारण अभिवृत्ति में मानसिक तत्परता पायी जाती है, जो हमारी प्रेरणाओं, संवेगों तथा प्रत्यक्षीकरण को विशिष्ट रूप प्रदान करती है।
इस प्रकार स्पष्ट है कि ‘अभिवृत्ति’ किसी मनोवैज्ञानिक पदार्थ- व्यक्ति, वस्तु, संस्था, धर्म, विचार आदि के प्रति अनुकूल या प्रतिकूल विचारों और भावनाओं का अभिव्यक्तिकरण है। जिस वस्तु या व्यक्ति के प्रति जैसा मानसिक सुझाव होता है, जैसे भाव होते हैं वैसा ही व्यवहार अनुकूल अथवा प्रतिकूल प्रदर्शित करते हैं। यह अनुकूल या प्रतिकूल व्यवहार का प्रदर्शन उस उद्दीपक की पसन्द या नापसन्द को व्यक्त करता
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