
पारिवारिक या व्यवहारिक पत्र पर लेख लिखिए।
पारिवारिक या व्यवहारिक पत्र पर लेख- ऐसे एत्र जो सम्बन्धियों, परिवाजीजनों, मित्रों को लिखे जाते हैं, पारिवारिक पत्रों की श्रेणी में आते हैं। पारिवारिक पत्रों के अन्तर्गत निमन्त्रण पत्रों को भी सम्मिलित कर लिया गया है।
पत्र-लेखन विचारों के आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। पत्र-लेखन के माध्यम से अपना संदेश, इच्छा तथा आवश्यकता उपयुक्त व्यक्ति तक पहुंचाता है। पत्र में लेखक के व्यक्तित्व की छाप भी रहती है। विशेष रूप से व्यक्तिगत पत्रों को पढ़कर आप किसी व्यक्ति के अच्छे-बुरे स्वभाव या मनोवृत्ति का परिचय आसानी से पा सकते हैं। पत्र सेतु के समान होता है, जो दूर बैठे व्यक्तियों को एक-दूसरे से मिलाने में सहायता करता है। इस प्रकार पत्र-लेखन का प्रयोजन पत्र के माध्यम से अपने भाव तथा विचार दूसरों तक पहुँचाना है। अच्छा पत्र वही है, जिसे पढ़कर लिखी हुई बात सरलतापूर्वक समझ में आ जाये।
पत्र-लेखन को ‘कला’ भी कहा जाता है। इसका हमारे जीवन में प्रतिदिन उपयोग होता है। जहाँ बचपन में हम केवल अपने सम्बन्धियों या मित्रों को पत्र लिखते हैं, वहीं बड़े होने पर इसका क्षेत्र अधिक विस्तृत हो जाता है। तब हम कार्यालय, संस्था और व्यवसाय सम्बन्धी पत्र भी युग वास्तव में आज के लिखने लगते हैं। बचपन में जो पत्र लिखे जाते हैं, उनमें भावुकता का अंश अधिक होता है। जैसे-जैसे-विचारों में प्रौढ़ता आती है, पत्रों की भाषा और शैली में भी प्रौढ़ता आने लगती है। में पत्र लिखना आवश्यक हो गया है। कभी हम अपने सम्बन्धियों को कुशलता का समाचार देने के लिए लिखते हैं, तो कभी प्रधानाध्यापक को आवेदन-पत्र लिखते हैं। कभी-कभी अधिकारी को शिकायती-पत्र भी लिखते हैं। इसके अतिरिक्त जन्मोत्सव, विवाह आदि अवसरों पर निमन्त्रण-पत्र तथा नववर्ष, त्यौहारों पर शुभ कामनाओं के पत्र भी भेजे जाते हैं। इस प्रकार जीवन में ऐसे अनेक अवसर आते हैं, जब हमें पत्र लिखने की आवश्यकता पड़ती है।
विभिन्न अवसरों पर विभिन्न लोगों को पत्र लिखने की शैली या रीति अलग होती है। इस दृष्टि से पत्रों को मुख्यतः दो भागों में बाँटा जाता है।
औपचारिक पत्र- औपचारिक पत्र द्वारा अपने सम्बन्धियों या मित्रों को लिखे गये पत्रों से कुशलता का समाचार पूछते हैं और अपनी कुशलता के तथा अन्य सामाचार लिखते हैं। इन पत्रों की भाषा बहुत सरल होती है और इनमें अपनापन झलकता है।
अनौपचारिक पत्र- अनौपचारिक पत्र में कोई दिखावा या बनावटी पन नहीं होता। ये पत्र स्वाभाविक और सहज व्यवहार में लिखे जाते हैं। ये पत्र सम्बन्धियों, मित्रों आदि को लिखे जाते हैं। इन पत्रों का प्रारम्भ में सबसे ऊपर दांयी ओर अपना पूरा पता लिखा जाता है। यदि पत्र पाने वाले को आपका पता अच्छी तरह से मालूम है तो केवल नगर या नाम भी लिखा जा सकता है। उसके नीचे तारीख दी जाती है। इसके नीचे बायीं ओर सम्बोधन और अभिवादन लिखे जाते हैं। इसके बाद पत्र अभिवादन और अधोलेखक सम्बन्धों के आधार पर लिखे जाते हैं।
उदाहरण-
1. पिता के नाम पत्र, जिसमें पढ़ाई हेतु धन की माँग की गई हो का एक उदाहरण-
कमरा नं. 12
सेण्ट जॉन्स कॉलेज
आगरा
दिनांक : 20 जुलाई, 2019
पूज्य पिताजी,
सादर प्रणाम!
आशा है आप लोग स्वस्थ एवं प्रसन्नचित होंगे। मैं आप लोगों से विदा लेकर कुशलतापूर्वक यहाँ पहुँच गया हूँ। रास्ते में ठंड लग जाने से मुझे थोड़ा जुकाम हो गया था, लेकिन अब मैं पूर्णरूप से स्वस्थ हूँ। मेरी पढ़ाई ठीक चल रही है। नई कक्षा में प्रवेश शुल्क तथा हॉस्टल के कमरे का किराया लगभग 500 रुपये है। मेरे पास 250 रुपये हैं। अतः शेष 250 रुपये आप जल्दी ही भेज दें।
माँ को सादर प्रणाम! दीदी को नमस्ते और छोटे को प्यार।
आपका आज्ञाकारी पुत्र
कुशाग्र मित्तल
2. अपने छोटे भाई को उसके पन्द्रहवें जन्मदिन पर बधाई-पत्र लिखने का एक उदाहरण-
नेहरू छात्रावास कक्ष-सं. 25
सिंधिया राजकीय कॉलेज, ग्वालियर
दिनांक : 14 नवम्बर, 2019
प्रिय अंशुल,
चिरंजीव रहो!
आज तुमने अपने जीवन का पन्द्रहवाँ वर्ष पूरा करके सोलहवें वर्ष में कदम रखा है। इस अवसर पर मेरी शुभकामनाएँ। ईश्वर से प्रार्थना है कि तुम शतायु हो।
तुम्हारा भाई
नीरज
3. मित्र के पिता का स्वर्गवास होने पर संवेदना-पत्र लिखने का उदाहरण.
8/16-1, दुर्गाबाई देशमुख मार्ग,
अहमद मार्केट, मुम्बई
दिनांक : 18 नवम्बर, 2018
प्रिय मनीष!
तुम्हारे पिताजी के अचारक निधन का समाचार सुनकर मुझे हार्दिक दुःख हुआ। वास्तव में यह तुम्हारे परिवार पर वज्रपात हुआ है। ईश्वर की इच्छा के आगे किसी का बस नहीं चलता।
हम सभी लोग तुम्हारे दुःख से दुःखी हैं। ईश्वर से प्रार्थना है कि स्वर्गीय आत्मा को शान्ति प्रदान करें और तुम सबको इस अपार दुःख को सहन करने की शक्ति भी दें। माताजी का विशेष ध्यान रखना। अगले महीने मैं किसी दिन तुम्हारे यहाँ आऊँगा।
तुम्हारा अपना
सजय
4. निमन्त्रण पर का एक उदाहरण-
सेवा में,
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ईश्वर की अनुकम्पा से मेरे सुपुत्र संजीव का शुभ-विवाह आयुष्मती कविता आत्मजा श्री मिश्रीलाल, ईदगाह कॉलोनी, आगरा के साथ दिनांक 15-12-2018 को हाना निश्चित हुआ है। इस शुभ अवसर पर सपरिवार पधारकर वर-वधू को आर्शीवाद देकर अनुग्रहीत करें।
उत्तरापेक्षी:
राजीव, पंकज
विनीत
महेश चन्द्र
23, एम.जी. रोड आगरा
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