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व्यावसायिक पत्र-लेखन क्या हैं? व्यावसायिक पत्र के महत्त्व एवं उद्देश्य

व्यावसायिक पत्र-लेखन क्या हैं? व्यावसायिक पत्र के महत्त्व एवं उद्देश्य
व्यावसायिक पत्र-लेखन क्या हैं? व्यावसायिक पत्र के महत्त्व एवं उद्देश्य

व्यावसायिक पत्र-लेखन क्या हैं? व्यावसायिक पत्र के महत्त्व एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।

‘व्यावसायिक पत्र-लेखन’ या वाणिजिक पत्र से आशय है व्यवसाय से सम्बन्धित, एक व्यवसायी द्वारा दूसरे व्यवसाय अथवा एक व्यक्ति द्वारा किसी व्यवसायी को पत्र लिखना अर्थात् माल के सम्बन्ध में पूछताछ करने, आदेश देने, खराब माल की शिकायत करने माल प्राप्ति की सूचना दे रूपये का तकादा करने या अपने माल का प्रचार करने, आदि से सम्बन्धित जो पत्र एक उद्यमी या व्यवसायी दूसरे बड़े व्यवसायी को या बड़े व्यवसायी द्वारा छोटे उद्यमी को माल बना के आदेश आदि हेतु पत्र व्यवहार हो तो वह व्यावसायिक प्रत्राचार के अन्तर्गत आता है।

व्यावसायिक पत्र के महत्त्व

आधुनिक अर्थप्रधान संस्कृति और सभ्यता में व्यावसायिक पत्रों की महत्ता और भी गई है। ऐसे पत्रों की कुछ महत्त्वपूर्ण बातें निम्नलिखित हैं-

(1) व्यावसायिक व्यक्तिगत सम्पर्क की अपेक्षा अधिक प्रभावी एवं कारण उपाय- व्यावसायिक पत्र का भाव व्यक्तिगत सम्पर्क की अपेक्षा अधिक प्रभावी एवं स्थाई है। एक तो सब समय व्यक्तिगत रूप से सब कहीं पहुँचना कठिन होता है दूसरे दूरस्थ देशों व्यावसायिक सम्पर्क साधना आसान होता है।

(2) श्रेष्ठ-साक्ष्य के रूप में समर्थता – व्यावसायिक-पत्र विवाद की स्थिति में श्रेष्ठ से प्रमाण (Good Evidence) के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।

(3) अधिक प्रभावोत्पादक- पत्र सदैव साकच-विचार के पश्चात् लिखा जाता है। अत: जिह् की तुरन्त की बातचीत की अपेक्षा अधिक प्रभावशील होता है।

(4) पुष्टीकरण- टेलीफोन आदि से बातचीत के बाद भी उस निर्णय आदि की लिखित पत्र के द्वारा पुष्टि करने से भविष्य में कोई भ्रमात्मक स्थिति नहीं रह जाती है।

(5) मितव्ययता- पत्र केवल डाक खर्च आदि जैसे- रजिस्ट्री, स्पीड पोस्ट, कोरियर की सहायता से कम आर्थिक भार डाले बिना शीघ्र सन्देश पहुँचा देते हैं जबकि इसकी अपेक्षा व्यावसायिक सम्पर्क के लिए किसी व्यक्ति को भेजना कई गुना महँगा और असुविधाजनक सौदा होता है।

(6) समस्याओं का समाधान- पत्र द्वाराशीकालीन व्यावसायिक भ्रमों और समस्याओं का निराकरण सम्भव है। विवाद की स्थिति में व्यक्ति जहाँ उत्तेजित होकर अभद्र भाषा बोलता है। पत्र ऐसा नहीं करता अत: वह अधिक संयत श्रोता है और निर्णायक भी।

(7) लम्बे पत्र- पत्रों की लम्बाई प्राप्तकर्ता के कार्य को बाधित नहीं करती वह उसे रूककर थोड़ी देर बाद पढ़ सकता है और ऊबता नहीं जो कि व्यवसाय सम्बन्धी लम्बी वार्ता में प्रायः होता है।

(8) एक ही समय में अनेक लोगों से सम्पर्क साधना हो तो पत्र से बढ़कर अन्य कोई मार्ग नहीं हो सकता है। एक व्यक्ति एक समय में एक ही स्थान पर जा सकता है जबकि एक ही समय में कई स्थानों पर व्यवसायी एक साथ सम्पर्क साधने में सफल हो सकता है।

(9) अनुरोध को अस्वीकार करना व्यावसायिक पत्र के द्वारा अधिक सरलता से किया जा सकता है जबकि टेलीफोन पर या मुखाभिमुख वार्तालाप में ऐसा करना निश्चित ही कठिन होता है।

(10) साख (Goodwill) बनाने में सहायक- व्यावसायिक-पत्र अपनी भाषा की शिष्टता, स्पष्टता, कार्य के प्रति गम्भीर दृष्टि, आदि के द्वारा व्यावसायिक जगत में अपनी साख बनाने में सहायक होते हैं। आजकल सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों एवं उद्यमों में इस दृष्टि से चुस्त एवं कुशल पत्र-लेखकों को रखने पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

व्यावसायिक पत्र के उद्देश्य

व्यावसायिक पत्रों का सम्बन्ध व्यवसाय से होता है अत: वह यों ही निरुद्देश्य या उदासीन होकर नहीं लिखे जा सकते। एक सुनियोजित रूप से लिखेव्यावसायिक पत्र के उद्देश्य निम्नलिखित-

  1. व्यावसाय में वृद्धि करना।
  2. ग्राहकों की वृद्धि करना।
  3. अपनी साख में वृद्धि करना।
  4. पुराने ग्राहकों में अपनी पैठ बनाये रखना।
  5. ग्राहकों की शिकायतों पर तुरन्त ध्यान देना।
  6. ग्राहकों का नया बाजार ढूँढना।
  7. ऋण की वसूली करना।
  8. पारस्परिक मतभेदों को दूर करना।

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