B.Ed. / BTC/ D.EL.ED / M.Ed.

व्यावसायिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? व्यावसायिक निर्देशन की परिभाषा दीजिए।

व्यावसायिक निर्देशन का अर्थ एवं परिभाषा
व्यावसायिक निर्देशन का अर्थ एवं परिभाषा

व्यावसायिक निर्देशन (Vocational Guidance in Hindi)

शिक्षा प्राप्त करने के बाद व्यक्ति अपने को समाज स्थापित करने के लिए कोई व्यवसाय अपनाता है। अधिकतर लोग अपने परम्परागत व्यवसाय को ही अपनाते हैं। परन्तु ऐसा देखा जाता है कि कभी-भी अपने परम्परागत व्यवसाय में वे सफल नहीं हो पाते क्योंकि हर व्यक्ति में वे योग्यताएँ व क्षमताएँ नहीं होती हैं जिनसे वह अपने को हर परिस्थिति में समायोजित कर सके। इसलिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति में निहित क्षमताओं, योग्यताओं तथा व्यावसायिक संसार की परिवर्तित परिस्थितियों एवं आवश्यकताओं का मूल्यांकन किया जाता है। इस  प्रकार व्यावसायिक निर्देशन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यावसायिक चयन से सम्बन्धित विभिन्न समस्याओ के समाधान के लिए व्यक्ति विशेष को योग्यताओं एवं व्यवसाय के अवसरों के अनुरूप सूचनाएँ प्रदान की जाती है जिससे उसमें उस सहायता के द्वारा व्यावसायिक क्षेत्र में अपने को समायोजित करने की क्षमता उत्पन्न हो सके। साथ ही अपना व समाज का उपलब्ध सुविधाओं के द्वारा आर्थिक विकास करने में सक्षम हो सके।

व्यावसायिक निर्देशन की परिभाषा (Definition of Vocational Guidance)

फ्रैंक पारसन्स (FrankParsons) ने व्यावसायिक निर्देशन (Vocational Guidance) शब्द का पहली बार प्रयोग किया। सन् 1937 में संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय व्यावसायिक निर्देशन संघ के एक प्रतिवेदन (Report) में व्यावसायिक निर्देशन के सन्दर्भ में उल्लेख दिया गया है-

“व्यावसायिक निर्देशन व्यक्ति को किसी व्यवसाय के चुनाव करने, उसके लिए तैयारी करने, उसमें प्रवेश करने एवं प्रगति करने में मदद करने का प्रक्रम है। इसका सम्बन्ध मुख्य रूप से भविष्य की योजनाएँ बनाने एवं जीवनचर्या के निर्माण हेतु किये जाने वाले निर्णयों एवं विकल्पों के चुनाव में व्यक्ति को सहायता प्रदान करने से है। ये निर्णय एवं वैकल्पिक चुनाव को सन्तोषजक-व्यावसायिक समायोजन प्रदान करने के लिए आवश्यक हैं।’

अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization-ILO) के (1949) के एक रिपोर्ट के अनुसार, “व्यावसायिक निर्देशन, व्यक्तियों के गुणों एवं व्यवसाय के अवयवों के साथ उनके सम्बन्ध को ध्यान में रखते हुए, व्यक्ति को व्यवसाय के चयन एवं उसकी प्रगति में आने वाली समस्याओं के सुलझाने में प्रदान की जाने वाली सहायता को कहते हैं।

डी.ई. सुपर (D.E. Supar)- व्यावसायिक निर्देशन के सम्बन्ध में कथन व्यक्त करते हैं- “एक व्यक्ति को स्वयं का तथा कार्य जगत में अपनी भूमिका का उपयुक्त एवं समन्वित चित्र विकसित करने तथा स्वीकार करने, इस सम्प्रत्यय को वास्तविकता के सन्दर्भ में परखने एवं अपनी सन्तुष्टि और समाज के हित के अनुरूप वास्तविकता में रूपान्तरित करने के लिए सहयोग देने की प्रक्रिया व्यावसायिक निर्देशन कहलाती है।’

  1. निर्देशन का अर्थ, परिभाषा, तथा प्रकृति
  2. निर्देशन का क्षेत्र और आवश्यकता
  3. व्यक्तिगत निर्देशन (Personal Guidance) क्या हैं? 
  4. व्यावसायिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? व्यावसायिक निर्देशन की परिभाषा दीजिए।
  5. वृत्तिक सम्मेलन का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसकी क्रिया विधि का वर्णन कीजिए।
  6. व्यावसायिक निर्देशन की आवश्कता | Needs of Vocational Guidance in Education
  7. शैक्षिक निर्देशन के स्तर | Different Levels of Educational Guidance in Hindi
  8. शैक्षिक निर्देशन के उद्देश्य एवं आवश्यकता | 
  9. शैक्षिक निर्देशन का अर्थ एवं परिभाषा | क्षेत्र के आधार पर निर्देशन के प्रकार
  10. शैक्षिक दृष्टिकोण से निर्देशन का महत्व
  11. शिक्षण की विधियाँ – Methods of Teaching in Hindi
  12. शिक्षण प्रतिमान क्या है ? What is The Teaching Model in Hindi ?
  13. निरीक्षित अध्ययन विधि | Supervised Study Method in Hindi
  14. स्रोत विधि क्या है ? स्रोत विधि के गुण तथा दोष अथवा सीमाएँ
  15. समाजीकृत अभिव्यक्ति विधि /समाजमिति विधि | Socialized Recitation Method in Hindi
  16. योजना विधि अथवा प्रोजेक्ट विधि | Project Method in Hindi
  17. व्याख्यान विधि अथवा भाषण विधि | Lecture Method of Teaching

इसे भी पढ़े ….

  1. सर्व शिक्षा अभियान के लक्ष्य, उद्देश्य एवं महत्व 
  2. प्राथमिक शिक्षा की समस्यायें | Problems of Primary Education in Hindi
  3. प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण की समस्या के स्वरूप व कारण
  4. प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण की समस्या के समाधान
  5. अपव्यय एवं अवरोधन अर्थ क्या है ? 
  6. शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2010 क्या है?
  7. प्राथमिक शिक्षा का अर्थ, उद्देश्य , महत्व एवं आवश्यकता
  8. आर्थिक विकास का अर्थ, परिभाषाएँ, प्रकृति और विशेषताएँ
  9. शिक्षा के व्यवसायीकरण से आप क्या समझते हैं। शिक्षा के व्यवसायीकरण की आवश्यकता एवं महत्व
  10. बुनियादी शिक्षा के पाठ्यक्रम, विशेषतायें तथा शिक्षक प्रशिक्षण व शिक्षण विधि
  11. कलकत्ता विश्वविद्यालय आयोग के गुण एवं दोष 
  12. सार्जेन्ट योजना 1944 (Sargent Commission in Hindi)
  13. भारतीय शिक्षा आयोग द्वारा प्राथमिक शिक्षा के सम्बन्ध में दिये गये सुझावों का वर्णन कीजिये।
  14. भारतीय शिक्षा आयोग द्वारा माध्यमिक शिक्षा के सम्बन्ध में दिये गये सुझावों का वर्णन कीजिये।
  15. मुस्लिम काल में स्त्री शिक्षा की स्थिति
  16. मुस्लिम शिक्षा के प्रमुख गुण और दोष
  17. मुस्लिम काल की शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य
  18. मुस्लिम काल की शिक्षा की प्रमुख विशेषतायें
  19. प्राचीन शिक्षा प्रणाली के गुण और दोष
  20. बौद्ध शिक्षा प्रणाली के गुण और दोष
  21. वैदिक व बौद्ध शिक्षा में समानताएँ एवं असमानताएँ
  22. बौद्ध कालीन शिक्षा की विशेषताएँ 

Disclaimer

Disclaimer: Sarkariguider.in does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment