रुचियों के प्रकार | हान तथा मेकलिन के अनुसार रुचियों के प्रकार
रुचियों के प्रकार का वर्णन निम्नलिखित है-
(1) आत्मनिष्ठ रुचियाँ (Subjective Interests)- आत्मनिष्ठ रुचियों का अर्थ है- वे अनुभव जिनसे पसन्द अथवा नापसन्द, प्रिय या अप्रिय का भाव सन्निहित होता है। जो भाव प्रिय या नापसन्द होते हैं उसे असक्ति (Like) तथा जो भाव अप्रिय होते हैं उसे विरक्त (Dislike) के रूप में स्वीकार किया जाता है। ये दोनों भाव व्यक्ति के अन्तः से अपने के लिए उत्पन्न होते हैं अतः इन्हें आत्मनिष्ठ कहते हैं। स्ट्रांग व्यावसायिक रुचि परिसूची द्वारा आत्मनिष्ठ रुचि का मापन किया जाता है।
(2) वस्तुनिष्ठ रुचियाँ (Objective Interest)- वस्तुनिष्ठ रुचियों से तात्पर्य है- दूसरे व्यक्तियों द्वारा की गई प्रतिक्रियाओं अथवा व्यवहारों का अवलोकन कर रुचियों को निर्धारित करना। सूचना, परीक्षण, स्वतन्त्र, साहचर्य परीक्षणों आदि के माध्यम से वस्तुनिष्ठ रुचियों का मापन किया जाता है।
(3) अभिव्यक्त रुचियाँ (Expressive Interest)- अभिव्यक्त रुचि से तात्पर्य उस रुचि से है जिसे विषयी स्वयं शब्दों के माध्यम से व्यक्त करता है। इस रुचि को विषयी से पूछकर ज्ञात किया जाता है, विषयी प्रत्युत्तर में व्यक्ति, वस्तु, क्रिया आदि के सम्बन्ध में अपनी रुचि के रूप में अपने विचारों को अभिव्यक्त करता है। इस प्रकार की रुचियाँ बहुधा अविश्वसनीय होती हैं क्योंकि विषयी/व्यक्ति अपने वास्तविक विचारों को छिपाकर आदर्श उत्तर दे देता है। छोटे बच्चों एवं अशिक्षित व्यक्तियों पर इस प्रकार की रुचि को सफलतापूर्वक ज्ञात किया जा सकता है।
(4) प्रदर्शित रुचि (Manifested Interest)- प्रदर्शित रुचि को व्यक्ति अपने शब्दों द्वारा व्यक्त न करक व्यक्ति के व्यवहार का निरीक्षण करके ज्ञात किया जाता है। यथा- पिक्चर देखना, क्रिकेट मैच देखना, गाने सुनना, गाने गाना आदि क्रियाओं के निरीक्षण द्वारा विषयी की वास्तविक रुचियाँ प्रदर्शित होती है। इस प्रकार की रुचियाँ अधिक विश्वसनीय होती है।
(5) परीक्षित रुचि (Tested Interest)- यदि किसी व्यक्ति का किसी विषय में ज्ञान तथा उस ज्ञान की उपलब्धि के प्राप्तांक समान हों, तो वह स्वीकारा जाता है कि वह उस विषय में रुचिशील है। शिक्षा के क्षेत्र में अधिकांशतः रुचियों का मापन विभिन्न निष्पत्ति परीक्षणों के माध्यम से किया जाता है।
(6) प्रपत्र रुचि (Inventtaried Interest) – इस प्रकार की रुचि को प्रमावीकृति रुचि प्रपत्रों तथा परीक्षणों के माध्यम से ज्ञात किया जाता है। इसमें विषयी को अनेक क्रियाओं के समूह में से कुछ का चयन करना होता है इस चयन के माध्यम से ही विषयी रुचि का ज्ञान प्राप्त किया जाता है।
हान तथा मेकलिन के अनुसार रुचियों के प्रकार
उन्होंने रुचियों के निम्नलिखित तीन प्रकार बतायें हैं-
1. अभिव्यक्त रुचि (Expressed interest),
2. प्रेक्षित रुचि (Observed interest),
3. मापित रुचि (Measured interest).
1. अभिव्यक्त रुचियाँ- व्यक्ति जिन रुचियों को अपने शब्दों द्वारा प्रकट करता है, वे अभिव्यक्त रुचियाँ कहलाती हैं। ये अधिक विश्वसनीय होती हैं।
2. प्रेक्षित रुचि– शिक्षक या उपबोधक द्वारा प्रेक्षण से ज्ञात रुचि प्रेक्षित रुचि कहलाती है।
3. मापित रुचि-परीक्षणों के द्वारा मापित रुचियाँ इसमें सम्मिलित की जाती हैं।
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