
अभिक्षमता परीक्षण क्या है?
अभिक्षमता परीक्षण (Aptitude Test)- अभिक्षमता परीक्षण का गहरा संबंध मानसिक योग्यता से है। मानसिक योग्यता के कारण ही कोई व्यक्ति मन्द बुद्धि तथा तेज बुद्धि का होता है। मानसिक योग्यता के क्षेत्र में वैयक्तिक विभिन्नताएँ पाई जाती हैं- फलस्वरूप कोई डॉक्टर बनने की क्षमता रखता है तो कोई साहित्य रचना की, किसी में संगीत की अद्वितीय क्षमता है तो कोई विज्ञान में दक्ष है। इन्हीं योग्यताओं के कारण विद्यालयों में शिक्षकों द्वारा कोई मेधावी छात्र स्वीकारा जाता है तो कोई मन्द बुद्धि। यह क्षमता प्रकृति प्रदत्त जन्मजात होती है लेकिन वातावरण प्रशिक्षण आदि से प्रभावित होती है। यद्यपि सर्व-सामान्य इस प्रकृति प्रदत्त क्षमता को ईश्वरीय देन अथवा वरदान के रूप में स्वीकारते हैं तथापि मनोवैज्ञानिकों ने इस विशिष्ट मानसिक क्षमता को अभिक्षमता कहा है। इस प्रकार अभिक्षमता किसी विशिष्ट क्षेत्र में व्यक्ति की कार्य करने की विशिष्ट योग्यता (Specific Ability) अथवा विशिष्ट क्षमता (Potentiality) है।
अभिक्षमता के अर्थ के सम्बन्ध में मनोवैज्ञानिकों में एकरूपता नहीं है। अभिक्षमता के सम्बन्ध में निम्नलिखित दो विचारधाराएँ उल्लेखनीय हैं-
(1) अभिक्षमता जन्मजात या अर्जित दोनों रूपों में- इस विचारधरा के समर्थन करने वाले वैज्ञानिकों का मत है कि कुछ विशिष्ट योग्यताएँ बालक जन्म से ही प्राप्त करता है तथा उन विशिष्ट योग्यताओं में उपयुक्त पर्यावरण यथा-माता-पिता, परिवार, पड़ौस, विद्यालय, प्रशिक्षक आदि के परिणामस्वरूप कुछ गुणों का अर्जन कर लिया जाता है। इस प्रकार इस विचारधारा के अन्तर्गत दो तरह के विचारों का समावेश प्राप्त होता है-
(i) अभिक्षमता जन्मजात गुण है।
(ii) अभिक्षमता अर्जित योग्य है।
इस विचारधारा के समर्थकों का मत है कि वंशानुक्रम एवं वातावरण (जन्मजात एवं अर्जित) दोनों की परिस्थितियों की अन्तःक्रिया अभिक्षमता को विकसित करती है। यदि एक बालक को कोई विशिष्ट योग्यता जन्म से प्राप्त है लेकिन विकास हेतु उचित पर्यावरण नहीं प्राप्त तो उस विशिष्ट योग्यता का विकास सुचारु रूप से नहीं हो सकता है।सत्य ही है कोयले की खान में छिपे हुए हीरे को उपयुक्त परिस्थितियाँ प्रदान कर ही बहुमूल्य हीरा बनाया जा सकता है।
(II) अभिक्षमता गुणों के सम्मिलित प्रभाव के रूप में- इस विचारधारा के समर्थकों का मत है कि अभिक्षमता एक गुण अथवा बहुत से गुणों के सम्मिलित प्रभाव का परिणाम है। व्यक्ति में किसी न किसी प्रकार के विशिष्ट गुण पाये जाते हैं जो अभिक्षमता को प्रदर्शित करते हैं इसके अतिरिक्त कुछ विद्वान अभिक्षमता को एक गुण के रूप में स्वीकार न करके विभिन्न गुणों का मिश्रण कर स्वीकारते हैं। एक अभिक्षमता हेतु ये गुण एक विशिष्ट प्रकार से मिलते हैं तो अन्य प्रकार की अभिक्षमता हेतु ये गुण अन्य प्रकार से सम्बन्धित होते हैं।
अभिक्षमता को विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने भिन्न-भिन्न शब्दों में परिभाषित किया है-
बिंघम के अनुसार- “ अभिक्षमता किसी व्यक्ति के प्रशिक्षण के पश्चात् उसके ज्ञान क्षमता या प्रतिक्रिया सीखने की योग्यता हो”
बिंधम की मान्यता है कि अभिक्षमता एक बीजभूत योग्यता (Potential ability) है।
इसके अन्तर्गत तीन तथ्य निहित हैं-
(1) इसके किसी ज्ञान को अर्जित करने की तैयारी की जाती है।
(2) यह उस ज्ञान को अर्जित करने की क्षमता है।
(3) उस ज्ञान के अर्जन के पश्चात् सन्तोष प्राप्त होता है।
फ्रीमेन के मतानुसार-“अभिक्षमता व्यक्ति को विशिष्ट ज्ञान, संगठित प्रत्युत्तरों के सेट अथवा भाषा बोलने की योग्यता, संगीतज्ञ बनना, यान्त्रिक कार्य करना, की क्षमता को प्राप्त करने की विशेषताओं के समन्वय का सूचक है।”
वारेन ने भिक्षमता के बारे में लिखा है कि-“यह किसी व्यक्ति की प्रशिक्षण के बाद ज्ञान, दक्षता या प्रतिक्रियाओं को सीखने की योग्यता है तथा भाषा बोलने अथवा संगीतोत्पादन की।”
ट्रेक्सलर के अनुसार-“अभिक्षमता वर्तमान दशा है जो व्यक्ति की भविष्य की क्षमताओं
की ओर संकेत करती है।”
निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि अभिक्षमता एक वर्तमान स्थिति अथवा गुणों का संग्रह है जो भविष्य की ओर संकेत करती है। ये कुछ गुण जन्मजात होते हैं एवं कुछ ज्ञान, दक्षता, प्रशिक्षण आदि द्वारा अर्जित किए हुए होते हैं।
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