मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ
मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के लक्षण- शारीरिक स्वास्थ्य के ही समान मानसिक स्वास्थ्य भी होता है। कुछ व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ तथा कुछ व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ होते हैं। मानसिक स्वास्थ्य का सम्बन्ध अनेक बातों से होता है। वास्तव में जब व्यक्ति के समस्त पहलू पूर्ण रूप से सही है तब उस व्यक्ति को पूर्ण रूप से स्वस्थ माना जायेगा। किसी भी पक्ष के अव्यवस्थित एवं असामान्य होते ही व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति जीवन की विभिन्न समस्याओं – से सरलता से समायोजन कर सकता हैं।
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मानसिक स्वास्थ्य के प्रत्यय को स्पष्ट करने का विभिन्न विद्वानों ने अपने-अपने ढंग से प्रयास हैं। कुछ विद्वानों के मत इस प्रकार हैं-
(अ) भाटिया का विचार प्रो. एच. आर. भाटिया ने मानसिक स्वास्थ्य को इन शब्दों में स्पष्ट किया है— “मानसिक स्वास्थ्य यह बताता है कि कोई व्यक्ति जीवन की माँगों और अवसरों के प्रति कितनी अच्छी तरह समायोजित होता है।”
प्रस्तुत कथन द्वारा स्पष्ट है कि मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति समायोजित होता है। असमायोजित व्यक्तित्व वाले व्यक्ति को मानसिक रूप से अस्वस्थ माना जायेगा।
(ब) मैनिंगर का मत मैनिंगर ने मानसिक स्वास्थ्य को एक विशिष्ट प्रकार की योग्यता के रूप में प्रतिपादित किया है। उसके शब्दों में— “हम मानसिक स्वास्थ्य की परिभाषा अधिकतम प्रभावोत्पादकता और आनन्द के साथ मानव प्राणियों का दुनिया से और परस्पर समंजन के रूप में कर सकते हैं। … वह एक समस्वभाव, एक तीव्र बुद्धि, सामाजिक रूप से सन्तुलित व्यवहार और एक आनन्दमय स्नायुविन्यास बनाये रखने की योग्यता है।
(स) हेडफील्ड के विचार- हेडफील्ड के मानसिक स्वास्थ्य के प्रत्यय की इन शब्दों में स्पष्ट किया है – “सम्पूर्ण व्यक्तित्व की पूर्ण एवं सन्तुलित क्रियाशीलता को मानसिक स्वास्थ्य कहते हैं। “
उपर्युक्त वर्णित परिभाषाओं द्वारा मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ स्पष्ट हो जाता है। मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति की वह दशा है जिसमें वह अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में समायोजित रहता है। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति जीवन में आने वाली विभिन्न समस्याओं का धैर्यपूर्वक सामना करता है तथा हर प्रकार की परिस्थितियों में समभाव रहता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि मानसिक स्वास्थ्य एक योग्यता भी है, जो व्यक्ति को बहुपक्षीय समायोजन के लिए शक्ति प्रदान करता है। मानसिक स्वास्थ्य का सम्बन्ध सम्पूर्ण व्यक्तित्व से होता है।
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मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के लक्षण
मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ एवं परिभाषा जानने के बाद इस प्रत्यय के विशद् वातावरण के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के मुख्य लक्षणों को भी जानना अनिवार्य है। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के विषय में ल्यूकन का प्रस्तुत कथन उल्लेखनीय हैं “मानसिक रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति वह है जो स्वयं सुखी है। अपने पड़ोसियों में शान्तिपूर्वक रहता है, वह अपने बच्चों को स्वास्थ्य नागरिक बनाता है और इन आधारभूत कर्तव्यों को करने के बाद भी उसमें इतनी शक्ति बच जाती है कि वह समाज के हित के लिए कुछ कर सके।” इस कथन से मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के प्रमुख लक्षण स्पष्ट हो जाते हैं। इन्हीं तथ्यों को व्यवस्थित ढंग से निम्न वर्णित रूप से भी प्रस्तुत किया जा सकता है
1. आत्म निरीक्षण- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति अपने विषय में सजग रहता है। वह अपनी अच्छाइयों-बुराइयों को जानने के लिए उत्सुक रहता है। ऐसा व्यक्ति समय-समय पर अपना स्वयं का निरीक्षण करता रहता है। आत्म निरीक्षण द्वारा वह व्यक्ति अपनी वास्तविक स्थिति को जान जाता है तथा शीघ्र ही अपने सुधार के लिए प्रयास करता है। समय-समय पर आत्मनिरीक्षण करने वाला व्यक्ति समय समय पर उत्पन्न होने वाली समस्याओं एवं कठिनाईयों का सरलता से सामना कर लेता है।
2. सामंजस्य- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति का एक गुण या विशेषता सामंजस्यता या समंजनशीलता है। इसी गुण के कारण स्वस्थ स्वस्थ व्यक्ति किसी भी प्रकार की परिस्थिति में अनुकूलन बना लेता है। ऐसे व्यक्ति को नवीन या प्रतिकूल परिस्थिति से समंजन करने में अधिक परेशानी नहीं होती। समंजनशील व्यक्ति विगत घटनाओं को याद करके परेशान नहीं होता है, उसके लिए वर्तमान का सर्वाधिक महत्त्व होता है। यहाँ पर स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति वर्तमान समस्याओं को भली-भाँति सोच-विचार कर अधिक सूझ-बूझ से उन्हें हल करता है। ऐसा व्यक्ति यदि समस्या को सुलझाने में सफल नहीं होता तो वह बिना सोचे-समझे ही परिस्थितियों अथवा अन्य सम्बन्धित व्यक्तियों को दोष नहीं देता। सामंजस्यता के गुण के कारण सामान्य रूप से पराजित व्यक्ति भी परेशान नहीं होता तथा भविष्य के लिए प्रयास करने लगता है।
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3. जीवन में नियमितता- नियमित जीवन व्यतीत करना भी मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति का एक लक्षण है। जीवन में नियमितता होने पर साधारण परेशानियाँ उत्पन्न नहीं होतीं। सामान्य रूप से अनेक व्यक्ति हर मौके पर समय के अभाव का रोना रोया करते हैं, उन्हें दैनिक जीवन के छोटे-छोटे कार्य करने के लिए फुरसत नहीं मिलती। इसलिए वे मानसिक रूप से परेशान रहते हैं तथा सदा ही झींकते रहते हैं। नियमित जीवन व्यतीत करने वाले स्वस्थ व्यक्ति इस प्रकार की परेशानियों के शिकार नहीं होते। वास्तव में जीवन के सभी सभी छोटे-बड़े कार्य करने के लिए कुछ नियम निर्धारित कर लेने चाहिए तथा उन नियमों का कठोरता से पालन करना चाहिए। इस प्रकार के नियम खाने-पीने, रहने सहने, सोने-जागने तथा घूमने आदि से सम्बन्धित होते हैं। यहाँ यह बात स्पष्ट कर देनी आवश्यक है कि मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति अपने दैनिक जीवन के नियमों का निर्धारण स्वयं करता है। इसके लिए अन्य व्यक्तियों द्वारा निर्धारित अथवा थोपे हुए नियमों का कोई विशेष महत्त्व नहीं होता। इस प्रकार स्पष्ट है कि नियमित जीवन व्यतीत करने वा व्यक्ति को मानसिक रूप से स्वस्थ माना जा सकता है।
4. परिपक्वता – मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति हर प्रकार से परिपक्व होता है। ऐसा व्यक्ति बौद्धिक एवं संवेगात्मक दृष्टि से परिपक्व होता है। उसका व्यवहार सधा हुआ तथा दायित्वपूर्ण होता है। मानसिक रूप से परिपक्व व्यक्ति अन्य लोगों की भावनाओं का सम्मान करता है तथा इस बात का निरन्तर ध्यान रखता है कि उसके व्यवहार से किसी अन्य व्यक्ति की भावनाओं को ठेस न पहुँचे। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति यौन व्यवहार में भी परिपक्वत होता है। यौन सम्बन्धों के क्षेत्र में वह किसी प्रकार का ओछापन नहीं दिखाता।
5. सर्वांग जीवन- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति जीवन के प्रति सर्वंगीण दृष्टिकोण अपनाया करता है। ऐसे व्यक्ति जीवन के किसी भी पक्ष की अवहेलना नहीं करते। वास्तव में हमारे जीवन में सभी पक्षों का अपना-अपना महत्त्व है। ऐसी स्थिति में जीवन के किसी एक पक्ष को आवश्यकता से अधिक महत्त्व दे देने में किसी अन्य पक्ष की अवहेलना हो ही जाती है। इस प्रकार की अवहेलना से हमारे जीवन में कुछ न कुछ अव्यवस्था एवं असन्तुलन अवश्य आ जाता है। उदाहरण के लिए, खान-पान के नियमों की अवहेलना करने से व्यक्ति का शारीरिक स्वास्थ्य खराब हो जाता है तथा वह अपने कार्यों को सुचारू रूप से पूरा नहीं कर पाता। ऐसी स्थिति में हर ओर से समस्याओं से घिर जाता है तथा अपना मानसिक सन्तुलन भी खो बैठता है। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति जीवन के हर पक्ष को समान रूप से महत्त्व देता है तथा सभी पक्षों को सन्तुष्ट रखता है।
6. अपने व्यवसाय से सन्तुष्ट – मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति अपने व्यवसाय से सदैव सन्तुष्ट रहता है। यदि ध्यान से देखा जाय तो प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में उसके व्यवसाय का विशेष महत्त्व होता है। व्यवसाय के प्रति व्यक्ति का दृष्टिकोण विशेष महत्त्व रखता है। जो व्यक्ति अपने व्यवसाय से सन्तुष्ट नहीं है वह किसी दशा में अपने आप को मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं रख सकता। वास्तव में व्यवसाय से सन्तुष्ट होने के लिए एक विशेष प्रकार का रूख अपनाना पड़ता है। जिस व्यक्ति को अपना व्यवसाय आनन्दमय प्रतीत होता है, वह व्यक्ति अपने व्यवसाय से सन्तुष्ट होता है। यदि किसी व्यक्ति के लिए उसका व्यवसाय केवल धन उपार्जन का साधन मात्र है, तो वह व्यक्ति वास्तव में अपने व्यवसाय से सन्तुष्ट नहीं माना जायेगा। इस प्रकार का व्यवसाय कुछ समय बाद बोझ प्रतीत होने लगता है। अपने व्यवसाय से असन्तुष्ट व्यक्ति रूप से स्वस्थ नहीं रह सकता। इस स्थिति में कहा जा सकता है कि व्यवसाय से सन्तुष्ट होना ही मानसिक स्वास्थ्य का एक लक्षण है।
7. सामाजिक सामंजस्यता- मानसिक स्वास्थ्य का एक लक्षण सामाजिक सामंजस्यता भी है। वास्तव में कोई भी व्यक्ति अपने आप में पूर्ण नहीं है। व्यक्ति समाज की एक इकाई है तथा समाज की इकाई रूप में उसका मूल्यांकन करना चाहिए। यदि व्यक्ति पूरे समाज के साथ समायोजित है तो उसे स्वस्थ व्यक्ति कहा जायेगा। यदि किसी व्यक्ति के समाज में प्रतिकूल एवं तनावपूर्ण सम्बन्ध अधिक होते हैं तो उस व्यक्ति को मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं कहा जा सकता। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के अधिकांश व्यक्तियों से मित्रतापूर्ण सम्बन्ध होते हैं।
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