B.Ed. / BTC/ D.EL.ED / M.Ed.

श्रवण बाधित बालक का अर्थ तथा परिभाषा

श्रवण बाधित बालक का अर्थ तथा परिभाषा
श्रवण बाधित बालक का अर्थ तथा परिभाषा

श्रवण बाधित बालक का अर्थ तथा परिभाषा

श्रवण बाधित बालक का अर्थ- जब कोई बालक सामान्य ध्वनि को सुनने में असक्षम हो जाता है, तो उसे अक्षम कहा जा सकता है और इस अवस्था को श्रवण बाधिता कहा जाता है। भारत में इस प्रकार की समस्या से ग्रसित प्रायः हर आयु के लोग पाये जाते हैं, जिसके अनेकों कारण हैं। इसका सबसे बड़ा कारण ध्वनि प्रदूषण एवं अनेकों प्रकार की बीमारियाँ हैं। श्रवण क्षतिग्रस्तता को समझने के लिए यह अत्यन्त आवश्यक होता है कि हम सामान्य श्रवण प्रक्रिया के विषय में जानकारी रखें।

भारत एक विशाल क्षेत्र वाला देश है। जिसमें 1 अरब से अधिक जनसंख्या निवास करती है। इस जनसंख्या के कुछ प्रतिशत लोग किसी-न-किसी विकलांगता से ग्रसित हैं। देखा जाय तो देश की स्वतन्त्रता के बाद से विकलांगता के क्षेत्र में अप्रत्याशित परिवर्तन हुए हैं।

जनगणना 1931 के अनुसार मूक बाधिर व्यक्तियों की जनसंख्या 2,31,000 थी। देश की भौगोलिक संरचना के आधार पर राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन 1991 के आँकड़ों के आधार पर लगभग 32,42,000 व्यक्ति श्रवण अक्षमता से ग्रसित पाये गये। आँकड़ों के अनुसार श्रवण बधिरता 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों में अधिक पायी गयी। विभिन्न सर्वेक्षणों के अनुसार पता चलता है कि 1 प्रतिशत बच्चे जन्मजात श्रवण दोष से ग्रसित होते हैं। इस प्रकार हमारे देश में श्रवण दोष वाले लगभग 60 बच्चे प्रतिदिन पैदा होते हैं, जिसमें से 2 प्रतिशत अति अल्प, 25 प्रतिशत अल्प, 19 प्रतिशत अल्पतम्, 42 प्रतिशत गम्भीर एवं 12 प्रतिशत अति गम्भीर होते हैं। इस प्रकार चालित श्रवण क्षति, संवेदी श्रवण क्षति, केन्द्रीय श्रवण क्षति एवं मिश्रित श्रवण क्षति सभी वर्ग के बच्चे पाये जाते हैं। इनके शिक्षण एवं प्रशिक्षण हेतु मानव संसाधन विकसित किये जा रहे हैं, जिससे इनका पुनर्वास किया जा सके।

श्रवण बाधिक बालक की परिभाषाएँ-

श्रवण क्षतिग्रस्तता को विभिन्न संगठनों द्वारा समय-समय पर निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया गया है-

(1) राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन (1991) के अनुसार, “श्रवण बाधित उसे कहा जाता है, जो सामान्य रूप से सामान्य ध्वनि को सुनने में अक्षम हो।”

(2) भारतीय पुनर्वास परिषद् के अनुसार, “जब बधिरता 70 डेसिबल हो, तो व्यावसायिक तथा जब 55 डेसिबल तक हो, तो उसे शिक्षा के लिये प्रयोग में लेना चाहिए।”

(3) योजना आयोग एवं विकलांग जन अधिनियम (1995) के अनुसार, “वह व्यक्ति श्रवण बाधित कहा जायेगा, जो 60 डेसिबल या उससे अधिक डेसिबल पर सुनने की क्षमता रखता हो।”

(4) समाज कल्याण के अनुसार, “जब किसी व्यक्ति के एक कान में 60 डेसिबल श्रवण क्षतिग्रस्तता हो तथा दूसरा कान अच्छा हो, तो वह उच्च शिक्षा के लिए उपयोगी हो सकता है।”

उपरोक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट होता है कि जब व्यक्ति सुनने में असक्षम हो तथा दूसरों की सहायता लेता है, उससे यह ज्ञात होता है कि व्यक्ति को श्रवण दोष है। श्रवण दोष एक अदृश्य एवं छुपी हुई विकलांगता है, जो देखने से नहीं दिखाई देती है। कोई व्यक्ति हाथ या पैर सै विकलांग है, तो वह बैसाखी, हील चेयर, ट्राईसाइकिल आदि का प्रयोग करता है। जिससे उसकी शारीरिक विकलांगता का पता चलता है तथा एक मानसिक विकलांग बच्चा अपने हाव-भाव, क्रिया-कलापों तथा व्यवहार द्वारा यह साबित करता है कि वह मानसिक मन्द है।

Important Links

Disclaimer

Disclaimer:Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment