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मानसिक रूप से मन्द बालक का अर्थ एवं परिभाषा

मानसिक रूप से मन्द बालक का अर्थ एवं परिभाषा

मानसिक रूप से मन्द बालक का अर्थ एवं परिभाषा

मानसिक रूप से मन्द बालक का अर्थ एवं परिभाषा

 मानसिक रूप से मन्द बालक (Mentally Retarded Children)

परिचय- मानसिक मन्दता, मानसिक विकास की ऐसी अवस्था है, जिसमें बच्चों का बौद्धिक विकास औसत वृद्धि वाले बालकों से कम होता है। ऐसे बच्चों को मन्द-बुद्धि बालक (Mentally Retarded Children) कहा जाता है। मन्द बुद्धि बालकों की बुद्धि-लब्धि (Intelligence Quotient), साधारण बालकों की बुद्धि-लब्धि कम होती है। समाज में ऐसे बच्चों की आबादी तीन प्रतिशत से अधिक है। इन बच्चों की शिक्षा पर पहले ध्यान नहीं दिया जाता था। कई दशकों तक सामाजिक असंवेदनशीलता, जागरूकता की कमी एवं तकनीकी अभाव भी इन बच्चों की शिक्षा में गतिरोध पैदा करता रहा। ऐसे बच्चों के प्रति समाज और यहाँ तक कि परिवार का रवैया भी ठीक नहीं रहा है। समाज के कुछ लोगों की ऐसी धारणा रही है कि ऐसे बच्चों के साथ रहने से वे भी मन्दबुद्धि हो जायेंगे। यह निराधार और सत्यता से परे है।

अमूमन मानसिक मन्दताग्रस्त बच्चे की बुद्धि-लब्धि सामान्य बच्चों की तुलना में कम होती है। स्किनर ने ऐसे बच्चों को मन्द बुद्धि, अल्पबुद्धि, विकलांग बुद्धि, मन्द गति से सीखने झाले पिछड़े हुए और मूढ़ की संज्ञा दी हैं। हालाँकि वर्ष 1921 तक मन्दबुद्धि और पिछड़े हुए बालकों में किसी तरह का अन्तर स्पष्ट नहीं था। इंग्लैण्ड में मानसिक मन्दता अधिनियम के विधायन (Legislation) के बाद मनोवैज्ञानिकों ने मानसिक मन्दता पर अध्ययन आरम्भ कर दिया। कालान्तर में मानसिक मन्दता की अवधारणा स्पष्ट हो सकी।

मानसिक मन्दता से आशय का अर्थ (Meaning of Mental Retardation)

मानसिक मन्दता के अन्तर्गत ऐसे बच्चे आते हैं, जिनमें औसत से कम मानसिक योग्यता पायी जाती हैं। लिहाजा वे मन्द गति से सीखते हैं। स्कूल के औसत बच्चों की तुलना में पढ़ाई-लिखाई में पिछड़े रह जाते हैं। मानसिक मन्दता, मानसिक न्यूनता, मानसिक अपसामान्यता और मानसिक विकलांगता आदि शब्द मानसिक मन्दता (Mental Retardation) के ही पर्यायवाची शब्द हैं। यह कोई मानसिक बीमारी नहीं बल्कि मानसिक विकास की अवस्था है, जिनमें पीड़ित बच्चों का बौद्धिक विकास औसत बुद्धि वाले बच्चों से कम होता है।

मानसिक मन्दता की परिभाषाएँ (Definitions of Mental Retardation)-

विभिन्न शिक्षाशास्त्रियों या मनोवैज्ञानिकों ने मानसिक मंदता की परिभाषा भिन्न-भिन्न तरह से दी है। लेकिन सबसे व्यापक परिभाषा मानसिक मन्दन से सम्बन्धित अमेरिकी (American Association on Mental Retardation- AAMR) द्वारा 1938 में दी गयी परिभाषा है।

इसके अनुसार, ‘मानसिक मन्दन स्पष्ट रूप से औसत रूप से कम ऐसी बौद्धिक प्रक्रिया है, जिसके परिणामस्वरूप अनुकूली व्यवहार में संगामी अपसामान्यता आ जाती है या जो संगामी अपसामान्यता से जुड़ी होती है और जो विकासात्मक अवधि के दौरान अभिव्यक्त होती है।”

निःशक्त व्यक्ति अधिनियम, 1955 की धारा 2 (द) और राष्ट्रीय न्यास अधिनियम, 1999 की धारा 2 (छ) के तहत मानसिक मन्दता को परिभाषित किया गया है। इसके मुताबिक, “मानसिक मन्दता से किसी व्यक्ति के मस्तिष्क की अवरुद्ध या अपूर्ण विकास की दशा अभिप्रेत है, जो विशेष रूप से बुद्धि की अपसामान्यता अभिलक्षित होती है।”

ट्रेडगोल्ड के शब्दों में, “मानसिक दुर्बलता एक प्रकार एवं मात्रा के अपूर्ण मानसिक विकास की स्थिति है, जिसके कारण व्यक्ति, निरीक्षण, नियन्त्रण तथा बाह्य प्रश्न आश्रय से मुरा अपना अस्तित्व बनाये रखने की दृष्टि से अपने आपको अपने सहयोगियों साथ सामान्य परिवेश में अनुकूलित करने में असमर्थ पाता है।”

बेण्डा के शब्दों में, “एक मानसिक दोष वाला व्यक्ति वह है, जो अपने आपको तथा अपने क्रियाकलापों को व्यवस्थित करने में असमर्थ होता है या उसे यह सब सिखाना पड़ता है तथा जिसको स्वयं के और समुदाय के कल्याण के लिए निरीक्षण, नियन्त्रण तथा देखभाल की आवश्यकता होती है।”

क्रो एवं क्रो के अनुसार, “जिन बालकों की बुद्धि-लब्धि 70 से कम होती है, उनको मन्दबुद्धि बालक कहते हैं।”

अतः हम यह सकते हैं कि एक मानसिक मन्द बच्चे में बौद्धिक क्षमताओं की कमी होती है। उसमें सोचने, समझने की शक्ति कम होती है। इनकी बुद्धि-लब्धि (I.Q.) 70 से कम होती।

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