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कैटल का शीलगुण सिद्धान्त | Cattell’s Theory of Personality in Hindi

कैटल का शीलगुण सिद्धान्त-Cattells Theory of Personality in Hindi

कैटल का शीलगुण सिद्धान्त- केटेल ने व्यक्तित्व के शीलगुणों (Personality traits) का एक ऐसा विभाजन किया है, जिसके अनुसार उन्होंने इन शीलगुणों को दो भागों में बाँटा है –

(1) सतही शीलगुण (Surface traits )

(2) स्रोत शीलगुण (Source trait)

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तुलनात्मक अध्ययन के लिये इनका अलग-अलग वर्णन एवं व्याख्या की गई है –

(1) सतही शीलगुण (Surface traits)

केटेल के अनुसार सतही शीलगुण बहुत महत्वपूर्ण नहीं होते और व्यक्तित्व के अध्ययन का उन्हें मात्र आरम्भ बिन्दु माना जा सकता है। सतही शीलगुण व्यक्तित्व विशेषताओं (Personality Characteristics) का एक ऐसा सेट समुच्चय है जो आपस में सम्बन्धित तो होते हैं परन्तु वे आपस में मिलकर कोई एक कारक (Factor) का निर्माण नहीं कर पाते हैं, क्योंकि वे कोई एक स्रोत से निर्धारित नहीं होते। सतही शील गुण का स्वरूप चूंकि कम स्थायी होता है, अतः व्यक्तित्व को समझने में उनकी अहं भूमिका नहीं होती है। व्यक्ति के व्यवहारों का प्रेक्षण करके ऐसे शीलगुणों के बारे में आसानी से जाना जा सकता है।

कैटल का शीलगुण सिद्धान्त

कैटल का शीलगुण सिद्धान्त

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(2) स्त्रोत शीलगुण (Source traits)

स्रोत शीलगुण अधिक स्थायी स्वरूप के होते हैं। इसलिए इसके आधार पर व्यक्तित्व के स्वरूप को ठीक ढंग से समझा जा सकता है। स्रोत शीलगुण व्यक्तित्व के वैसे शीलगुण होते हैं जो एकात्मक कारक (Unitary Factor) होते हैं और जिनके एक खास व्यवहार की उत्पत्ति होती है। सचमुच में कई सतही शीलगुणों में जिनमें आपसी सह-सम्बन्ध (Correlation) होता है, मिलकर एक स्रोत शीलगुण (Source trait) का निर्माण करते हैं। उदाहरणस्वरूप चिन्ता (Anxiety), अनिर्णायकता (Indecision) और असंगत डर (Irrational fears) जैसे – सतही शीलगुण आपस में सह-सम्बन्धित होकर स्नायुविकृति (Neuroticism) जैसे स्रोत शीलगुण का निर्माण करते हैं। उसी प्रकार सामुदायिकता (Gregariousness) मनोविनोद (Humour) एवं अस्वार्थीपन (Unselfishness) जैसे सतही शीलगुण (Surface trait) आपस में सह सम्बन्धि होकर मित्रता (Friendliness) जैसे स्रोत शीलगुण (Source trait) का निर्माण करते हैं। स्रोत शीलगुण की एक विशेषता यह है कि इसे प्रेक्षणीय व्यवहार (Observable behavior) से सीधे अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। इसकी पहचान सिर्फ कारक विश्लेषण (Factor analysis) की प्रविधि द्वारा ही की जा सकता है जिसमें बहुत सारे सतही शीलगुण (Surface trait) का अन्तर सम्बन्ध ज्ञात करके उसके एकात्मक प्रभावों (Unitary influences) का पता लगाया जाता है। चूँकि स्रोत शीलगुणों की संख्या सतही शीलगुणों से काफी कम होती है, अतः उनके द्वारा व्यक्तित्व की व्याख्या में मितव्ययता का गुण होता है।

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केटेल ने स्रोत शीलगुणों को उत्पत्ति के आधार पर दो भागों में विभाजित किया है-

(1) शरीर गणनात्मक शीलगुण (Constitutional trait)

(2) पर्यावरणीय परिवर्तित शीलगुण (Environmental mould trait)

शरीर गठनात्मक शीलगुण की उत्पत्ति व्यक्ति की आन्तरिक अवस्थाओं (Internal conditions) से होती है। ऐसे शीलगुण कोई जरूरी नहीं हैं कि वे जन्मजात ही हों परन्तु वे व्यक्ति के शारीरिक गठन पर स्पष्ट रूप से आधारित होते हैं। जैसे अलकोहल (शराब) पी लेने से कई तरह के शीलगुणों की अभिव्यक्ति जैसे – लापरवाही, बकवादीपन (talkativeness), शब्दों का अस्पष्ट उच्चारण (Slurring of words) आदि होने लगते हैं जो शारीरिक गठनात्मक स्रोत शीलगुण के उदाहरण हैं।

पर्यावरणीय परिवर्तित स्रोत शीलगुण से तात्पर्य वैसे शीलगुणों से होता है जिनकी उत्पत्ति सामाजिक एवं भौतिक वातावरण के प्रभाव से होता है। ऐसे शीलगुण व्यक्ति द्वारा अर्जित किये जाते हैं और इनसे उनके द्वारा अर्जित किए गये व्यवहारों की अभिव्यक्ति होती है। जैसे- झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाला एक व्यक्ति का व्यवहार महल में रहने वाले एक व्यक्ति के व्यवहार से इसलिए भिन्न होता है क्योंकि इन दोनों की सामाजिक एवं भौतिक परिस्थितियों में व्यक्ति अलग-अलग शीलगुणों को सीखता है। कोई भी शीलगुण किस सीमा तक पर्यावरण के प्रभाव से तथा किस सीमा तक अनुवंशिकता तथा जैविक कारकों से प्रभावित होता है, को निर्धारित करने के लिये एक विशेष सांख्यिकीय विधि का प्रतिपादन किया है जिसे बहुमूर्त प्रारूप विश्लेषण (Multiple Variance Analysis or MAVA) कहा गया है।

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