संयुक्त राष्ट्र के गठन, कार्यों एवं उपलब्धियों की व्याख्या कीजिए।
संयुक्त राष्ट्र (United Nations) एक अन्तर्राष्ट्रीय संगटन है, जिसके उद्देश्य उल्लेख है कि यह अन्तर्राष्ट्रीय कानून को सुविधाजनक बनान के सहयोग, अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, मानव अधिकार एवं विश्वशांति के लिए कार्यरत है। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र अधिकार पत्र पर 50 देशों के हस्ताक्षर होने के साथ हुई।
द्वितीय विश्वयुद्ध के विजेता देशों ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र को अन्तर्राष्ट्रीय संघर्ष में हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से स्थापित किया था। वे चाहते थे कि भविष्य में फिर कभी विश्वयुद्ध न उभर आए। संयुक्त राष्ट्र की संरचना में सुरक्षा परिषद वाले सबसे शक्तिशाली देश (संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस रूस एवं संयुक्त राजशाही) द्वितीय विश्वयुद्ध में बहुत अहम देश थे।
वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र में 193 देश हैं, विश्व के लगभग सारे अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त देश | इस संस्था की संरचना में आम सभा, सुरक्षा परिषद्, आर्थिक व सामाजिक परिषद, सचिवालय एवं अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय सम्मिलित हैं।
2006 ई. तक संयुक्त राष्ट्र में 192 सदस्य देश थे। विश्व के सभी मान्यता प्राप्त देश सदस्य रूप में हैं। सबसे बाद में मॉटेनीग्री 28 जून 2006 को इसका सदस्य बनाया गया जिससे वर्तमान संख्या 193 हो गई है।
संयुक्त राष्ट्र का मुख्यालय अमेरिका के न्यूयार्क शहर में 85 लाख डॉलर के लिए खरीदी भूसंपत्ति पर स्थापित है। इस इमारत की स्थापना का प्रबंध एक अन्तर्राष्ट्रीय शिल्पकारों के समूह द्वारा हुआ। इस मुख्यालय के अलावा एवं अहम संस्थाएँ जेनेवा, कोपेनहेगन आदि में भी है। यह संस्थाएँ संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र अधिकार क्षेत्र में तो नहीं हैं, लेकिन उनको काफी स्वतंत्रताएँ दी जाती है।
भाषाएँ- संयुक्त राष्ट्र ने 6 भाषाओं को “राजभाषा” स्वीकृत किया है (अरबी, चीनी, अंग्रेजी, फ्रांसीसी, रूसी, स्पेनी) परन्तु इनमें से केवल दो भाषाओं को संचालन भाषा माना जाता है (अंग्रेजी एवं फ्रांसीसी) ।
स्थापना के समय, केवल राज राजभाषाएँ स्वीकृत की गई थी (चीनी, अंग्रेजी, फ्रांसीसी, रूसी) और 1973 में अरबी एवं स्पेनी को भी सम्मिलित किया गया। इन भाषाओं के बारे में विवाद उठता रहता है। कुछ लोगों का मानना है कि राजभाषाओं की संख्या 6 से एक (अंग्रेजी) तक घटाना चाहिए, परन्तु इनके विरोध है वे जो मानते हैं कि राजभाषाओं को बढ़ाना चाहिए। इन लोगों में से कई का मानना है कि हिन्दी को भी संयुक्त राष्ट्र संघ की अधिकारिक भाषा बनाया जाना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र अमेरिकी अंग्रेजी की जगह ब्रिटिश अंग्रेजी का प्रयोग करता है। 1971 तक चीनी भाषा के परम्परागत अक्षर का प्रयोग चलता था क्योंकि तब तक संयुक्त राष्ट्र तईवान के सरकार को चीन का अधिकारी सरकार माना जाता था। जब तईवान की जगह आज के चीनी सरकार को स्वीकृत किया गया, संयुक्त राष्ट्र ने सरलीकृत अक्षर के प्रयोग का प्रारम्भ किया।
उद्देश्य- संयुक्त राष्ट्र के व्यक्त उद्देश्य हैं- युद्ध रोकना, मानव अधिकारों की रक्षा करना, अन्तर्राष्ट्रीय कानून को निभाने की प्रक्रिया जुटाना, सामाजिक एवं आर्थिक विकास उभारना, जीवन स्तर सुधारना एवं बीमारियों से लड़ना सदस्य राष्ट्र को अन्तर्राष्ट्रीय चिन्ताएँ एवं राष्ट्रीय मामलों को सम्हालने का अवसर मिलता है। इन उद्देश्य को निभाने हेतु 1948 में मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा प्रमाणित की गई।
मानव अधिकार- द्वितीय विश्वयुद्ध के जाति संहार के बाद, संयुक्त राष्ट्र ने मानव अधिकारों को बहुत आवश्यक समझा था। ऐसी घटनाओं को भविष्य में रोकना अहम समझकर, 1948 में सामान्य सभा ने मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा को स्वीकृत किया। यह अबंधनकारी घोषणा पूरे विश्व हेतु एक समान दर्जा स्थापित करती है, जो कि संयुक्त राष्ट्र समर्थन करने की कोशिश करगी।
15 मार्च 2006 को सामान्य सभा ने संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकारों के आयोग को त्यागकर संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद् की स्थापना की।
आज मानव अधिकारों के संबंध में सात संघ निकाय स्थापित हैं-
- मानव अधिकार संसद
- आर्थिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों का संसद
- जातीय भेदभाव निष्कासन संसद
- यातना विरुद्ध संसद
- नारी विरुद्ध भेदभाव निस्कासन संसद
- बच्चों के अधिकारों का संसद
- प्रवासी कर्मचारी संसद
उपलब्धियाँ एवं प्रयास
संयुक्त राष्ट्र के शांतिरक्षक वहाँ भेजे जाते हैं जहाँ हिंसा कुछ देर पहले से बंद है ताकि वह शांति संघ की शर्तों को लागू रखें एवं हिंसा को रोककर रखें। यह दल सदस्य राष्ट्र द्वारा प्रदान होते हैं एवं शांति रक्षा कार्यों में भाग लेना वैकल्पिक होता है। विश्व में कवल दो राष्ट्र है जिसने प्रत्येक शांतिरक्षा कार्य में भाग लिया है- कनाडा एवं पुर्तगाल । संयुक्त राष्ट्र स्वतंत्र सेना नहीं रखती हैं। शांतिरक्षा का प्रत्येक कार्य सुरक्षा परिषद द्वारा अनुमोदित होता है।
संयुक्त राष्ट्र के संस्थापकों को ऊँची उम्मीद थी कि वह युद्ध को हमेशा के लिए रोक पाएँगें, परन्तु शीत युद्ध (1945-1991) के समय विश्व का विरोधी भागों में विभाजित होने के कारण, शांति रक्षा संघ को बनाए रखना बहुत कठिन था।
संयुक्त राष्ट्र संघ की विभिन्न संस्थाएँ एवं उनके कार्यों का विवरण निम्न वर्णित है-
(1) खाद्य एवं कृषि संगठन- इसकी स्थापना 1945 ई. में हुई। इसका मुख्यालय- रोम (इटली) में है। इसका लघुनाम- FAO है। इसका कार्य वैश्विक स्तर पर खाद्य एवं कृषि संबंधी मूल्य एवं विकास में सहयोग करना है।
(2) अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा अभिकरण- इसे I.A.E.A. के नाम से भी जाना जाता है। स्थापना वर्ष 1957 ई. है। मुख्यालय वियना (आस्ट्रिया) में अवस्थित है। यह परमाणु ऊर्जा सम्बन्धी विकास, न्याय, प्रोत्साहन हेतु वैश्विक स्तर पर संलग्न है।
(3) अन्तर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन- यह 1947 ई. में स्थापित किया गया। जिसका मुख्यालय मॉन्ट्रियल (कनाडा) में स्थित है। इसे I.C.A.O. लघु नाम से भी जानते हैं। इसके द्वारा विभिन्न देशों की विमान सेवाओं हेतु नियम निर्धारित किए जाते हैं।
(4) अन्तर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष- इसका स्थापना वर्ष 1977 ई. है। जिसका मुख्यालय रोम (इटली) में अवस्थित है। इसका संक्षिप्त नाम- I.F.A.D. है। इसका कार्य विश्व स्तर पर कृषि विकास हेतु सहायता एवं प्रोत्साहन राशि दिये जाने की योजनाएँ सम्मिलित होती हैं।
(5) अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संघ – इसकी स्थापना – 1946 ई. में हुई थी। जिसका मुख्यालय जेनेवा (स्विट्जरलैण्ड) में स्थित है। इसका कार्य अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर श्रम के महत्त्व को समझते हुए श्रमिकों उचित धनराशि दिये जाने हेतु पैरवी करना है, साथ ही साथ अनुचित श्रम कराये जाने के विरुद्ध दिशा निर्देश निगमित किए जाते हैं।
(6) अन्तर्राष्ट्रीय सागरीय संगठन (I.M.O.)- इसका गठन 1948 ई. में लंदन (ब्रिटेन) में किया गया है। यह संगठन महासागरों की विवादों हेतु निपटारे एवं आपसी शांति व्यवस्था बनाए रखने में विभिन्न राष्ट्रों की सहायता करता है।
(7) अन्तर्राष्ट्रीय मॉनीटरी फंड (IMF)- इसकी स्थापना 1945 ई. में हुई। जिसका मुख्यालय वाशिंगटन (सं.रा. अमेरिका) में अवस्थित है। यह विभिन्न कार्यों हेतु अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर फंड एकत्रित करता है, जो आवश्यक समझे जाने पर विभिन्न राष्ट्रों को (सदस्य देशों) सहायता प्रदान करता है।
(8) अन्तर्राष्ट्रीय दूर संचार संघ (ITU)- यह 1947 में स्थापित हुआ। इसका मुख्यालय जेनेवा (स्विट्जरलैण्ड) में स्थित है। जिसका कार्य वैश्विक पैमाने पर दूर संचार व्यवस्था को सुव्यवस्थित करना है।
(9) संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) – यह 1946 ई. में स्थापित किया गया, इसका मुख्यालय पेरिस (फ्रांस) में है। इसका कार्य विश्व स्तर पर शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में प्रगति को अबाध गति देना है।
(10) संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO)- स्थापना 1967 ई. में हुई। इसका मुख्यालय वियना (आस्ट्रिया) में है। इसका कार्य औद्योगिक विकास में विभिन्न सदस्य देशों को आर्थिक सहायता देना एवं प्रोत्साहित करना है।
(11) वैश्विक डाक संघ (UPU) – स्थापना वर्ष 1945 है। इसका मुख्यालय बर्न (स्विट्जरलैण्ड) में स्थित है। यह डाक सम्बन्धी समस्याओं का निदान करता है।
(12) विश्व बैंक (W.B.) – स्थापना 1945 ई. में हुई थी। मुख्यालय वाशिंगटन (सं.रा. अमेरिका) में अवस्थित है। इसका कार्य विभिन्न राष्ट्रों को आर्थिक सहायता देना है।
(13) विश्व खाद्य कार्यक्रम (W.F.P.)- इसकी स्थापना 1963 ई. में हुई, इसका मुख्यालय रोम (इटली) में स्थित है। यह वैश्विक पैमाने पर खाद्य कार्यक्रम के माध्यम से खाद्य व्यवस्था को सुव्यवस्थित करता है। स्थापना वर्ष 1948 (14) विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) ई. है, इसका मुख्यालय जेनेवा (स्विटजरलैण्ड) में अवस्थित है। इसका कार्य विश्व में सभी राष्ट्रों को स्वस्थ रूप में, आरोग्य स्थिति को कायम रखते हुए सहायता करने का ध्येय है। (15) वर्ल्ड इन्टलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइजेशन (WIPO) – इसकी स्थापना 1974 ई. को की गई थी। मुख्यालय जेनेवा (स्विट्जरलैण्ड) में है। यह विश्व की बौद्धिक संपदाओं को संग्रहित एवं संचित करता है, तथा उसे प्रोत्साहित करता है।
(16) विश्व मौसम संगठन (WMO)- इसकी स्थापना 1950 ई. में हुई थी। जिसका मुख्यालय जेनेवा (स्विट्जरलैण्ड) में स्थित है। यह वैश्विक पैमाने पर मौसम के विषय में नई-नई जानकारियाँ एवं उच्च स्तरीय खोजों को विश्व पटल पर प्रस्तुत करता रहता है। (17) विश्व पर्यटन संगठन (WTO)- इसकी स्थापना वर्ष 1974 ई. में हुई थी जिसका मुख्यालय मद्रीद (स्पेन) में स्थित है। यह विश्व के विभिन्न पर्यटनों के लिए नियम निर्धारण एवं उसकी स्पष्ट व्याख्या करता है।
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