उपभोक्ता कौन है? उपभोक्ता जागरूकता की अवधारणा एवं आवश्यकता व्यक्त कीजिए।
उपभोक्ता कोई भी व्यक्ति हो सकता है। जैसे- (i) माल का उपभोक्ता (ii) सेवाओं का उपभोक्ता।
जब कोई व्यक्ति माल खरीदता है जैसे कि पंखा, फ्रिज, गैस का चूल्हा, टी. वी. अथवा कोई अन्य वस्तु तो वह उसका उपभोक्ता हो सकता है।
इसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति सेवा या सेवाएँ भाड़े पर लेता है या उनका सेवन करता है वह उपभोक्ता की श्रेणी में आ जाता है। जैसे कि मैं यदि बैंक में खाता खोलकर बैंक की सेवाएं प्राप्त करू या अपना या अपनी सम्पत्ति का बीमा कराऊँ या किसी वाहक द्वारा अपना माल एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजूँ या किसी अधिवक्ता, डॉक्टर की सेवाएँ प्राप्त करूं तो मैं उन सेवाओं का उपभोक्ता कहलाऊँगा।
यदि खरीदे गए माल में कोई गड़बड़ी है जैसे कि फ्रिज ठीक काम नहीं करता या खरीदी गई घड़ी ठीक नहीं चलती, टी. वी. में खराबी के कारण उसमें चित्र या ध्वनि ठीक प्रकार नहीं आते तो यह एक उपभोक्ता का विवाद बन सकता है।
इसी प्रकार यदि प्रदान की गई सेवा में कोई कमी है तो उपभोक्ता को उसके लिए उपचार प्राप्त है। जैसे यदि बीमाकर्ता बीमा की शर्तों के अनुसार बीमा राशि प्रदान नहीं करता या बैंक बिना औचित्य के ग्राहक के चेक का अनादर करता है, या टेलीफोन विभाग किसी फोन का अनुचित अत्यधिक बिल भेज देता है या रेलगाड़ी में उचित सुरक्षा व्यवस्था के अभाव के कारण किसी यात्री की मृत्यु हो जाती है ऐसी स्थितियों में सेवा की कमी मानी जाती है।
क्रय की गयी किसी वस्तु में ‘खराबी’ या प्रदान की गयी सेवा में कमी के होने पर उपभोक्ता, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत स्थापित विशेष न्यायालयों अर्थात् उपभोक्ता विवाद प्रतितोष अधिकरणों में अपना परिवार अर्थात् शिकायत दायर कर सकता है।
इन अधिकरणों में परिवाद का निपटारा सिविल न्यायालयों की अपेक्षा बहुत ही कम समय में हो जाता है, क्योंकि परिवाद के निपटारे के लिए यह अभिकरण अर्थात् विशेष न्यायालय संक्षिप्त प्रक्रिया का विकास कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त उपभोक्ता स्वयं ही परिवार को अभिकरण में ले जा सकता है क्योंकि किसी अधिवक्ता का उपभोक्ता की ओर से मुकदमा करने की कोई आवश्यकता नहीं है। उपभोक्ता को अपने मुकदमें के लिए कोई कोर्ट फीस भी नहीं देनी पड़ती। अभिकरणों द्वारा उपभोक्ता का परिवाद निपटाने की सेवा पूर्णतया निःशुल्क है।
उपभोक्ता जागरुकता की अवधारणा-
विभिन्न जरूरतों को संतुष्ट करने हेतु कीमतों का भुगतान करके वस्तुएँ एवं सेवाएँ खरीदते हैं। किन्तु क्या किया जाए यदि खरीदी गयी वस्तुएँ गुणवत्ता में बुरी अनुचित मूल्यों वाली एवं मात्रा से कम माप वाली आदि पायी जाएँ। इस प्रकार के मामलों को ठीक करने हेतु कोई पद्धति होनी चाहिए, इसकी और उपभोक्ताओं को यह महसूस करना चाहिए कि उनके केवल अधिकार ही नहीं कुछ उत्तरदायित्व भी हैं। उपभोक्ता कौन हैं? हमें उपभोक्ता की परिभाषा जाननी चाहिए। उपभोक्ता वस्तुओं एवं सेवाओं का क्रेता है। क्रेता की सहमति से वस्तुओं एवं सेवाओं का उपयोग करने वाला भी उपभोक्ता माना जाता है, किन्तु एक व्यक्ति, जो वस्तुएँ एवं सेवाएँ बाजार में पुनः बिक्री के लिए खरीदता है, उपभोक्ता नहीं समझा जाता है। वस्तुएँ तथा सेवाएँ क्या हैं? वस्तुओं के उत्पाद हैं, जिनका विनिर्माण या उत्पादन किया जाता है? और उपभोक्ताओं को खुदरा एवं थोक विक्रेताओं के माध्यम से बेचा जाता है। सेवा से अभिप्राय किसी प्रकार की सेवा से हैं जो संभावित उपभोक्ता को सुविधाओं को प्रदान करने सहित जैसे- बैंकिंग, बीमा, परिवहन, बिजली या दूसरी ऊर्जा की पूर्ति, आवास निर्माण कार्य, जलापूर्ति, स्वास्थ्य, उत्सव, मनोविनोद आदि उपलब्ध करायी जाती है। इसमें निःशुल्क उपलब्ध करायी जाने वाली सेवाएँ या देने के अन्तर्गत की गयी व्यक्तिगत सेवाएँ सम्मिलित नहीं होती हैं। उपभोक्ता जागरूकता से अभिप्राय निम्न के सहयोग से है। उपभोक्ता द्वारा खरीदी गयी वस्तु की उसकी गुणवत्ता के विषय में जानकारी उदाहरण के लिए उपभोक्ता को मालूम होना चाहिए कि वस्तु स्वास्थ्य के लिए अच्छी है या नहीं अथवा उत्पाद पर्यावरण जोखिम आदि पैदा करने से मुक्त है या नहीं। विभिन्न प्रकार के जोखिमों एवं उत्पाद को बेचने से संबंधित समस्याओं की शिक्षा उदाहरण के लिए किसी वस्तु की बिक्री का एक ढंग, समाचार पत्रों, दूरदर्शन आदि के माध्यम से विज्ञापन है। उपभोक्ताओं को विज्ञापनों के बारे में बुरे प्रभावों के विषय में उचित शिक्षा मिलनी चाहिए। उन्हें विज्ञापन की अन्तः सूची की भी जॉच लेनी चाहिए। उपभोक्ता के अधिकारों के विषय में ज्ञान पहले उपभोक्ता को यह जान लेना चाहिए कि उसे ठीक प्रकार से उत्पाद प्राप्त करने का अधिकार हैं। दूसरे यदि उत्पाद किसी प्रकार दोषपूर्ण पाया जाता है, तो उपभोक्ता को देश के कानून के अनुसार मुआवजे को दावा करने का ज्ञान होना चाहिए। उपभोक्ता को अपन उत्तरदायित्व का ज्ञान, इससे यह अभिप्राय है कि उपभोक्ता को किसी प्रकार का अपव्ययी एवं अनावश्यक उपभोग नहीं करना चाहिए।
उपभोक्ता जागरूकता की आवश्यकता- इस समय यह जानना कठिन हो गया है कि यथार्थ उत्पादक या विक्रेता कौन है? उपभोक्ता के लिए व्यावहारिक रूप से यह सम्भव नहीं है, वह उत्पादक या विक्रेता से व्यक्तिगत सम्पर्क कर सके। इसके अलावा विकसित सूचना प्रौद्योगिकी के युग में उपभोक्ता एवं उत्पादक विक्रेता के बीच भौतिक दूरी बढ़ गयी है क्योंकि उपभोक्ता अपनी वस्तुएँ टेलीफोन पर आदेश देकर या इंटरनेट आदि के द्वारा ही घर बैठे प्राप्त करते हैं। इस प्रकार वस्तुओं की गुणवत्ता जान पाना अत्यन्त कठिन हो गया है। कुछ विज्ञापनों में गुमराह किया जाता है और उसके कुछ तथ्य छिपा लिए जाते हैं, जिससे हमें हानि पहुँच सकती है।
अतएव प्रत्येक उपभोक्ता को इस बात से किसी सामान को खरीदने से पहले अवश्य परिचित हो लेना चाहिए कि वह वस्तु गुणवत्ता युक्त है अथवा नहीं। कोई भी उत्पादक क्षेत्र की कम्पनियाँ उपभोक्ता को यदि धोखा देती हैं, तो उपभोक्ता को उसके विरुद्ध उपभोक्ता सहायता केन्द्र से अवश्य सहायता प्राप्त करनी चाहिए, जिससे इस प्रकार गुमराह करने वाली उत्पादक कम्पनियों पर नकेल लगा सके। अतः उपभोक्ता जागरूकता में उपभोक्ताओं को उनके उत्तरदायित्वों के बारे में शिक्षित करने की भी आवश्यकता है।
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