B.Ed. / BTC/ D.EL.ED / M.Ed.

आतंकवाद से क्या तात्पर्य है? विश्व पटल पर इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है?

आतंकवाद से क्या तात्पर्य है? विश्व पटल पर इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है?
आतंकवाद से क्या तात्पर्य है? विश्व पटल पर इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है?

आतंकवाद से क्या तात्पर्य है? विश्व पटल पर इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है? स्पष्ट कीजिए। 

आतंकवाद से तात्पर्य- आतंकवाद एक प्रकार की हिंसात्मक गतिविधि के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो कि अपने आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक एवं विचारात्मक लक्ष्यों की क्षतिपूर्ति के लिए गैर-सैनिक अर्थात् नागरिकों की सुरक्षा को भी निशाना बनाते हैं। गैर-राज्य कारकों द्वारा किए गए राजनीतिक वैचारिक या धार्मिक हिंसा को भी आतंकवाद की श्रेणी का ही समझा जाता है। अब इसके तहत गैर कानूनी हिंसा एवं युद्ध को भी शामिल कर लिया गया है।

आतंकवाद शब्द की उत्पत्ति आतंक शब्द से है। आतंकवाद ऐसे कार्यों को कहते हैं, जिसे किसी प्रकार का आतंक फैलाने के उद्देश्य से किया जाता है। इस प्रकार के कार्यों को जो करते हैं उन्हें आतंकवादी कहा जाता है।

आज आतंकवाद एक ऐसी वैश्विक समस्या का रूप धारण कर चुका है, जिसकी आग में सारा विश्व जल रहा है। आज कोई भी देश यह दावा नहीं कर सकता कि उसकी सुरक्षा व्यवस्था में कोई कमी नहीं है और वह आतंकवाद से पूरी तरह मुक्त है। सच तो यह है कि आज यह कोई नहीं जानता कि आतंकवाद का अगला निशाना कौन एवं किस रूप में होगा। हिंसा के द्वारा जनमानस में भय या ‘आतंकवाद पैदा कर उद्देश्यों को पूरा करना ही आतंकवाद है। वैसे तो आतंकवाद कई प्रकार के हैं, परन्तु इनमें से तीन ऐसे हैं जिनसे पूरी दुनिया त्रस्त है राजनीतिक, सामाजिक या गैर राजनीतिक एवं धार्मिक कट्टरता से संबंधित आतंकवाद। श्रीलंका में लिट्टे समर्थकों एवं अफगानिस्तान में तालिबान संगठनों की गतिविधियाँ राजनीतिक आतंकवाद के उदाहरण हैं।

जम्मू कश्मीर में अलगाववादी गुटों द्वारा किए गए अपराधिक कृत्य भी राजनीतिक आतंकवाद के ही उदाहरण है। अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन धार्मिक कट्टरता की भावना से आपराधिक कृत्यों को अंजाम देते हैं। ऐसे आतंकवाद को धार्मिक कट्टरता की श्रेणी में रखा जाता है। अपनी सामाजिक स्थिति या अन्य कारणों से उत्पन्न सामाजिक क्रांतिकारी विद्रोह को गैर राजनीतिक श्रेणी में रखा जाता है। भारत में नक्सलवाद गैर-राजनीतिक आतंकवाद का उदाहरण हैं।

आतंकवादी हमेशा आतंक फैलाने के नए-नए तरीके आजमाते रहते हैं। भीड़ भरे स्थानों, रेल बसों इत्यादि में बम विस्फोट करना, रेलवे दुर्घटना करवाने के लिए रलवे लाइनों की पटरियाँ उखाड़ देना, वायुयानों का अपहरण कर लेना निर्दोष लोगों या राजनीतिज्ञों को बंदी बना लेना, बैंक डकैती करना आदि कुछ ऐसी आतंकवादी गतिविधियाँ हैं जिनमें पूरा विश्व पिछले कुछ दशकों से त्रस्त हैं। आज लगभग पूरा विश्व आतंकवाद की चपेट में हैं एवं किसी न किसी तरह से पीड़ित हैं।

पिछले एक दशक में पूरे विश्व में आतंकवादी घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है। 11 सितम्बर 2001 को अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर एवं 26 नवम्बर 2008 को मुंबई में हुआ आतंकी हमला आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। वैसे तो आज लगभग पूरा विश्व ही आतंकवाद की चपेट में हैं किन्तु भारत दुनियाभर में आतंकवाद से सर्वाधिक त्रस्त पड़ोसी देश पाकिस्तान से है।

आतंकवाद वैश्विक समस्या के रूप में-

आज आतंकवाद केवल भारत की समस्या नहीं वरन् यह विश्व पटल पर एक गम्भीर समस्या के रूप में देखा जा रहा है। विश्व का आज तक का सबसे बड़ा आतंकवादी हमला अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर का माना जाता है। 11 सितम्बर, 2001 में, विश्व के सबसे शक्तिशाली देश के सबसे ऊँची इमारत पर ओसामा बिन लादेन ने आतंकवादी हमला करवाया था, जिसके चलते लाखों का नुकसान हुआ एवं हजारों-लाखों लोग मलबे के नीचे दब कर मर गए थे। अमेरिका ने अपने सबसे बड़े दुश्मन को बड़े फिल्मी तरीके से मारा था। ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए अमेरिका ने एक ऑपरेशन चलाया जिसके तहत वह पाकिस्तान में घुसकर उस मार गिराया गया था। अतः आतंकवाद अपने सबसे क्रूरतम रूप में विश्व को हानि पहुँचा रहा है, इसकी समस्या का निदान तभी हो सकता है, जब सभी राष्ट्र मिलकर इसे पूरी तरह कुचल देने का संकल्प लें, और इसके लिए सही दिशा में कार्य करें।

आतंकवाद के दुष्परिणाम (Effect of Terrorism)-

आतंकवाद का मुख्य उद्देश्य सामाजिक एवं राजनैतिक तंत्र को आहत किया है। आतंकवाद का प्रभाव सबसे अधिक आम जनता को होता है। आतंकवादी समूह देश की सरकार को बनाने के लिए ये सब करते हैं, लेकिन जिस पर वे ये जुल्म लगाते हैं वे उन्हीं के भाई बहन होते हैं, मासूम होते हैं, जिनका सरकार, आतंकवाद से कोई लेना देना नहीं होता है, एक बार ऐसा कुछ देखने के बाद इन्सान के मन में जीवनभर के लिए डर पैदा हो जाता है, वे घर से निकलने तक में हिचकता है, माँ को डर रहता है, कि उसका बच्चा घर वापस आएगा कि नहीं।

आतंकवाद से लोगों में भय व्याप्त हो जाता है। वे अपने राज्य, देश में स्वयं को असुरक्षित महसूस करते हैं। आतंकवाद के सामने कई बार सरकार भी कमजोर दिखाई देती है, जिससे लोगों का सरकार पर से भरोसा उठता जा रहा है। आतंकवाद को मुद्दा बनाकर किसी भी सरकार को गिराया जा सकता है। आतंकवाद के चलते लाखों की सम्पत्ति नष्ट हो जाती है, हजारों, लाखों मासूमों की जान चली जाती है। जीव-जंतु मार जाते हैं। मानव जाति एक दूसरे पर भरोसा करने में डरते हैं। एक आंतकवदी गतिविधि देखने के बाद दूसरा आतंकवादी भी पैदा होने लगता है। इस प्रकार आतंकवाद देश, समाज के लिए अत्यंत घातक घटक के रूप में हमारे सामने खड़ा है।

Important Links

Disclaimer

Disclaimer: Sarkariguider.in does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment