समाजीकरण के सिद्धांत (samajikaran ke siddhant)
समाजीकरण के सिद्धांत| samajikaran ke siddhant- विभिन्न समाजशास्त्रियों ने अपने सिद्धान्तों द्वारा यह दर्शाने का प्रयास किया है कि व्यक्ति का समाजीकरण किस प्रकार से होता है तथा उसकी मानसिक स्थिति क्या होती है? विद्वानों ने समाजीकरण के सिद्धान्त को “आत्म” या “स्व” के विकास के आधार पर समझाने का प्रयास किया है। व्यक्ति के समाजीकरण में “आत्म” या “स्व” का उद्भव और विकास केन्द्र बिन्दु है। स्व का अर्थ गर्व या घमण्ड से नहीं है बल्कि व्यक्ति का स्वयं के बारे में ज्ञान से है जो दूसरों के सम्पर्क एवं व्यक्ति के प्रति दूसरे लोग क्या सोचते हैं से विकसित होता है। स्व के जानने के बाद ही व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है। आत्म के विकास एवं समाजीकरण से सम्बन्धित प्रमुख सिद्धान्त है-
(3) मीड का सिद्धान्त
समाजीकरण का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं तथा सहायक अभिकरण
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