विद्यालय में निर्देशन प्रक्रिया एवं कार्यक्रम- Process of Guidance in School in Hindi
विद्यालय में निर्देशन प्रक्रिया (Process of Guidance in School)- विद्यालय में निर्देशन प्रक्रिया एक महत्त्वपूर्ण चरण है। निर्देशन से संबंधित तथ्यों का बोध शिक्षक व परामर्शदाता को होनी चाहिए।
1. किस व्यक्ति को निर्देशित कर रहे हैं उसके सम्बन्ध में पूर्व सूचना एकत्रित करना। व्यक्ति के भौतिक व सामाजिक वातावरण की जानकारी होना।
2. प्राप्त सूचनाओं का वर्गीकरण व व्याख्या करना।
3. जिस व्यक्ति को निर्देशित किया जाना है उसके बारे में विचार विमर्श मन्त्रणा करना।
4.निर्देशित व्यक्ति में दिये गये व्यवहार को आंकलित करना।
जिस व्यक्ति को हमें निर्देशित करना है उसके सम्बन्ध में प्रदत्तों का संग्रह हम विभिन्न तकनीकियों द्वारा कर सकते हैं; जैसे
रुचि परीक्षण – (Interest test
व्यक्ति अध्ययन – Case Study
भूमिका निष्पादन – Role Playing
साक्षात्कार – Interview
बालक का पारिवारिक अभिलेख – Family Record of the Child
निरीक्षण- Observation
आत्मकथा – Autobiography
समाजमिति नीति – Sociometric Techniques
बालक का दैनिक अभिलेख – Cumulative Record of the Child
निर्देशन कार्यक्रम का संगठन (Organization of Guidance Programme)-
निर्देशन कार्यक्रम विद्यालय की कुशलता पर निर्भर करते हैं। इसके लिये विद्यालय में निर्देशन कार्यक्रमों को संचालित करने हेतु कोई प्रमापीकृत प्रतिरूप नहीं तैयार किया जा सकता है फिर भी निर्देशन देने हेतु निम्न महत्वपूर्ण बातों की आवश्यकता है जो निम्नलिखित हैं-
निर्देशित कार्यक्रम को संगठित करते समय इस बात पर ध्यान दिया जाये कि निर्देशक विभिन्न विधियों का प्रयोग कर सके।
निर्देशन कार्यक्रम हेतु व्यय विद्यालय के बजट से ही किया जाना चाहिये।
निर्देशन कार्यक्रम को विद्यालय में कार्यक्रमों का ही एक अभिन्न अंग समझा जाना चाहिए। इसके लिये विद्यालय की समय तालिका में निर्देशन देने हेतु पर्याप्त समय की व्यवस्था होनी चाहिए।
निर्देशन सिर्फ समस्यात्मक बालकों के लिये ही आयोजित न किया जाये बल्कि प्रत्येक बालक हेतु इसका नियोजन किया जाये।
समस्यात्मक व्यक्ति की सभी सूचनाओं को गोपनीय रखा जाये जिसे निर्देशन के समय निर्देशन देने वाले व लेने वाले व्यक्ति में मध्य परस्पर मधुर सम्बन्ध हो सकें।
निर्देशन कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु समाज में अन्य निर्देशन में अन्य निर्देशन केन्द्रों का ही सहयोग लिया जाना चाहिए, जैसे- रोजगार कार्यालय, राजकीय निर्देशन कार्यालय, राजकीय मनोविज्ञानशाला आदि।
विद्यालय निर्देशन कार्यक्रम को एक सामूहिक गतिविधि के रूप में आयोजित किया जाना चाहिये जिसमें परामर्शदाता विभिन्न विधियों का प्रयोग करते हुए निर्देशन दे सके।
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