बुनियादी शिक्षा का अर्थ, पाठ्यक्रम, विशेषतायें तथा शिक्षक प्रशिक्षण व शिक्षण विधि
बुनियादी शिक्षा किसे कहते हैं?
बुनियादी शिक्षा उच्च शिक्षा को कहते हैं जिसमें किसी भी बालक को अपने जीवन को यापन करने के लिए जितनी न्यूनतम शिक्षा की आवश्यकता हो वह उसे दे दी जाए उसे बुनियादी शिक्षा कहते हैं जिससे कि वह बालक बड़ा होकर अपने जीवन को आसानी से या पित्त कर सके यापन कर सके इतनी उसे गणित आ जाए कि वह अपने छोटे-मोटे व्यापार की गणित को स्वयं हल कर सके और इतना लिखना पढ़ना उसे आ जाए कि वह अपने रिश्तेदारों को पत्र लिख सके और उनके पत्र पढ़ सके अंग्रेजी का भी थोड़ा बहुत उसे ज्ञान फोटो जिससे कि वह अंग्रेजी भाषा को भी कुछ स्तर तक समझ सके लिख सके और सामाजिक अध्ययन में भी हो समाज के रचना को समझ सके सरकार कैसे बनती है नेता कैसे बनते हैं इन संभव है इन के समय में लोकतंत्र के बारे में थोड़ा वह तो जानकारी रख सके और प्रशासन कैसे कार्य करता है उसकी भी थोड़ी बहुत उसे जानकारी दी जाए जिससे कि वह अपना जीवन यापन कर सके उसे बुनियादी शिक्षा कहते हैं|
बुनियादी शिक्षा के पाठ्यक्रम क्या है ?
बुनियादी शिक्षा का पाठ्यक्रम निम्न प्रकार हैं-
(1) आधारभूत कलायें-1. कृषि, 2. लकड़ी का कार्य 3. कताई-बुनाई, 4. चमड़े का काम, मिट्टी का काम, 6. पुस्तक कला, 7. मछली पालन, 8. फूलों व सब्जी की बागवानी, नौ गृह विज्ञान, 10 स्थानीय वातावरण के अनुकूल कोई अन्य शिल्प।
(2) मातृभाषा।
(3) गणित।
(4) सामाजिक अध्ययन-इतिहास, भूगोल, नागरिकशास्त्र।
(5) सामान्य विज्ञान-1. प्रकृति अध्ययन, 2. वनस्पति विज्ञान, 3. जीव विज्ञान, 4. रसायन विज्ञान 5. स्वास्थ्य विज्ञान, 6. नक्षत्रों का ज्ञान, 7. वैज्ञानिकों व अन्वेषणकर्ताओं के प्रेरक प्रसंग।
(6) कला-संगीत व चित्रकला।
(7) हिन्दी-उन स्थानों के लिए जहाँ यह मातृभाषा नहीं है।
(8) शारीरिक शिक्षा-व्यायाम तथा खेल-कूद|
बुनियादी शिक्षा की विशेषतायें
1. कक्षा पाँच तक शिक्षा का पाठ्यक्रम सह-शिक्षा के रूप में है।
2. कक्षा पाँच के बाद बालक व बालिकाओं की शिक्षा का प्रबन्ध अलग-अलग है।
3. छठी तथा सातवीं की कक्षाओं में बालिकाओं की गृहविज्ञान की शिक्षा आधारभूत शिल्प के स्थान पर मान्य हो सकती है।
4. सातवीं तथा आठवीं की कक्षाओं के लिए संस्कृत, वाणिज्य, आधुनिक भारतीय साहित्य आदि विषय हैं।
5. शिक्षा का माध्यम मातृभाषा है लेकिन राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी अनिवार्य है।
6. पाठ्यक्रम का स्तर वर्तमान मौद्रिक के स्तर का है।
7. पाठ्यक्रम में अंग्रेजी व धर्म का कोई स्थान नहीं है।
बुनियादी शिक्षा की प्रशिक्षण विधि
(1) बुनियादी विद्यालय के शिक्षक-बुनियादी शिक्षा संस्थानों में शिक्षा का तथा शिक्षक का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। जिन क्षेत्रों में विद्यालय स्थित होते हैं उसी क्षेत्र के व्यक्तियों को शिक्षक के रूप में नियुक्त किया जाता है। शिक्षक के द्वारा किसी बुनियादी शिल्प के माध्यम से ही शिक्षा दी जाती है तथा शिल्प के चुनाव में स्थानीय व भौगोलिक आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाता है।
(2) शिक्षक प्रशिक्षण-बुनियादी विद्यालयों में प्रशिक्षित शिक्षकों की ही नियुक्ति की जाती है। इस प्रकार के विद्यालयों की सफलता शिक्षकों के ऊपर ही निर्भर करती है। अत: शिक्षकों को दो प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है-
1. दीर्घकालीन प्रशिक्षण-दीर्घकालीन प्रशिक्षण तीन वर्ष की अवधि का होता है।
2. अल्पकालीन प्रशिक्षण-अल्पकालीन प्रशिक्षण एक वर्ष की अवधि का होता है। शिक्षकों को हस्तशिल्प की विधि से अवगत कराया जाता है।
बुनियादी शिक्षण विधि
बुनियादी शिक्षा मूलरूप से व्यावहारिक होती है तथा बालक एक साथ कई विषयों का ज्ञान प्राप्त कर लेता है। बुनियादी शिक्षा क्रियाओं तथा अनुभवों पर आधारित है इसीलिए इसका ज्ञान थोड़े से समय में ही हो जाता है।
बालकों की शिक्षण व्यवस्था निम्न प्रकार होती है-
1. सबसे पहले बच्चों को कहानी तथा बातचीत के माध्यम से मातृभाषा का ज्ञान कराया जाता है।
2. मातृभाषा का ज्ञान होने पर बच्चे पहले उसे पढ़ना तथा फिर लिखना सीखते हैं।
3. पढ़ाई के साथ-साथ बालक किसी आधारभूत शिल्प का ज्ञान भी प्राप्त करते हैं।
4. जैसे-जैसे बच्चा आगे की कक्षाओं में पहुँचता है वैसे ही उसे विभिन्न विषयों का ज्ञान भी प्राप्त होता रहता है।
5. प्राकृतिक वातावरण, सामाजिक वातावरण तथा हस्तकला के माध्यम से अनेक विषयों का ज्ञान बालकों को कराया जाता है।
6. बालक अपनी रुचि के अनुसार हस्तशिल्प का चयन करता है।
बुनियादी शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य | बुनियादी शिक्षा के मूल सिद्धान्त
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सार्जेन्ट योजना 1944 (Sargent Commission in Hindi)
भारतीय शिक्षा आयोग द्वारा प्राथमिक शिक्षा के सम्बन्ध में दिये गये सुझावों का वर्णन कीजिये।
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