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नारीवाद के प्रमुख प्रकार | Types of Feminism in Hindi

नारीवाद के प्रमुख प्रकार
नारीवाद के प्रमुख प्रकार

नारीवाद के प्रमुख प्रकार- उदारवादी नारीवाद, मार्क्सवादी नारीवाद, उग्रवादी नारीवाद

नारीवाद के प्रमुख प्रकार – नारीवाद के निम्न प्रकार है-

1. उदारवादी नारीवाद-

उदारवादी नारीवाद लिंग समानता में विश्वास करता है और एक सेक्स द्वारा सेक्स को अपने अधीन करने या नारी को समान स्तर का मानव प्राणी न समझते हुए, उसे ‘काम संबंधो’ (सेक्स रिलेशन्स) का एक साधन मानने की धारणा का विरोध करता है। उदारवादी नारीवाद के अनुसार, नारी का मुख्य कार्यक्षेत्र तो घर है लेकिन इच्छा, आवश्यकता और परिस्थितियों से प्रेरित होकर यदि स्त्री घर के बाहर कोई भूमिका निभाती है तो परिवार, समाज और समस्त व्यवस्था द्वारा इस स्थिति को पूरे मन से स्वीकार किया जाना चाहिए।

2. मार्क्सवादी नारीवाद-

मार्क्सवाद के अनुसार, नारी के शोषण के दो कारण हैं- प्रथम कारण है, पैतृक सत्ता (पुरुष की सत्ता पर आधारित परिवार और समाज व्यवस्था) द्वितीय, निजी सम्पति और उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व। निजी स्वामित्व की इस व्यवस्था के कारण नारी के श्रम (बच्चों का पालन-पोषण और पारिवारिक कार्य) का उपयोग मूल्य’ तो है, ‘विनिमय मूल्य’ नहीं है। स्त्री के कार्य का मुद्रा के रूप में कोई भुगतान नहीं होता तथा इस बात ने स्त्री को पुरुष के अधीन बना दिया है। मार्क्सवादी नारीवाद पूंजीवादी व्यवस्था और पैतृकता को परस्पर निर्भर व्यवस्थाएं मानता है, जिल्ला आइजेनटीन इसे पूंजीवादी पैतृकता मानते हैं। मार्क्सवादी नारीवाद इस बात पर बल देता है कि नारी की मुक्ति के लिए दो दिशाओं में एक साथ कार्य करना होगा, क्योंकि, ये दोनों तत्व नारी शोषण के लिए एक-दूसरे के साथ जुड़ गए हैं। पुरुष की सत्ता का अन्त कर समानता पर आधारित समाज व्यवस्था को अपनाना होगा तथा उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व की व्यवस्था का अन्त करना होगा। आर्थिक व्यवस्था में मूलभूत परिवर्तन के बिना, नारी मुक्ति मात्र एक दिवा स्वप्न बनी रहेगी।

3. रेडीकल फेमीनिज्म या उग्रवादी नारीवादी-

नारीवाद का यह सर्वाधिक आक्रोशपूर्ण एवं उग्रवादी रूप है। उग्रवादी नारीवाद ने यह प्रतिपादित किया कि नारियों की दयनीय स्थिति का मूल कारण पुरुष की प्रभुता वाला समाज है। यह पुरुष समाज अपने को विवाह और परिवार संस्था के माध्यम से सम्पोषित करता रहा है। इस प्रकार पैतृक समाज की जड़े समाज के आर्थिक कारकों में नहीं, वरन् जीव विज्ञान में है। महिला की प्रजनन क्षमता इसका आधार है।

विवाह के आधार पर बच्चों के जन्म और परिवार में बच्चों के पालन-पोषण के स्थान पर उग्रवादी नारीवाद ‘स्वतन्त्र सेक्स’ और बच्चों की सामूहिक देखभाल की वकालत करता है। यह मार्ग ही मातृक सत्ता को जन्म देगी।

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