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जापान में औद्योगिक विकास और प्रमुख उद्योग | Industrial Development and Major Industries in Japan

जापान में औद्योगिक विकास और प्रमुख उद्योग |  Industrial Development and Major Industries in Japan
जापान में औद्योगिक विकास और प्रमुख उद्योग | Industrial Development and Major Industries in Japan

जापान में औद्योगिक विकास और प्रमुख उद्योग

जापान एशिया का एकमात्र देश है जो अपने बलबूते पर औद्योगिक विकास की उन ऊँचाइयों तक पहुँच गया है, जहाँ पहुँचना साधन सम्पन्न देशों के लिये भी कठिन है। जापान की औद्योगिक प्रतिमा का लोहा संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे विकसित राष्ट्र मानने के लिए बाध्य हैं यहाँ पर औद्योगिक असुविधाओं यथा- कच्चा माल, ऊर्जा स्रोत और स्थानीय बाजार की कमी के बावजूद औद्योगिक विकास तीव्र गति से हुआ है। जापान अपनी आवश्यकता से का लगभग आधा कोयला, लोहा, खनिज तेल और अनेक अन्य खनिजों का आयात करता है, लेकिन औद्योगिक उत्पादन और विश्वव्यापी बाजार की उपलब्धता के कारण राष्ट्रीय आय दिनोंदिन बढ़ती रही है। वर्ष 2006 में यहाँ प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय लगभग 38410 डॉलर थी, जो विकसित राष्ट्रों से अधिक बताई जाती है।

जापान में औद्योगिक विकास का पहला चरम उत्कर्ष द्वितीय विश्व युद्ध के पूर्व हुआ था, लेकिन  युद्ध के कारण इसकी अपार क्षति हुई। परन्तु लगन, दृढ़ निश्चय और राष्ट्रीय भावना के कारण 1955 तक वह अपने नव निर्माण को सार्थक बना दिया। 1955 से 1960 के बीच औद्योगिक उत्पादन में 20 प्रतिशत और 1960 से 1970 के मध्य 400 प्रतिशत वृद्धि अंकित की गई। 1970 में जापान संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और जर्मनी के बाद चौथा बड़ा औद्योगिक राष्ट्र बन गया। आज इसकी आधी जनसंख्या उद्योगों से प्राप्त होती है। जापान में जिन उद्योगों की प्रधानता है उसमें धातु उद्योग मशीनरी, विद्युत संयंत्र, वस्त्र, यातायात के सामान, वैज्ञानिक सामग्री, कृषि उत्पाद, इलेक्ट्रानिक्स और लकड़ी के सामान प्रमुख हैं। इनके अतिरिक्त कढ़ाई, कागज छपाई सूक्ष्म औजार कृत्रिम धागा और घरेलू साज-समान भी महत्वपूर्ण औद्योगिक उत्पादन है।

लौह एवं इस्पात उद्योग- आधुनिक ढंग का इस्पात उत्पादन जापान में 1901 से प्रारम्भ हुआ। सरकार ने प्रथम उद्योग हांशू के मध्य शिमोनोसेकी जलडमरूमध्य के किनारे उत्तरी पूर्वी क्यूशू में एक छोटे से गाँव यावाता में लगाया जो जापान के सबसे बड़े कोयला उत्पादक क्षेत्र के निकट हैं। इस गाँव की स्थिति खाड़ी के पास होने के कारण चीन से कोयला आसानी से आयात किया जाता था। 1967 में यावाता कम्पनी ने जापान के कच्चा लोहा का 25 प्रतिशत और इस्पात का 19 प्रतिशत उत्पादन किया था। इस उद्योग का विकास 1930 के दशक तक निरन्तर होता रहा, क्योंकि सैनिक सरकार द्वारा इसके विकास में पूर्ण सहयोग मिला। परन्तु विश्व युद्ध के बाद इस औद्योगिक केन्द्र की मरम्मत की गई और पुनः इस्पात के उत्पादन में वृद्धि होने लगी।

जापान में 1961 की तुलना में 1967 में इस्पात के उत्पादन में 100 प्रतिशत की वृद्धि हुई। विश्व में के अन्य देशों की तुलना में जापान में इस्पात का उत्पादन तीव्र गति से बढ़ता रहा है। यही कारण है यह विश्व का द्वितीय बड़ा इस्पात उत्पादक देश बन गया है। 1963 में जापान द्वारा 97 प्रतिशत लौह खनिज एवं 70 प्रतिशत कोयले का आयात किया गया फिर भी इस्पात के उत्पादन में इसने पश्चिमी जर्मनी को पीछे छोड़ दियां जापान ने 2005 में विश्व का 10.7 प्रतिशत इस्पात का उत्पादन किया तथा अपने समस्त उत्पादन का 20 प्रतिशत दूसरे देशों को निर्यात किया। जापान अपनी बढ़ती घरेलू खपत के बाद पर्याप्त मात्रा में विश्व बाजार में खपत हेतु इस्पात निर्यात भी करता है।

जापान का लौह एवं इस्पात उद्योग पूर्णरूपेण आयातित लौह खनिज और इस्पात स्क्रैप पर आधारित है। जापान अपनी आवश्यकता का केवल 3 प्रतिशत लौह खनिज उत्पन्न करता है जो आयातित खनिज की तुलना में निम्न कोटि का है। यहाँ की लौह खनिज की खानें होकैडो और उत्तरी हांशू में हैं, जिनमें उत्पादन नगण्य है। लौह खनिज उत्पादन की सबसे बड़ी खान पूर्वी टोहोकू की कामैशी खान है। यहाँ लौहांश की मात्रा 57 प्रतिशत है।

जापान 30 प्रतिशत लौह खनिज दक्षिणी अमेरिका से आयात करता है, जिसमें चीली और पीरू प्रमुख निर्यातक देश है। इसके अतिरिक्त जापान, भारत, आस्ट्रेलिया, दक्षिणी पूर्वी एशिया तथा उत्तरी अमेरिका से लौह खनिज का आयात करता है। आयातित स्क्रैप का 75 प्रतिशत भाग संयुक्त राज्य अमेरिका से आता है। इस उद्योग के लिए कोक कोयला संयुक्त राज्य अमेरिका, आस्ट्रेलिया, रूस और कनाडा से आयात किया जाता है। जापान में पिंग आयरन की तुलना में आयातित स्टील स्क्रैप से अधिकांश इस्पात तैयार होता है और यह विश्व का दूसरा इस्पात निर्माता बन गया है।

जापान अपने इस्पात का 22 प्रतिशत भाग निर्यात करता है। विश्व बाजार में अपनी ख्याति बनाये रखने के लिए जापान उत्तम किस्म का इस्पात तैयार करता है। 1951 से 1961 के बीच यहाँ अनेक प्रकार के तकनीकी सुधार किये गये, जिसके परिणामस्वरूप एक टन कच्चा लोहा तैयार करने के लिए लौह खनिज की मात्रा में कमी लाई गई। साथ ही तकनीकी सुधार द्वारा ऊर्जा उपयोग में भी कमी लाइ गई और कच्चा माल के रूप में कबाड़ लोहे को प्राथमिकता दी गई। इससे लगात खर्च में कमी हुई।

जापान का इस्पात उद्योग केवल रेलों और प्लेटों का ही निर्माण नहीं करता अपितु उच्च रेणी का विशेष इस्पात तैयार करता है, जिसका उपयोग इन्जीनियरिंग और वाहन उद्योगों में होता है, क्योंकि यहाँ का इस्पात उत्तम किस्म का होता है। इसके अतिरिक्त इस्पात का उपयोग भारी मशीनों, जहाजों औरी रेल इन्जनों के बनाने में होता है। शिन, निप्पन स्टील, कावासाकी, सुमितोमों और कोबे में प्रमुख इस्पात उद्योग है, जो जापान का 70 प्रतिशत इस्पात तैयार करते है। 2005 में शिन, निप्पन, सीतेत्सू तथा कावासाकी ने 61 प्रतिशत जापान का कच्चा लोहा तैयार किया। कच्चे माल के लिए मलाया, ब्राजील, फिलीपीन्स, पाकिस्तान, रोडेशिया, भारत और स्वजीलैण्ड से समझौता किया गया। इसके अतिरिक्त आस्ट्रेलिया और अमेरिकी देशों से भविष्य में भी कच्चे माल की पूर्ति के लिए समझौता किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप इस्पात के उत्पादन में लागत व्यय कम हो सके। यही कारण है कि आज जापानी इस्पात संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन के समकक्ष है। जापान 22 प्रतिशत इस्पात का प्रति वर्ष निर्यात करने लगा है। जो जापान के निर्यात में सर्वोपरि है।

जापान का 85 प्रतिशत इस्पात इसके विनिर्माण उद्योग की मुख्य मेखला (उत्तरी-कयूशू शिकाकू और दक्षिणी हांशू) से तैयार होता है। उत्तरी क्यूशू में यवाता का वर्तमान आधुनिक लौह एवं इस्पात उद्योग घरेलू कच्चे माल पर आधारित है। इसे कोयले की आपूर्ति चिकुहो से होती है। तथा चीन से लौह खनिज एवं चूना पत्थर पत्राप्त हो जाता है। विश्व युद्ध से पहले उत्तरी क्यूशू जापान का लगभग 50 प्रतिशत इस्पात अकेले तैयार करता था परन्तु 1992 में यह घटकर 20 प्रतिशत हो गया। इसके अतिरिक्त इनेक इस्पात उत्पादक केन्द्र लोहा और कोयला की खानों के पास या बन्दरगाहों के समीप स्थित है। मुरोसन के समीप कई स्टील के प्लांट लगाये गये हैं, जो जापान का 9 प्रतिशत से अधिक इस्पात तैयार करते है। यहाँ घरेलू कच्चे माल का उपयोग होता है। इसी कारण कोयला क्षेत्र से कोयला और उत्तरी टोहोकू से लौह खनिज प्राप्त होता है। कामौशी जापान का 3 प्रतिशत इस्पात तैयार करता है।

विश्व युद्ध के पश्चात् लौह-इस्पात केन्द्रों का विकास मुख्य औद्योगिक क्षेत्रों के निकटवर्ती भागों में तेजी से हुआ, क्योंकि बन्दरगाह की उपयुक्त सुविधा के कारण लौह खनिज, स्टील और कोयला सुगमतापूर्वक आयात किया जाता है। हान्शिन क्षेत्र जो जापान का 32 प्रतिशत इस्पात तैयार करता है, यह क्षेत्र दक्षिण में सकाई से पश्चिम कोवे तक विस्तृत है। यहाँ पर भारी इंजीनियरिंग के समान, जहाजों के लिए इस्पात की चादरें तथा रेल के पुर्जे बनाये जाते है। इसके अतिरिक्त कीहिन तथा चुक्यो औद्योगिक केन्द्रों में क्रमशः 25 और 9 प्रतिशत इस्पात का उत्पादन होता है, जिनमें इस्पात की चादरें हल्के इन्जीनियरिंग के सामान, वाहन के सामान, रेफ्रीजरेटर बी.ए. तथा धुलाई की मशीन के पुर्जे बनाये जाते है। वर्ष 2005 में जापान में कच्चे लोहे का उत्पादन 908 लाख टन और इस्पात का 113 लाख टन था, जिसमें लगभग आधे की खपत देश में हुई और आधे का निर्यात हुआ। उल्लेखनीय है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान का उत्पादन सोगुना बढ़ा है जो एक कीर्तिमान है। जापान में प्रति व्यक्ति 63.6 किग्रा० इस्पात की खपत है, सर्वाधिक है।

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