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गाँधी जी की शिल्प आधारित शिक्षा एंव शिल्प केन्द्रित शिक्षा की आवश्यकता

गाँधी जी की शिल्प आधारित शिक्षा एंव शिल्प केन्द्रित शिक्षा की आवश्यकता
गाँधी जी की शिल्प आधारित शिक्षा एंव शिल्प केन्द्रित शिक्षा की आवश्यकता

गाँधी जी की शिल्प आधारित शिक्षा क्या है ? शिल्प शिक्षा की आवश्यकता बताते हुए इसकी वर्तमान प्रासंगिकता बताइए।

गाँधी जी की शिल्प आधारित शिक्षा

गाँधी जी की शिल्प आधारित शिक्षा वह शिक्षा है जिसके प्राप्त हो जाने पर छात्र को विशेष कौशल का ज्ञान प्राप्त हो जाता है अर्थात् छात्र शिल्प आधारित शिक्षा द्वारा अपने कौशल को और अधिक विकसित कर लेता है। शिल्प आधारित शिक्षा से छात्रों को बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है।

इस प्रकार की शिक्षा में निम्नलिखित शिक्षा को प्रदान किया जाता है –

  1. शिल्प आधारित शिक्षा के अन्तर्गत काष्ठ-कला की शिक्षा प्रदान की जाती है।
  2. कताई, बुनाई की शिक्षा दी जाती है।
  3. चर्म कार्य तथा पुस्तक कला की शिक्षा दी जाती है।
  4. मछली पालन एवं गृह विज्ञान की शिक्षा भी शिल्प आधारित शिक्षा के अन्तर्गत प्रदान की जाती है।
  5. मिट्टी का कार्य और सजावट की शिक्षा भी दी जाती है।
  6. बागवानी तथा कृषि आदि के शिक्षा से भी परिपूर्ण किया जाता है।
  7. कला-कौशल तथा साज-सज्जा की भी शिक्षा प्रदान की जाती है।

“इस प्रकार की शिक्षा छात्र को इस योग्य बना देती है कि वह विशेष कला कौशल के माध्यम से अपनी रोजी-रोटी आसानी से चला लेता है अर्थात् अपने जीविकोपार्जन के साधन ढूंढ लेता है और समाज में अपना उचित व अच्छा स्थान भी बना लेता है। वर्तमान युग में अर्थात् आधुनिक समय में अधिकतर छात्र इसी शिक्षा को पसन्द करते हैं। इसलिए आज के युग में शिल्पकेन्द्रित शिक्षा का विशेष महत्व है। इसलिए गाँधी जी ने भी शिल्प आधारित शिक्षा का विशेष रूप से प्रसार किया है। उनके अनुसार शिल्प आधारित शिक्षा छात्रों को अपना सर्वोमुखी विकास करने के लिए अत्यन्त आवश्यक है।

शिल्प केन्द्रित शिक्षा की आवश्यकता
(Need of Craft – Centred Education)

शिल्प केन्द्रित शिक्षा का प्रतिपादन गाँधी जी द्वारा किया गया। शिल्पा केन्द्रित शिक्षा वह शिक्षा है, जिसके प्राप्त हो जाने पर छात्र को विशेष कौशल का ज्ञान हो जाता है।

वर्तमान में शिल्प केन्द्रित शिक्षा की आवश्यकता काफी बढ़ गयी हैं। वर्तमान समय में देश की जनसंख्या में काफी वृद्धि हुयी है, जितनी की पहले न थी। इस बढ़ती हुयी जनसंख्या के कारण देश में बड़ी मात्रा में बेरोजगारी व्याप्त हो गयी है। शिल्प केन्द्रित शिक्षा के अन्तर्गत कताई, बुनाई, बागवानी, कृषि, काष्ठ कला, चर्म कार्य, पुस्तक कला, मिट्टी का कार्य, मछली पालन व गृह विज्ञान आदि को शामिल किया जाता है। यह शिक्षा छात्र को इस योग्य बना देती है कि वह विशेष कला-कौशल के माध्यम से अपनी जीविका आसानी से चला लेता है तथा समाज में अपना अच्छा स्थान भी बना लेता है। इस प्रकार यह शिक्षा व्यक्ति को रोजगार देकर व्यस्त रख सकती है तथा बेरोजगारी से उत्पन्न समस्याओं का समाधान करके उसकी जीविका चलाने का मार्ग प्रशस्त करती है।

इसके अतिरिक्त यह भी कारण है आज कि के युग में शिल्प के महत्व में काफी वृद्धि हुयी है। विदेशी व्यापार में वृद्धि होने के कारण शिल्प आधारित उत्पादों की माँग में काफी वृद्धि हुयी है तथा शिल्प विदेशी मुद्रा प्राप्ति का साधन बन चुका है। अतः शिल्प केन्द्रित शिक्षा की वर्तमान में अत्याधिक आवश्यकता है।

गाँधी जी की शिल्प आधारित

शिक्षा भी वर्तमान प्रासंगिकता गाँधी जी की शिल्प आधारित शिक्षा की वर्तमान प्रासंगिकता काफी बढ़ गयी है। वर्तमान सम्म्य की अपेक्षा पहले जनसंख्या काफी कम थी तब शिक्षा का शिल्प आधारित होना आवश्यक न था। वर्तमान समय में देश की जनसंख्या काफी बढ़ चुकी है। जिसके कारण आज अधिकांश जनसंख्या बेरोजगार है। इस स्थिति में शिल्प आधारित शिक्षा उसे रोजगार देकर व्यस्त रख सकती है तथा बेरोजगारी से उत्पन्न समस्याओं का समाधान कर सकती है। इसके अतिरिक्त यह भी कारण है कि आज के युग में शिल्प के महत्व में काफी अधिक वृद्धि हुयी है। विदेशी व्यापार में वृद्धि होने के कारण शिल्प आधारित उत्पादों की माँग में वृद्धि हुयी है तथा शिल्प विदेशी मुद्रा प्राप्ति का साधन बन चुका है। अतः शिल्प आधारित शिक्षा की वर्तमान अत्यधिक प्रासंगिकता है।

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