भौतिक भूगोल की प्रकृति से सम्बन्ध relation between physical geography and nature
भौतिक भूगोल की प्रकृति से सम्बन्ध – उन्नीसवी शताब्दी में भूगोल शास्त्र की परिधि तथा अध्ययन-क्षेत्र को पृथ्वी के धरातल तक सीमित कर दिया गया। ब्रून्श (Brunches) के अनुसार धरातल के ऊपर एवं वायुमंडल के निचले भाग में ही वनस्पति, प्राणी एवं मानव-जगत की सभी परिघटनाएँ केन्द्रित होती हैं। फ्रिन्च एवं ट्रिवार्था (Fringh & Trewartha) ने भी भूगोल को पृथ्वी के धरातल का विज्ञान कहा।
होम्स (Homes) ने भूगोल को मनुष्य के निवास स्थान का अध्ययन बताया। व्हाइट एवं रेनर (White & Renner) ने भूगोल को मानव पारिस्थितिकी (Human Ecology) की संज्ञा देते हुये मानव निवास का ग्रह के रूप में पृथ्वी के अध्ययन को अभीष्ट माना।
भूगोल के दो प्रमुख आधार स्तम्भ, प्राकृतिक वातावरण एवं मानव हैं। वातावरण के तत्व मानव को प्रभावित करते हैं तथा मनुष्य स्वयं एवं भौगोलिक कारक के रूप में वातावरण में रूपान्तरण करता है। पृथ्वी एवं मानव दोनों ही गतिमान एवं परिवर्तनशील हैं। मानवीय क्रियाओं तथा उससे उत्पन्न सांस्कृतिक वातावरण के तत्वों का अध्ययन मानव भूगोल के अन्तर्गत किया जाता है। लोबैक (Lobeck) के मत में जीव और उसके भौतिक वातावरण के सम्बन्धों का अध्ययन भूगोल की विषय-वस्तु है तथा भौतिक वातावरण का अध्ययन भौतिक भूगोल है। इस प्रकार भूगोल के क्षेत्र में द्वैतवाद का सूत्रपात मानव भूगोल एवं भौतिक भूगोल के रूप में हुआ।
भूगोल की किसी भी शाखा के अध्ययन में भौतिक भूगोल का प्रारम्भिक ज्ञान सारभूत एवं आवश्यक है। यही नहीं स्ट्राहलर (Strahler) के अनुसार भौतिक भूगोल अनेक भूमि विज्ञानी का समन्वित रूप है जो मानव के वातावरण का अध्ययन करते हैं। भौतिक भूगोल में निम्नलिखित विज्ञानों का अध्ययन सम्मिलित है।
(1) भूगणित – इसके अन्तर्गत पृथ्वी की आकृति का अध्ययन किया जाता है।
(2) खगोल विज्ञान– इसके अन्तर्गत सूर्य, पृथ्वी, ब्रम्हाण्ड आदि का अध्ययन किया जाता
(3) अन्तरिक्ष विज्ञान- यह वायुमंडल के तत्वों का अध्ययन करता है।
(4) समुद्र विज्ञान- इसमें सागरीय जल के रासायनिक, भौतिक एवं जैविक गुणों का, अध्ययन किया जाता है।
(5) भू विज्ञान- इसके अन्तर्गत शैलों एवं जीवाश्मों का अध्ययन किया जाता है।
(6) जीव विज्ञान- इसके अन्तर्गत वनस्पतियों एवं प्राणियों का अध्ययन होता है।
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