सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में अन्तर (Difference between Public & Private Sector)
सार्वजनिक क्षेत्र |
निजी क्षेत्र |
सार्वजनिक क्षेत्र की स्थापना केन्द्र, राज्य, स्थानीय या लोक सत्ता द्वारा की जाती हैं। | निजी क्षेत्र की स्थापना निजी व्यक्तियों या गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा की जाती हैं। |
सार्वजनिक क्षेत्र का प्रथम उद्देश्य सेवा तथा द्वितीय उद्देश्य लाभ कमाना होता है |
निजी क्षेत्र का प्रथम उद्देश्य लाभ कमाना होता है । |
सार्वजनिक क्षेत्र में मुख्य रूप से भारी एवं आधारभूत उद्योग स्थापित किये जाते हैं, जैसे-इस्पात उद्योग आदि । |
निजी क्षेत्र में मुख्य रूप से उपभोक्ता वस्तुओं के उद्योग स्थापित किये जाते हैं, जैसे- कपड़ा व चीनी उद्योग आदि। |
इनका प्रबन्ध एवं संचालन सरकार के हाथ में होता है। | इनका प्रबन्ध एवं संचालन व्यक्तियों गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा होता है । |
इनकी स्थापना विभागीय आधार पर सरकारी एवं सूत्रधारी कम्पनियों, जन निगमों, मण्डलों आदि के रूप में की जाती है । | इनकी स्थापना एकाकी व्यवसाय, साझेदारी कम्पनी आदि के रूप में की जाती है । |
इनमें प्रबन्धकों का कोई वित्तीय हित नहीं होता हैं। | इनमें प्रबन्धकों का वित्तीय हित होता हैं। |
इन पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण रहता है तथा सरकारी नीति निर्देशों के अनुसार कार्य किया जाता है। | इन पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण नहीं रहता हैं, अतः ये माँग के अनुसार उत्पादन करते |
इस क्षेत्र में गोपनीयता का अभाव रहता है। |
इस क्षेत्र में गोपनीयता का पर्याप्त ध्यान रखा जाता हैं। |
इस क्षेत्र में उद्योगों में व्यक्तिगत जोखिम का अभाव रहता है। | इस क्षेत्र के उद्योगों में सदैव व्यक्तिगत जोखिम बना रहता है। |
इस क्षेत्र में उद्योगों की सफलता कम लागत, श्रेष्ठ किस्म, वस्तुओं या सेवाओं का परिणाम आदि के आधार पर आँकी जाती है। | इस क्षेत्र के उद्योगों की सफलता अर्जित लाभ गणना से आँकी जाती है। |
इस क्षेत्र में संचालकों को नीतिगत निर्णय लेने की स्वायत्तता नहीं होती है। | इस क्षेत्र में संचालकों को निर्णय लेने की पर्याप्त स्वतंत्रता होती है। |
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