पश्चिमी एशिया का एक विशद् प्रादेशिक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
पश्चिमी एशिया को अरब एशिया, मुस्लिम एशिया, मध्य पूर्व आदि नामों से भी पुकारा जाता है। यह एक विशिष्ट भौगोलिक परिमंडल है जो अनेक राजनीतिक इकाइयों में बँटे होने के बावजूद अपनी भौगोलिक स्थिति, धार्मिक-सांस्कृतिक परंपरा और यूरोप-एशिया से संलग्नता के कारण इसका व्यक्तित्व अवशेष एशिया से भिन्न है।
ऐतिहासिक विरासत पश्चिमी एशिया प्राचीन काल से एक विशिष्ट संस्कृति का क्षेत्र रहा है, जहाँ दजला पारात के मैदान में विकसित बेबीलोन की संस्कृति से न केवल पश्चिमी एशिया प्रभावित हुआ, अपितु इसका प्रभाव एशिया के अन्य क्षेत्रों के साथ यूरोप और अफ्रीका तक फैला। इस्लाम और ईसाई धर्मों का जन्मस्थल होने के कारण यह संपूर्ण विश्व के लिए आकर्षण का क्षेत्र बन गया। धर्म प्रचार के साथ अरब संस्कृति अफ्रीका के पूर्वी और उत्तरी क्षेत्रों में इस प्रकार व्याप्त हुई कि वे क्षेत्र भी अरब जगत् के अंग बन गये।
पश्चिम एशिया 50 लाख वर्ग किमी. क्षेत्र पर विस्तृत लगभग 9 करोड़ लोगों का परिमंडल है। यह 13 स्वतंत्र और 4 संरक्षित देशों में विभक्त है। भौतिक परिवेश की प्रतिकूलता एवं राजनीतिक अस्थिरता के कारण यहाँ का सामान्य आर्थिक सामाजिक ढाँचा पिछड़ापन का द्योतक है। कुछ देशों में खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस की उपलब्धता के कारण प्रति व्यक्ति आय बढ़ गई है लेकिन वहाँ भी सामान्य जीवन स्तर ऊपर नहीं उठ पाया है। राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता एवं विदेशी ताकतों का हस्तक्षेप इन देशों में अस्थिरता का प्रमुख कारण है। इससे न केवल अरब देश प्रभावित होते हैं, अपितु विश्व की बड़ी शक्तियाँ भी अस्थिर हो जाती हैं। तेल ग्राहक देश निरंतर पश्चिमी एशिया को कमजोर बनाए रखना चाहते हैं ताकि उनका हित-साधन हो सके। तालिका 13.1 में पश्चिमी एशिया की राजनीतिक इकाइयाँ और उनकी जनसंख्या आदि दी गई हैं।
पश्चिमी एशिया की राजनीतिक इकाइयाँ
क्रमांक | देश | क्षेत्रफल वर्ग | जनसंख्या किमी० (000) | घनत्व प्रति (लाख) 2001 | राजधानी वर्ग किमी० |
1. | अफगानिस्तान | 652 | 265 | 4 | काबुल |
2. | ईरान | 1648 | 642 | 39 | तेहरान |
3. | इराक | 438 | 200 | 66 | बगदाद |
4. | इजराइल | 21 | 62 | 302 | जेरूसलम |
5. | कतर | 11 | 58 | 53 | दोहा |
6. | कुवैत | 18 | 20 | 111 | कुवैत |
पश्चिमी एशिया में अफगानिस्तान, ईरान, इराक, इजराइल, जॉर्डन, तुर्की, यमन, लेबनान, सऊदी अरब, सीरिया, कतर, कुवैत, और दक्षिणी यमन स्वतंत्र देश हैं और बहरीन, मस्कट एवं ओमन, साइप्रस तथा संयुक्त अरब अमीरात संरक्षित देश हैं।
भौतिक परिवेश- पश्चिमी एशिया के भौतिक परिवेश में जलवायु एवं भौम्याकृति का प्रभाव सर्वाधिक है। भूदृश्यावली के विकास से लेकर मिट्टी, प्राकृतिक वनस्पति, भूमिगत जल आदि पर जलवायु का प्रभाव सर्वत्र दिखाई देता है। यहाँ की जलवायु की सबसे बड़ी विशेषता इसकी शुष्कता है। उत्तर-पश्चिम के कुछ तटीय क्षेत्रों एवं पर्वतीय क्षेत्रों के अतिरिक्त संपूर्ण प्रखंड में वर्षा इतनी कम होती है कि कृषि कार्य बिना सिंचाई की सुविधा किए कठिन हैं। कुछ क्षेत्रों में शुष्क कृषि की जाती है लेकिन उसे गहन बनाना कठिन है। जो भी वर्षा इस भू-क्षेत्र में होती है उसकी अधिकांश मात्रा शरद काल में ही प्राप्त होती है और ग्रीष्म काल शुष्क रहता है। जाड़े की वर्षा भी अनिश्चित होती है। यहाँ विस्तृत क्षेत्र पर औसत वार्षिक वर्षा मात्र 25 सेमी0 के आस पास है, जो किसी प्रकार छोटी घासो को पोषित कर सकती है। अतः अधिकांश क्षेत्र ऊष्ण-शुष्क जलवायु के प्रभाव में रहता है। कम सागर और काला सागर तटीय क्षेत्रों में 50 से 100 सेमी. वर्षा हो जाती है, जो इस परिमंडल के सबसे अधिक आई प्रदेश हैं। पश्चिमी एशिया में सामान्यतः वर्षा का वितरण उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर क्रमशः घटने की प्रवृत्ति प्रदर्शित करता है। एक विस्तृत भाग पर तापमान 45 सेंटीग्रेड ग्रीष्म काल में और 10 सेंटीग्रेड के नीचे शरद काल में चला जाता है। दैनिक तापांतर यहाँ सर्वाधिक पाया जाता है। जाड़े में कुछ भाग हिमपात से भी प्रभावित होते हैं। स्पष्ट है कि पश्चिमी एशिया विषम जलवायु का क्षेत्र हैं, जहाँ ऊष्ण मरूस्थल की प्रधानता है।
उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि पश्चिमी एशिया का भौतिक परिवेश बहुत दुरूह है। एक विस्तृत भाग पर ऊष्ण मरूस्थलों का विस्तार है, जिसमें चट्टानी मरूस्थलों का विस्तार भी विशेष उल्लेखनीय हैं। भूमध्य सागरीय तट एवं मेसोपोटामिया का मैदान सबसे आकर्षक क्षेत्र हैं। वर्षा की कमी के कारण यहाँ के अधिकांश भागों में घासें तथा कंटीली झाड़ियाँ उग जाती हैं। अपने भौतिक परिवेश की दुरूहता के कारण यहाँ आर्थिक तंत्र पशुपालन पर आधारित रहा है। आज भी कृषि एवं पशुपालन प्रमुख उद्यम हैं।
आर्थिक स्वरूप
पश्चिमी एशिया अपने दुरूह भौतिक परिवेश के बावजूद अनादि काल से एक आबाद क्षेत्र बना हुआ है।
कृषि मजदूर पश्चिमी एशिया की कृषि के आधार है लेकिन उनका कृषि उत्पादन से प्राप्ति बहुत कम है। यहाँ की संपूर्ण कृषि आजीविका प्रधान है। व्यावसायिक कृषि का विकास केवल रूमसागरीय जलवायु वाले देशों में हो सका है। अधिकांश अरब देशों में जब से खनिज तेल से आय की बढ़ोत्तरी हुई हैं, कृषि में कुछ सुधार आया है।
गेहूँ, जौ, जई, मक्का, ज्वार, बाजरा, सोरघम और धान यहाँ की प्रमुख फसलें हैं। अन्य उत्पादों में चुकंदर, खजूर, जैतून, अंगूर, कपास, तंबाकू और शहतूत विशेष उल्लेखनीय हैं। जैतून, अंगूर, अंजीर, नासपाती, केला, संतना और सेब की कृषि का विस्तार तेजी से हो रहा है।
यहाँ पशुपालन आर्थिक तंत्र का प्रधान अंग है। अधिकांश देशों में पशुपालन आजीविका प्रधान है। पशु उत्पादों में ऊन, खाल, दूध और मांस शेष उल्लेखनीय हैं जो आंतरिक खपत से बहुत कम बच पाते हैं। तुर्की, ईरान और अफगानिस्तान अपने उत्पादों को निर्यात कर अच्छी रकम प्राप्त कर लेते हैं। यहाँ के अधिकांश देशों में सामान्य नस्ल के पशु हैं। पालतू पशुओं में भेड़, बकरी, ऊँट खच्चर, घोड़ा, गाय, विशेष उल्लेखनीय हैं। अधिकांश देशों में चलवासी पशुचारण की प्रधानता है।
खनिज तेल उत्पादन देशों के आर्थिक तंत्र में तेजी से बदलाव आ रहा है। पश्चिमी एशिया विश्व का लगभग एक-तिहाई तेल उत्पादित करता है। खनिज तेल ने पश्चिमी एशिया के मरूस्थलों को भी आकर्षक बना दिया है। पश्चिमी एशिया के अधिकांश देश इस कीमती खनिज का उत्पादन करते हैं। जिससे स्पष्ट है कि यद्यपि पश्चिमी एशिया के अधिकांश देशों में औद्योगिक विकास सीमित है। फिर भी खनिज तेल की आय से यहाँ प्रति व्यक्ति आय अधिक है। यहाँ के प्रमुख तेल उत्पादकों में सऊदी अरब, ईरान, इराक, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, तर आदि अग्रणी देश है। इन देशों की राष्ट्रीय आय का अधिकांश भाग तेल के निर्यात से प्राप्त होता है। तुर्की एवं ईरान के अलावा अरब देशों में अन्य खनिजों का अभाव है।
जनसंख्या
पश्चिमी एशिया में जनसंख्या का वितरण और घनत्व बहुत विरल है। तालिका 13.1 से स्पष्ट है कि अधिकांश देशों में घनत्व 100 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी0 से कम है। न्यूनतम घनत्व सऊदी अरब और अधिकतम बहरीन, लेबनान और इजराइल में है। यहाँ विरल जनसंख्या का कारण भौतिक परिवेश जनित आजीविका की कठिनाई है। सघन जनसंख्या नगरों, सिंचित घाटियों, कुछ पठारों और तटीय क्षेत्रों में है। यहाँ विविध जाति वर्ग के लोग रहते हैं, लेकिन अधिकांश इस्लाम धर्म मानने वाले हैं। यहाँ अरब और गैर-अरब जातियों के समिश्र का आधार इस्लाम है। इजराइल और तुर्की के अतिरिक्त धार्मिक कट्टरता के कारण तथा आपसी सहयोग के अभाव में पश्चिमी एशिया एकता में अनेकता का भूखंड है। यहाँ चलने वाला दीर्घ कालीन संघर्ष इस बात का द्योतक है कि प्राकृतिक दुरूहता ने यहाँ के लोगों का स्वभाव भी तदनुसार दुरूह बना दिया है। फिर भी यहाँ जाति, भाषा और पहनावे में अत्यधिक समानता पायी जाती है। यहाँ एक दर्जन भाषाएँ बोली जाती हैं, लेकिन विकसित लिपि केवल छः है। इसी प्रकार इस्लाम एक धर्म है लेकिन शिया और सुन्नी के अतिरिक्त भी अन्य विश्वास के लोग इस्लाम धर्म के अनुयायी हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण पश्चिमी एशिया की पहचान एशिया के अन्य परिमंडलों से भिन्न हैं।
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