वाणिज्य / Commerce

उद्योगों के धीमें विकास के कारण | Causes of slow growth of Industries in Hindi

उद्योगों के धीमें विकास के कारण | Causes of slow growth of Industries in Hindi
उद्योगों के धीमें विकास के कारण | Causes of slow growth of Industries in Hindi

उद्योगों के धीमें विकास के कारण (Causes of slow growth of Industries)

भारत औद्योगिक दृष्टि से उतना उन्नत देश नहीं है जितने अन्य देश है इसीलिए इसको एक पिछड़ा देश माना जाता है। इसके पिछड़ेपन के निम्न कारण उत्तरदायी हैं, इन्हीं कारणों को भारत में उद्योगों में धीमें विकास के कारण भी कहते है।

1. विदेशी शासन

भारत के औद्योगिक दृष्टि से पिछड़े होने का मुख्य कारण विदेशी शासन का लम्बे काल तक बना रहना है जिसका उद्देश्य भारत को कच्चे माल का निर्यात एवं पक्के माल का आयात करने वाले देश के रूप में विकसित करना था। 1923 से जो विभेदात्मक संरक्षण नीति (Discriminating Protection Policy) अपनायी गयी थी उसको भी कठोर शर्तों के होने के कारण उचित रूप से लागू नहीं किया जा सका। साम्राज्य अधिमान (Imperial Preferences ) की नीति भी भारतीय उद्योगों के विकास में एक रोड़ा था जिसके अन्तर्गत ब्रिटिश साम्राज्य से बिना आयात कर लगे वस्तुओं के आने की अनुमति थी।

इसे भी पढ़े…

2. औद्योगिक पूँजी का अभाव

आधुनिक औद्योगिकीकरण में भारी मात्रा में पूँजी की आवश्यकता होती है जिसका भारत में सदा ही अभाव रहा है। यहाँ प्रति व्यक्ति आय कम ही रही हैं, जिससे बचत एवं पूँजी निवेश की मात्रा भी कम रही है। अतः औद्योगिक पूँजी के अभाव में भारत अधिक औद्योगिकीकरण नहीं कर पाया है।

3. प्रतिकूल सामाजिक वातावरण

भारत में औद्योगिक पिछड़ेपन का एक कारण प्रतिकूल सामाजिक वातावरण है। जहाँ जाति प्रथा, संयुक्त परिवार प्रणाली तथा धार्मिक अन्धविश्वास जो कि सामाजिक वातावरण के अंग हैं, औद्योगिक विकास में सदा ही बाधक रहे है। संयुक्त परिवार प्रणाली ने व्यक्तिगत प्रेरणा को सदा ही हतोत्साहित किया है और आगे बढ़ने से रोका है। इसी प्रकार जाति प्रथा एवं संयुक्त परिवार प्रणाली ने श्रम की गतिशीलता में बाधाएँ डाली हैं। उत्तराधिकार नियमों के अन्तर्गत बँटवारे की प्रथा ने भी पूँजी साधनों को छोटे-छोटे खण्डों में बांटकर पूँजी को एकत्रित करने में कठिनाई पैदा की है।

इसे भी पढ़े…

4. शक्ति के साधनों की कमी

भारत के पिछड़े होने का एक महत्त्वपूर्ण कारण यहाँ पर शक्ति के साधनों का अभाव रहा है और आज भी है। शक्ति के तीन साधन मुख्य माने जाते हैं, कोयला, जल व पेट्रोलियम। भारत में उच्च कोटि के कोयले का अभी भी अभाव है, अत: इस्पात कारखानों के लिए उच्चकोटि का कोयला आयाता किया जाता है। यहाँ जल साधनों का भी उचित उपयोग नहीं हो पाया है यद्यपि स्वतन्त्रता के बाद सम्बन्ध में कुछ प्रगति हुई है। पेट्रोलियम पदार्थ तो आज भी विदेशों से आयाता किये जाते हैं यद्यपि भारत में कुछ कुओं के मिल जाने से पेट्रोलियम पदार्थ निकाले जा सकते हैं।

5. आधुनिक मशीनों एवं निपुण तकनीकी विशेषज्ञों का अभाव

भारत में आधुनिक प्रकार की मशीनों का अभाव है। साथ ही निपुण तकनीकी विशेषज्ञ भी उपलब्ध नहीं हैं ऐसी स्थिति में औद्योगिक विकास पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पाया हैं। यहाँ अभी भी पर्याप्त प्रशिक्षण सुविधाएँ भी नहीं है। अतः प्रशिक्षण के लिए तकनीकी विशेषज्ञों को विदेशों में भेजा जाता है।

इसे भी पढ़े…

इसे भी पढ़े…

इसे भी पढ़े…

Important Links

Disclaimer

Disclaimer:Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment