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वैश्वीकरण का अर्थ, गुण एवं दोष | Meaning, merits and demerits of globalization in Hindi

वैश्वीकरण का अर्थ, गुण एवं दोष | Meaning, merits and demerits of globalization in Hindi
वैश्वीकरण का अर्थ, गुण एवं दोष | Meaning, merits and demerits of globalization in Hindi
वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं? वैश्वीकरण के गुण एवं दोष बताइये ।

वैश्वीकरण (Globalisation)

वैश्वीकरण शब्द आंग्ल शब्द ग्लोबलाईजेशन का हिन्दी रूपान्तर है तथा इसके लिए भूमण्डलीकरण शब्द का भी प्रयोग किया जाता है। इन सभी शब्दों या पदावली से अभिप्राय एक ऐसी प्रक्रिया से है जिसमें ‘दूरी या अन्य प्रकार के अवराधों को दूर कर विश्व के सभी व्यक्तियों को अधिक-से-अधिक निकट आने तथा अन्त:निर्भर रहने पर जोर दिया जाता है। इसके अर्थ से और अच्छी तरह परिचित होने के लिए अब हम कुछ विद्वानों द्वारा दी जाने वाली परिभाषाओं पर विचार करेंगे।

(1) प्रसिद्ध समाजशास्त्री एन्थोनी गिडेन्स (Anthony Giddens) के अनुसार, “वैश्वीकरण दूरी और समय को सीमित करने का ऐसा प्रयास है जिसमें सम्प्रेषण के माध्यम से तुरन्त ही पूरे विश्व में एक साथ ज्ञान एवं संस्कृति का आदान-प्रदान किया जा सकता है। “

(2) हालैण्ड निवासी शिक्षाशास्त्री रूड लूब्बस (Rudd Lubbess) के अनुसार, “वैश्वीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें सीमा पार आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक सांस्कृतिक सम्बन्धों को स्थापित करने और बनाए रखने में भौगोलिक दूरी का कोई महत्त्व नहीं रह जाता।”.

(3) डेविड हेल्ड और एन्थोनी मैकग्रा (David Held and Anthony Megraw) के अनुसार, “वैश्वीकरण को एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में मान्यता दी जा सकती है, जिसके माध्यम से भूमण्डलीय सामाजिक सम्बन्धों और आदान-प्रदान को अच्छी तरह अन्त: महाद्वीपीय और अन्त क्षेत्रीय क्रियाओं, अन्तःक्रियाओं, अन्तःक्रियाओं तथा शक्तियों के आदान-प्रदान करने वाले नेटवर्क के रूप में बदला जा सकता है। “

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर वैश्वीकरण के अर्थ और प्रकृति के बारे में निम्न परिणाम निकाले जा सकते हैं-

(i) वैश्वीकरण से समय एवं दूरी सम्बन्धी सभी प्रकार के अवरोध समाप्त किए जा सकते हैं

(ii) वैश्वीकरण को सम्भव बनाने में सम्प्रेषण की आधुनिकतम प्रणाली ने (जो गति और कुशलता दोनों में ही अभूतपूर्व है) महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

(iii) वैश्वीकरण का उद्देश्य संसार के सभी व्यक्तियों और समुदायों के बीच ज्ञान और संस्कृति का आदान-प्रदान करना है।

(iv) संसार के सभी व्यक्तियों और समुदायों के बीच किसी क्षेत्रीय अथवा अन्तर्राष्ट्रीय सीमा की परवाह न करते हुए आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध स्थापित करने और उन्हें बनाए रखने में वैश्वीकरण से उचित सहायता मिल सकती है।

(v) दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों और महाद्वीपों में विराजमान व्यक्तियों और समुदायों के बीच की दूरी को वैश्वीकरण इतना कम कर देता है कि वे आपस में सामाजिक सम्बन्धों, अन्तःक्रियाओं तथा सुख-सुविधाओं के आदान-प्रदान में किसी प्रकार की कठिनाई का अनुभव नहीं करते।

वैश्वीकरण के उपरोक्त अर्थ और विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए हम वैश्वीकरण को कुछ निम्न प्रकार से भली-भाँति परिभाषित कर सकते हैं-

“वैश्वीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हर समय और दूरी के सभी अवरोध को समाप्त करते हुए विश्व के किसी भी स्थान में स्थित व्यक्तियों एवं समुदायों को आर्थिक, राजनीतिक एवं सामाजिक-सांस्कृतिक दृष्टि से भली-भाँति अन्तः सम्बन्धित कर सकते हैं। “

वैश्वीकरण के गुण 

वैश्वीकरण के गुणों का वर्णन निम्न प्रकार है-

1. वैश्वीकरण की प्रक्रिया द्वारा विश्व नागरिकता की भावना का विकास होता है जिसके अनुसार, प्रत्येक राष्ट्र सभी राष्ट्रों के नागरिकों के हितों का ध्यान रखकर नीतियों का निर्धारण करता है।

2. वैश्वीकरण से ही शिक्षा की सर्व उपलब्धता सम्भव हुई है। शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने के लिये वैश्वीकरण आवश्यक होता है।

3. वैश्वीकरण किसी देश के आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आज विश्व का कोई भी राष्ट्र पूर्ण रूप आत्मनिर्भर नहीं बना सकता है क्योंकि उसे अपनी किसी न किसी जरूरत दूसरे राष्ट्रों पर निर्भर होना पड़ता ही है।

4. वैश्वीकरण के कारण ही विश्व के विभिन्न देशों की समस्याओं का हल हुआ है जिनमें गरीबी, अशिक्षा, शान्ति, सुरक्षा एवं बेरोजगारी आदि मुख्य है।

वैश्वीकरण के दोष

वैश्वीकरण के दोषों का वर्णन निम्न प्रकार है-

1. वैश्वीकरण के कारण आज शिक्षक एवं छात्र के सम्बन्ध समाप्त हो रहे है।

2. भारत में शिक्षा के क्षेत्र में अंग्रेजी का इतना प्रचलन हो गया है कि अन्य भाषाओं के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया है।

3. बालकों में इंटरनेट के बढ़ते प्रयोग के कारण उनका सांस्कृतिक विकास बाधित हो रहा है।

4. वैश्वीकरण के कारण दुरस्थ शिक्षा का प्रचलन बढ़ा है जिससे शिक्षा के व्यापारीकरण को बल मिला एवं शिक्षा आज एक ज्ञान प्रदान करने की जगह पैसा कमाने का साधन बन गयी है।

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