मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान से आप क्या समझते हैं?
मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अर्थ- वर्तमान युग विज्ञान का युग है। इस युग में प्रत्येक घटना का अध्ययन एवं व्याख्या वैज्ञानिक पद्धति द्वारा की जाती है। इसी वैज्ञानिक प्रवृत्ति के कारण ही आधुनिक युग में मानसिक विकारों एवं असामान्यताओं का अध्ययन भी वैज्ञानिक पद्धति से किया जाने लगा है। अब कुछ काल पूर्व तक असामान्य व्यवहार करने वाले व्यक्तियों को किसी प्रकार का रोगी नहीं माना जाता था। ऐसे लोगों को भूत अथवा आसुरी शक्ति द्वारा घिरा हुआ माना जाता था। ऐसे लोगों को समाज के लिए ये अहितकर माना जाता था। ऐसे असामान्य रोगियों के लिए उपचार करने हेतु ओझे और स्याने बुलाये जाते थे जो सम्बन्धित व्यक्ति को भयंकर यातना दिया करते थे। कुछ साधारण मानसिक रोगी इस प्रकार के आधा से ठीक हो जाते थे, अन्य गम्भीर मानसिक रोगियों को अधिक से अधिक यातना दी जाती थी। यदि इस पर भी वे ठीक नहीं होते थे तो उन्हें सार्वजनिक हित के लिए या तो मान दिया जाता था या फिर जिन्दा ही जला दिया जाता था। स्पष्ट है कि उस काल में असामान्य व्यक्ति को न तो मानसिक रोगी माना जाता था और न ही उनके साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार ही किया जाता था। किन्तु धीरे-धीरे इस दृष्टिकोण में परिवर्तन हुआ तथा इस प्रकार के व्यक्तियों के प्रति लोगों के दिलों में दया तथा सहानुभूति जागने लगी। अब असामान्य व्यक्तियों का मानसिक रोगी माना जाने लगा। इसी दिशा में किये गये अनेक व्यवस्थित प्रयासों के परिणामस्वरूप मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान की स्थापना की गयी।
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मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अर्थ
साधारण शब्दों में कहा जा सकता है कि मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी अध्ययन करने वाला विज्ञान मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान कहलाता है।
मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के अन्तर्गत मानसिक स्वास्थ्य के विभिन्न पक्षों का व्यवस्थित अध्ययन किया जाता है। इसके लिये सर्वप्रथम मानसिक स्वास्थ्य के लक्षणों का अध्ययन किया जाता है। इसके बाद मानसिक अस्वस्थता के लक्षणों का ज्ञात किया जाता है तथा मानसिक अस्वस्थता के उपचार के उपाय किये जाते हैं। मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान स्वास्थ्य के नियमों को भी खोजता एवं उनका अध्ययन करता है।
मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का प्रमुख उद्देश्य अधिक से अधिक व्यक्तियों को मानसिक रूप से स्वस्थ बनाये रखना है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए यह विज्ञान तीन प्रकार के कार्य करता है-
(अ) यह विज्ञान इस प्रकार की परिस्थितियाँ एवं वातावरण बनाने का प्रयास करता है कि मानसिक रोग पनपने ही न पायें। इसके लिए मानसिक स्वास्थ्य के नियमों का प्रचार एवं प्रसार किया जाता है तथा व्यक्तियों का इस दिशा में जागरुक किया जाता है।
(ब) मानसिक स्वास्थ्य के नियमों के प्रचार के अतिरिक्त मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान मानसिक रोगों की रोकथाम की व्यवस्था भी करता है।
(स) मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का तीसरा प्रमुख कार्य मानसिक रोगों का उपचार करना है। मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के इस कार्य को वैलिन ने इन शब्दों में स्पष्ट किया है- “मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान, मनोविज्ञान शिशु अध्ययन, शिक्षा, समाजशास्त्र, मनोविकृति चिकित्सा, चिकित्सा तथा जीव विज्ञान से प्राप्त ज्ञान तथा प्रविधियों के प्रयोग का प्रतिनिधित्व इस उद्देश्य से करता है कि- (i) जिससे कि मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा और विकास हो सके तथा (ii) साधारण और गम्भीर मानसिक रोगों तथा दोषों और मानसिक, शैक्षिक तथा सामाजिक कुसमायोजन की रोकथाम तथा उपचार किया जा सके।”
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मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान की परिभाषा
भाटिया के अनुसार– “मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान मानसिक रोगों से बचने और मानसिक स्वास्थ्य को कायम रखने का विज्ञान और कला है। यह कुसमायोजनों के सुधारों से सम्बन्ध रखता है। इस कार्य में यह आवश्यक रूप से कारणों के निर्धारण का कार्य भी करता है।” हैडफील्ड के अनुसार — “मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का सम्बन्ध मानसिक स्वास्थ्य कायम रखने और मानसिक असन्तुलन रोकने से है।”
उपर्युक्त विस्तृत विवरण द्वारा मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अर्थ पूर्ण रूप से स्पष्ट हो जाता है। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के दो प्रमुख पक्ष हैं। प्रथम पक्ष विधायक पक्ष है। इस पक्ष के अन्तर्गत यह विज्ञान मानसिक स्वास्थ्य के नियमों एवं सिद्धान्तों को खोजता है तथा उन तरीकों को बताता है जिनके द्वारा व्यक्ति अपने पर्यावरण के साथ अधिक से अधिक अनुकूलन स्थापित कर सकता है तथा अपने आपको सामान्य बनाये रख सकता है। मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का दूसरा पक्ष निषेधात्मक है। इस पक्ष के अन्तर्गत मानसिक अस्वस्थता की रोकथाम की जाती है तथा मानसिक रोगियों के उपचार एवं चिकित्सा की व्यवस्था की जाती है।
मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का क्षेत्र
जिस प्रकार से शारीरिक स्वास्थ्य विज्ञान का अत्यधिक व्यापक क्षेत्र है, उसी प्रकार से मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का भी पर्याप्त व्यापक क्षेत्र है। संक्षेप में कहा जा सकता है कि जहाँ भी मानव जीवन है वहीं मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का क्षेत्र है। इस विषय में कुछ लोगों का यह विचार हो सकता है कि मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान की आवश्यकता तो केवल मानसिक रोगियों एवं असन्तुलित व्यक्तित्व वाले लोगों तक ही सीमित है। परन्तु यह एक भ्रम है क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान की आवश्यकता सभी व्यक्तियों को समान रूप से होती हैं। हम जानते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के अन्तर्गत मानसिक स्वास्थ्य के नियमों तथा स्वस्थ बने रहने के तरीकों का भी अध्ययन किया जाता है। इसीलिए प्रत्येक स्वस्थ एवं स्वस्थ रहने के इच्छुक व्यक्ति के लिए मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान अनिवार्य है। इस स्थिति में हम कह सकते हैं कि बच्चों, किशोर-किशोरियों, युवक-युवतियों, वयस्कों एवं वृद्धजनों के लिए मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान आवश्यक हैं स्वस्थ व्यक्ति भी कभी मानसिक अस्वस्थ हो सकता है। आज जो व्यक्ति स्वस्थ है वह भी कल अस्वस्थता का शिकार हो सकता है। यदि वह चाहता कि वह अस्वस्थ न हो तो उसे मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान की शरण लेनी होगी।
मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्तियों के अतिरिक्त मानसिक रोगी भी मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के क्षेत्र में आते हैं। जैसा कि सर्वविदित है कि मानसिक अस्वस्थता अनेक प्रकार की होती है। सभी प्रकार के मानसिक रोगी मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के क्षेत्र में आते हैं। मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान इन मानसिक रोगियों के रोग को बढ़ने से रोकने के उपाय करता है तथा मानसिक रोगियों के रोग का उपचार भी करता हैं इस प्रकार मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान एक ओर जहाँ मानसिक रोगियों को व्यक्तिगत रूप से लाभ पहुँचाता है वहीं दूसरी ओर यह समूचे समाज को लाभ पहुँचाता है, क्योंकि यदि समाज में मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ जाती है, तो पूरा का पूरा समाज ही विघटित हो जाता है।
उपर्युक्त संक्षिप्त विवरण द्वारा स्पष्ट है कि मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का क्षेत्र अत्यधिक व्यापक है। मानव समाज का प्रत्येक स्वस्थ एवं अस्वस्थ व्यक्ति इसके क्षेत्र में आता है तथा इन सभी व्यक्तियों को लाभान्वित करना मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का कार्य है।
मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का महत्त्व
मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के अर्थ एवं क्षेत्र को जान लेने के पश्चात् इस विज्ञान के महत्त्व को सहज ही समझा जा सकता है, क्योंकि इसके अर्थ एवं क्षेत्र के विवेचन से यह स्पष्ट है कि मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान एक अत्यन्त उपयोगी विज्ञान है तथा जीवन के सभी क्षेत्रों में इसका महत्व है। इसके कुछ मुख्य क्षेत्रों में महत्त्व को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
1. पारिवारिक क्षेत्र में महत्त्व- मानव समाज में परिवार का विशेष महत्व होता है। यदि परिवार का वातावरण ठीक एवं स्वस्थ हो तो हर ओर सुख एवं समृद्धि बनी रहती है। परिवार का वातावरण स्वस्थ बनाये रखने में मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान परिवार के विभिन्न सदस्यों के व्यक्तित्व में सन्तुलित विकास में योगदान देता है। इसके अतिरिक्त यह विज्ञान परिवार के विभिन्न सदस्यों को पारस्परिक समायोजन की कला भी सिखाता है। स्पष्ट है कि यदि परिवार के सभी सदस्यों का समुचित विकास हुआ है तथा उनके आपसी सम्बन्ध सामंजस्यपूर्ण हैं तो परिवार निश्चित रूप से. स्वर्ग बन जाता है। इस दृष्टिकोण से यह कह सकते हैं कि पारिवारिक क्षेत्र में मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अद्वितीय महत्त्व है।
2. बच्चों के विकास में महत्त्व – बच्चों के समुचित विकास के परिणामस्वरूप ही राष्ट्र के स्वस्थ नागरिक तैयार होते हैं। बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का ज्ञान अनिवार्य है। मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के नियमों के अनुसार किया गया बच्चों का पालन-पोषण जीवन भर लाभ देता रहता है।
3. व्यक्तिगत जीवन में महत्त्व- प्रत्येक व्यक्ति को अपना जीवन स्वस्थ एवं सामान्य बनाये रखने के लिए मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का निरन्तर सहारा लेना पड़ता है। मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के ज्ञान से ही व्यक्ति समय-समय पर उत्पन्न होने वाली समस्याओं, अन्तर्द्वन्द्वों तथा परेशानियों से बच सकता है। अ जीवन को सुखमय, शान्तिमय तथा समायोजित बनाने के लिए हम मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के महत्व की अवहेलना नहीं कर सकते।
4. सामाजिक जीवन में महत्त्व – सामाजिक जीवन के क्षेत्र में भी मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान की अवहेलना नहीं की जा सकती। मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान व्यक्तियों को स्वस्थ बनाता है तथा उन्हें उत्तम सामाजिक समायोजन के तरीके बताता है। यदि समाज में अधिक से अधिक मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति होंगे तो समाज का वातावरण भी स्वस्थ रहेगा। ऐसी स्थिति में सामाजिक तनाव एवं संघर्ष के अवसर कम आते हैं तथा समाज में शान्ति कायम रहती है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि सामाजिक क्षेत्र में भी मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का उल्लेखनीय महत्त्व है।
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5. शिक्षा के क्षेत्र में महत्त्व – मानव जीवन में शिक्षा का भी एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। शिक्षा के क्षेत्र में वही बालक सुचारु रूप से चल सकता है जो मानसिक रूप से स्वस्थ है। मानसिक रूप से अस्वस्थ बालक शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति नहीं कर सकता। शिक्षा के क्षेत्र में समुचित प्रगति के लिए मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का सहारा लेना अनिवार्य हैं यह विज्ञान छात्रों के स्वस्थ जीवन का विकास करता है तथा किसी छात्र के सम्मुख उत्पन्न होने वाली समस्या का निदान करके उसके विकास को सुचारु बना देता है। स्पष्ट है कि शैक्षिक क्षेत्र में मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का सराहनीय महत्त्व है।
6. व्यावसायिक एवं औद्योगिक क्षेत्र में महत्त्व – सामाजिक एवं राष्ट्रीय खुशहाली के लिए व्यावसायिक एवं औद्योगिक क्षेत्र में भी समुचित विकास अनिवार्य है। व्यावसायिक तथा औद्योगिक क्षेत्र में कुछ विशेष प्रकार की समस्याएँ होती हैं। औद्योगीकरण एवं नगरीकरण के फलस्वरूप सम्बन्धित व्यक्तियों का जीवन अत्यधिक जटिल एवं समस्यापूर्ण हो गया है। इससे मानसिक अस्वस्थता के अधिक अवसर आने की सम्भावना बनी रहती है। विभिन्न सर्वेक्षणों द्वारा प्रमाणित हो चुका है कि कृषक क्षेत्रों की अपेक्षा औद्योगिक क्षेत्रों में अधिक मानसिक रोगी पाये जाते हैं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि औद्योगिक एवं व्यावसायिक क्षेत्र में भी मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अत्यधिक महत्त्व है।
7. राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में महत्त्व – अन्तराष्ट्रीय क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रों के आपसी सम्बन्ध हुआ करते हैं। इस सम्बन्धों का विश्व मानव के लिए विशेष महत्त्व होता है। यदि विभिन्न राष्ट्रों के स्थापित नेताओं के आपसी सम्बन्ध सामंजस्यपूर्ण हैं तो विश्व शान्ति बनी रहती है और यदि ये सम्बन्ध बिगड़ जायें तो विश्व शान्ति भी भंग हो जाती है तथा युद्ध एवं शीतयुद्ध जैसी घटनाएँ अधिक होने लगती हैं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भी मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान की विशेष आवश्यकता है। इस क्षेत्र में व्यवस्था तथा समायोजन बनाये रखने के लिए मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का योगदान उल्लेखनीय है।
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