B.Ed. / BTC/ D.EL.ED / M.Ed.

प्रात्यक्षिक विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।

प्रात्यक्षिक विकास के कारक
प्रात्यक्षिक विकास के कारक

प्रात्यक्षिक विकास के कारक | प्रात्यक्षिक विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।

प्रात्यक्षिक विकास के कारक | Pratyakshik Vikas ke Karak in Hindi- प्रात्यक्षिक विकास पर अनेक कारकों का प्रभाव पड़ता है। उनमें से कुछ प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं –

1. परिपक्वता (Maturity

प्रात्यक्षिक विकास में परिपक्वता का विशेष महत्व है क्योंकि ज्ञानेन्द्रियों के विकास एवं योग्यताओं के विकास पर यह योग्यता निर्भर करती है। बच्चे 3-4. वर्ष की अवस्था में मूर्त (concrete) वस्तुएँ समझ लेते हैं परन्तु अमूर्त वस्तुएँ नहीं समझ पाते हैं।

2. सामाजिक एवं आर्थिक कारक (Social and Economic factors) 

यदि ग्रामीण एवं शहरी, धनी एवं गरीब और नास्तिक एवं आस्तिक परिवारों के बच्चों का अध्ययन किया जाय तो विभिन्न वस्तुओं के बारे में उनकी समझ में अन्तर स्पष्ट रूप में दिखाई पड़ता है। इससे इन कारकों का महत्व प्रदर्शित होता है। ग्रामीण बच्चे शहरी बच्चों की अपेक्षा पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, खेत-खलिहान आदि के बारे में शीघ्र ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं, जबकि शहरी बच्चे आधुनिक उपकरणों, टी.वी., ए.सी. कूलर, फ्रिज आदि के बारे में अपेक्षाकृत शीघ्र ज्ञान प्राप्त करते हैं ।

इसे भी पढ़े…

3. मस्तिष्कीय आघात एवं ज्ञानेन्द्रिय दोष (Brain injury and sensory Defects)

मस्तिष्कीय आघातों एवं ज्ञानेन्द्रिय सम्बन्धी दोषों के कारण प्रात्यक्षिक योग्यता बाधित होती है। इसी प्रकार मस्तिष्क विकास भी इस योग्यता को अवरोधित कर देते हैं। सेनडेन (1932) का निष्कर्ष कि जन्मांध लोगों में दृष्टिपुनर्स्थापना के बाद प्रत्यक्षीकरण में कुछ समय तक कठिनाई होती है।

4. अभिप्रेरणा एवं अधिगम (Motivation and Learning)

प्रात्यक्षिक विकास में अभिप्रेरणा एवं अधिगम की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अभिप्रेरणा से बच्चों की रुचि बढ़ती है और अधिगम से बच्चों में समानता असमानता के आधार पर वर्गीकृत करने में सहायता मिलती है। अतः बच्चों को अभिप्रेरणात्मक अधिगम का अवसर उपलब्ध कराना आवश्यक होता है। शेफर एवं मर्फी Shefer & Murphy, (1943) ने आकृतियों के प्रत्यक्षीकरण में प्रबलन का स्पष्ट प्रभाव प्राप्त किया है। उनके अनुसार प्रबलन देने से प्रत्यक्षीकरण शीघ्रता से होता है।

5. अनुभव (Experience)

प्रत्यक्षिक योग्यता के विकास में अनुभव एक महत्वपूर्ण निर्धारक है। किसी वस्तु को बालक जितनी अधिक बार देखता है, उस वस्तु के प्रति उसकी प्रात्यक्षिक योग्यता की विकास उतना ही अधिक होता है, अर्थात् उतनी ही शीघ्र उस वस्तु का प्रत्यक्षीकरण कर लेता है। हडसन (1960) ने अपने अध्ययनों में आकृतियों के प्रत्यक्षीकरण पर अनुभवों का स्पष्ट प्रभाव प्राप्त किया है।

इसे भी पढ़े…

6. शारीरिक एवं मानसिक आवश्यकता (Physiological and Psychological needs)

शारीरिक एवं मानसिक आवश्यकतायें प्रात्यक्षिक योग्यता को अत्यधिक प्रभावित करती हैं। अध्ययनों में पाया गया है कि प्राणी के अभिप्रेरण में भूख प्यास आदि शारीरिक आवश्यकताएँ तथा उपलब्धि प्रेरक आदि मनोवैज्ञानिक प्रेरणाओं का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इस सम्बन्ध में प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक ऑसगुड (Osgood, 1953) का व्यक्तिगत अनुभव अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उन्होंने लिखा है कि जब वे भोजन करने जाते थे, तो उन्हें रास्ते में एक कार्यालय मिलता था जिसका नाम 400D था परन्तु वे भूख की तीव्रता के कारण उसे FOOD पढ़ते थे। इस सम्बन्ध में मैकल्किलैण्ड तथा लिबरमैन (Meclelland and Liberman, 1949) की उपलब्धि अभिप्रेरक का प्रत्यक्षीकरण पर प्रभाव से सम्बन्धित प्रयोग उल्लेखनीय है।

7. वस्तुओं का मूल्य (Value of Object)

प्रत्यक्षीकरण पर इस बात का भी स्पष्ट प्रभाव पड़ता है कि प्रत्यक्षण करने वाले व्यक्ति के लिए प्रत्यंक्षित वस्तु का मूल्य कितना है। ब्रूनर तथा गुडमैन (Broner and Goodman, 1947) ने अपने एक अध्ययन में 10 बच्चों के दो समूह लिये। एक समूह में सभी धनी परिवार के बच्चे थे तथा दूसरे समूह में सभी गरीब परिवार के बच्चे थे। इन दोनों समूह के बच्चों को 1, 5, 10, 20 तथा 25 सेन्ट के सिक्कों के आकार का आकलन एक रोशनी प्रोजेक्टर द्वारा करने की कहा गया। परिणाम में देखा गया कि धनी परिवार के बच्चों ने इस सिक्कों का न्यून प्राक्कलन (Underestimation) तथा गरीब परिवार के बच्चों अतिप्राक्कलन (Over-estimation) क्रिया प्रयोगकर्ता के अनुसार ऐसा इसलिये था क्योंकि धनी परिवार के बच्चों के लिये सिक्कों का मूल्य (value) कम था जबकि गरीब परिवार के बच्चों के लिए इन सिक्कों का महत्व अधिक था।

8. मानसिक वृत्ति का प्रभाव Effect of Mental Set)

प्रत्यक्षण पर प्रत्यक्षणकर्ता की – मानसिक शक्ति का भी प्रभाव पड़ता है। मानसिक वृत्ति से तात्पर्य एक विशेष प्रकार की मानसिक तत्परता से होता है। प्रयोज्यों में विशेष शाब्दिक निर्देश देकर मानसिक तत्परता उत्पन्न की जाती है और स्पष्ट तस्वीरों के प्रत्यक्षण में उन निर्देशों से उत्पन्न मानसिक वृत्ति का स्पष्ट प्रभाव देखा गया है। इसके अतिरिक्त हम दैनिक जीवन में अस्पष्ट आवाजों से वहीं संदेश प्राप्त करते हैं जो हम सुनने के लिए मानसिक रूप से तैयार होते हैं।

9. प्रतीकात्मक अर्थ का प्रभाव (Effect of Symbolic meaning )

कुछ वस्तुओं का किसी व्यक्ति के लिए कुछ अव्यक्त अर्थ (Implicit meaning ) होता है, जिनका स्वरूप व्यक्तिगत तथा प्रतीकात्मक (symbolic) होता है। उदाहरणार्थ स्वास्तिक (Swastik) हिटलर का राष्ट्रीय चिन्ह था, जबकि सभी अमेरिकन इससे घृणा करते हैं अतः स्पष्ट है कि जर्मनीवासियों के इसका अर्थ धनात्मक तथा अमेरिकनों के लिए नकारत्मक होगा।

इसे भी पढ़े…

Important Links

Disclaimer

Disclaimer:Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment