समाचार लेखन से आप क्या समझते समाचार लेखन के स्वरूप एवं भाषा शैली का वर्णन कीजिए।
समाचार लेखन का अर्थ- समाचार लेख एक कला है। पत्रकारिता जगत समाचार को कथा स्टोरी (न्यू स्टोरी) भी कहते हैं। इसमें तथ्य, रोचकता, जानकारी, कुतूहल एवं विचार तत्व आदि का सामंजस्य रहता है। विविध विषयों, क्षेत्रों, स्थानों की सूचनाओं और गतिविधियों को कम से कम शब्दों में और प्रभावशाली ढंग से पाठकों तक पहुंचाना ‘समाचार लेखन’ का मुख्य उद्देश्य है। इसलिए इसकी सबसे बड़ी कसौटी का निर्वाह करते हुए प्रभावशाली समाचार लेखन में कुशलता प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि सबसे पहले ‘समाचार’ के स्वरूप, उसके प्रमुख तत्वों तथा प्रकारों की जानकारी प्राप्त कर ली जाए।
समाचार का स्वरूप
पत्रकारिता संदर्भ कोश के अनुसार ‘चतुर्दिक से प्राप्त सूचनाओं, घटनाओं, तथ्यों, विचारों आदि की सामयिक, रोचक, उत्सुकतावर्द्धक और जानकारीपूर्ण रिपोर्ट को समाचार कहते हैं। समाचार के इस स्वरूप को स्पष्ट करने के लिए विभिन्न पत्रकारों तथा विचारकों ने अपने ढंग से परिभाषित किया-
डॉ० एस लाइल स्पेंसर वह सत्य घटना या विचार जिसमें बहुसंख्यक पाठकों की अभिरुचि हो, समाचार कहलाता है।
जार्ज एच0 मौरिस- समाचार जल्दी में लिखा गया इतिहास है।
श्री रोलैण्ड ई० बूज्सले- भारतीय पत्र कला में समाचार के स्वरूप का विशद विवेचन करते हुए कहा है – “जो कुछ हुआ हो या जिसके होने की सम्भावना हो, उसका सही, पूरा-पूरा और निष्पक्ष विवरण ठीक समय पर रोचक ढंग से प्रस्तुत करना ‘समाचार’ है।”
लैदरवुड- किसी घटना, स्थिति, अवस्था अथवा मत का सही-सही और समय पर प्रस्तुत किया गया विवरण समाचार है।
हिन्दी में ‘समाचार’ शब्द का प्रचलन प्रायः अंग्रेजी शब्द न्यूज के पर्याय के रूप में हुआ। न्यू का अर्थ है – नया और न्यूज का अभिप्राय हुआ- नवीनताओं का पुंज। किन्तु इस शब्दार्थ की अपेक्षा न्यूज की यह व्याख्या अधिक संगत है कि अंग्रेजी के न्यूज शब्द के चारों अक्षर वास्तव में नार्थ (उत्तर), ईस्ट (पूर्व), वेस्ट (पश्चिम) और साउथ (दक्षिण) इन चारों दिशाओं के सूचक हैं। इसका तात्पर्य – सभी दिशाओं की, दुनिया भर की नवीन, रोचक, जानने योग्य बातें ‘समाचार’ हैं।
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि हर वह सामयिक सूचना, वृत्तांत, घटना, तथ्य, विचार अथवा संगठित बात समाचार है। जिसमें-
(क) नवीनता एवं विलक्षणता हो,
(ख) जिसमें कोई जानकारी मिलती हो, या जिसमें अधिकतम लोगों की अधिकतम रुचि हो।
(ग) जिसमें उत्तेजक अथवा हृदयस्पर्शी समता हो।
(घ) जिसमें किसी परिवर्तन की सूचना मिलती हो।
समाचार लेखन की भाषा शैली
समाचारों की भाषा शैली का प्रश्न सदैव विवादास्पद रहा है। समाचार पत्र के पाठक वर्ग का स्तर, समाचार का विषय या क्षेत्र, संपादक की भाषा सम्बन्धी नीति अथवा समाचार लेखक का अपना भाषायी ज्ञान और अनुभव – इन सबके कारण ‘समाचार लेखन’ की भाषा शैली विभिन्न प्रकार की हो सकती है। उत्तर प्रदेश या राजस्थान के कुछ समाचार पत्रों में समाचारों की प्रस्तुति परिनिष्ठित साहित्यिक हिन्दी में की जाती है, जिसे कुछ लोक संस्कृतनिष्ठ’ हिन्दी कहते हैं। नई दिल्ली से प्रकाशित होने वाले दैनिक ‘हिन्दुस्तान’ और ‘जनसत्ता’ में एक ही समाचार बिल्कुल अलग भाषा-शैली में दिया जाता है। इसी प्रकार पंजाब और हरियाणा से छपने वाले हिन्दी समाचार पत्रों (हिन्दी ट्रिब्यून, पंजाब केसरी) में समाचार लेखन की भाषा बहुत आसान उर्दू-पंजाबी से प्रभावित होती है।
दूसरी ओर, किसी खेल प्रतियोगिता का समाचार जिस प्रकार की भाषा में लिखा जायेगा, उसी प्रकार की भाषा शैली व्यापार उद्योग सम्बन्धी वित्तीय क्षेत्र के समाचारों की नहीं हो सकती। चुनाव प्रचार सम्बन्धी समाचारों की भाषा जैसी होगी, किसी साहित्यिक समाचार लेखन में उससे सर्वथा भिन्न प्रकार की भाषा अपनायी जायेगी।
इसके अतिरिक्त शीर्षक की भाषा किसी और तरह की हो सकती है, क्योंकि उसमें कम से कम शब्दों में वस्तुस्थिति का संकेत करना होता है, किन्तु आमुख या विवरण में ऐसा कोई बन्धन न होने के कारण भाषा-शैली का स्वरूप बदल सकता है।
तात्पर्य यह है कि समाचार लेखन की भाषा शैली के सम्बन्ध में कोई सुनिश्चित नियम- सिद्धान्त सम्भव नहीं। परन्तु एक बात आवश्यक है, वह यह है कि आम पाठकों के लिए सहज सुबोध भाषा शैली में ही समाचार प्रस्तुत किए जाने चाहिए। समाचार पत्रों का उपयोग समाज के सभी वर्ग करते हैं जानने योग्य हर बात की जानकारी सभी पाठकों तक सरल एवं रोचक भाषा- शैली में पहुंचना ‘समाचार लेखन’ का मुख्य उद्देश्य है। इसलिए जहाँ तक हो सके, समाचारों की भाषा जन सामान्य को आसानी से समझ में आने वाली होनी चाहिए। समाचार चाहे साहित्य कला सम्बन्धी हो या राजनीतिक उथल-पुथल सम्बन्धी; बाजार भावों से सम्बन्धित हो या किसी वैज्ञानिक आविष्कार से सम्बन्धित-उसे लिखते, उस विषय विशेष के लिए प्रचलित शब्दावली अपनाते हुए भी, उसका विवरण ऐसी भाषा शैली में दिये जायें कि साधारण से साधारण पाठक भी उसे समझ सके और उसमें रुचि ले। इस सम्बन्ध में सामाजिक शिष्टता, सौजन्य और स्वीकृत नैतिक मान्यताओं का भी ध्यान रखना आवश्यक है। सरलता या रोचकता के नाम पर भद्दी, फूहड़, अशिष्ट या अश्लील पदावली का प्रयोग समाचार लेखन में कदापि स्वीकार्य नहीं हो सकता।
शैली – जहाँ तक समाचार लेखन की शैली का सम्बन्ध है, उसकी सबसे पहली विशेषता है- सरल एवं छोटे वाक्यों का प्रयोग। अंग्रेजी समाचारों में बड़े-बड़े संयुक्त, मिश्रित तथा उलझे हुए वाक्य-पठन की परम्परा है, किन्तु हिन्दी के आम पाठक और श्रोता कम से कम शब्दों में, सहज ढंग से सारी बात जानना चाहते हैं। इसी प्रकार समाचारों में लाक्षणिक या आलंकारिक शैली का प्रयोग भी वांछनीय नहीं। सीधी सरल शैली में सही जानकारी प्रस्तुत कर देना ही समाचार लेखन का अभीष्ट होना चाहिए।
समाचार लेखन में कुछ बातें ध्यान देने योग्य हैं- पहली यह कि संख्यायें अंकों में न लिखकर शब्दों में (पाँच, पच्चीस, नब्बे आदि) लिखनी चाहिए। दूसरे, नामों के संक्षिप्त रूप की बजाय पूरा नाम लिखना उचित है। जैसे दि0 प0 के स्थान पर दिल्ली परिवहन, डीयू के स्थान पर दिल्ली विश्वविद्यालय आदि।
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